आगरालीक्स…. आगरा के विवि के कुलपति ने रेडियो दिवस पर कहा कि नोकिया का फोन अतीत हो गया है, जानते हैं क्यों।
क्योंकि उसने नई तकनीक को ग्रहण नहीं किया । विश्वविद्यालय के इस रेडियो की पहुँच को और दूर तक पहुँचाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना होगा , सामुदायिक रेडियो संचार का एक सशक्त माध्यम है.

डॉ. प्रशांत गुप्ता (प्रिंसिपल, एसएनएमसी आगरा) ने बताया कि कैसे covid के दौरान 90.4 “आगरा की आवाज़” ने उनके साथ मिलकर लोगो को सही जानकारी समय समय पर दी और जागरूक किया . उन्होंने रेडियो की पूरी टीम की कार्यकुशलता की सरहाना करते हुए आगे कहा की इनकी मेहनत और लगन देखकर हम सोच रहे है की snmc का भी अपना एक सामुदायिक रेडियो जल्द ही शुरू हो . प्रिंसिपल जी ने आगे ये कहा की मुझे इस रेडियो टीम की creativity बहुत पसंद है यानि जिस तरह से ये रेडियो अपने कार्यक्रम और जिंगल्स बना क्कर प्रसारित करता है वो बहुत ही प्रोफेशनल है.
डॉ. अरुण श्रीवास्तव (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, आगरा) ने बताया की विश्विधालय का ये कम्युनिटी रेडियो उनके साथ मिलकर समाज को जागरूक कर रहा है और साथ ही जब भी प्रशासन को अपनी बात सही तरीके से जनता तक देनी होती है तो इस माध्यम को भी वो अपने साथ जोडकर समय समय पर काम लेते है. उन्होंने बताया की इस कम्युनिटी रेडियो की विशेष बात है की आज के युवा को रेडियो की अलग अलग गतिविधियों से जोडकर ये समाज में जागरूकता फैला रहे है और हर तबके तक इनकी पकड़ बहुत अच्छी है. ये रेडियो नित – निरंतर अपने नये कार्यकर्मो से लोगो का पसंदीदा बनता जा रहा है तो ये हर शहर ही नहीं दुनिया के हर कोने में सुना जाना चाहिए. रेडियो की गतिविधियों की प्रशंशा करते हुए आगे उन्होंने कहा की इस रेडियो का फेसबुक पेज और youtube पेज भी लोगो में काफी पसंद किया जाता है . साथ ही स्टूडियो से बाहर निकलकर जो आउटरीच प्रोग्राम लोगो के बीच किये जाते है श्रोता उनसे बहुत अपनापन महसूस करते है और जानकारी पर अमल भी करते है.
डॉ. ब्रजेन्द्र सिंह चंदेल (सर्विलांस मेडिकल ऑफिसर, डब्ल्यूएचओ) जी ने बताया की उनका रेडियो के कार्यक्रम में आना कई बार हुआ है और वो जब भी ज़रूरत होती है यूनिवर्सिटी के इस रेडियो से जुड़ कर अपनी सही और सटीक जानकारी, चाहे वो कोविद टीकाकरण हो या स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई भी जानकारी, वो खुद रेडियो की टीम को संपर्क करके उस पर इंटरव्यू के लिए कहते है. उन्होंने आगे कहा की आज भी रेडियो जनसंचार का एक सशक्त माध्यम है और रहेगा चाहे दुनिया कितनी भी आगे निकल जाए लेकिन रेडियो अपनी पहचान कभी नहीं खोता. आज भी हर शहर में सामुदायिक रेडियो बाकि संचार के और माध्यम से ज़यादा पकड़ बनाये हुए है और लोग भी उनसे अपना जुडाव महसूस करते है.