शब्द नए चुनकर गीत नया हर बार लिखूं मैं
उन दो आंखों में अपना सारा संसार लिखूं मैं
विरह की वेदना या मिलन की झंकार लिखूं मैं
कैसे चंद लफ्जों में सारा प्यार लिखूं मैं।
ये पंक्तियां हैं कवि दिनेश गुप्ता की किताब ‘ कैसे चंद लफ्जों में सारा प्यार लिखूं मैं’ की, जिसका विमोचन पिछले दिनों मुंबई प्रेस क्लब में किया गया। इस अवसर पर हमने दिनेश से उनकी उनकी कविता की प्रेरणा और किताब तक के सफर और आगे की योजना के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत है उसके कुछ अंश:-
इंजीनियर हो कर हिंदी में प्रेम काव्य-संग्रह की रचना करने के पीछे आपका मकसद क्या है?
दिनेश:- मैंने 8वीं कक्षा से ही भाषण लिखना शुरू कर दिया था और इसके लिए मुझे कई पुरस्कार भी मिले। मुझे अपने अंदर की रचनात्मकता का अंदाजा था लेकिन वह इंजीनियरिंग के पीछे कहीं दब गई थी। कविता के लिए मेरे अंदर जनून डा. कुमार विश्वास को सुनने के बाद पैदा हुआ। प्रेम इस दुनिया की सबसे सुंदर अनुभूति है। इस काव्य संग्रह को पढऩे के बाद आप खुद इसे महसूस कर सकेंगे। जहां तक हिंदी लेखन का सवाल है, मेरे साहित्यिक जीवन का एक उद्देश्य हिदी किताबों की घटती लोकप्रियता को वापस लौटाना है।
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