आगरालीक्स… आगरा नगर निगम चुनाव में भाजपा का महापौर सीट पर जीत के साथ हारे हुए वार्डों में जिताऊ प्रत्याशियों पर फोकस। मुश्किलें भी कम नहीं।
चुनाव परिणामों के बाद नये सिरे से मंथन
भाजपा का महापौर पद पर तो अभी तक एकछत्र राज रहा है। इस बार भी जीत का भरोसा है पर प्रदेश के उपचुनाव, एमसीडी व अन्य स्थानों पर मिले चुनाव परिणामों के बाद भाजपा अपनी बदली हुई रणनीति के साथ आगरा नगर निगम के चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। मंथन गहरा हो गया है।
पैनल के अलावा भी दमदार प्रत्याशी पर निगाह
भाजपा की आरक्षण बदलने पर रणनीति भी बदल गई है। भाजपा हारे हुए वार्डों में जीत की रणनीति पर काम कर रही है । अब तक तीन-तीन नामों का पैनल तैयार है। लेकिन दूसरे दलों के प्रत्याशियो की स्थिति देखने के बाद पैनल के नाम से अतिरिक्त दमदार दावेदार पर विचार हो सकता है।
आरक्षण बदलने से लाभ उठाने की कोशिश
वार्ड आरक्षण में 87 सीटों के समीकरण बदले हैं, जिसका भाजपा लाभ उठाने की कोशिश करेगी।
भाजपा के लिए चुनौतियां भी नहीं होंगी कम
इसमें भाजपा को खासी चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा क्योंकि कई वार्डों में ऐसे भी प्रत्याशी हैं, जो तीन-तीन बार चुनाव जीतकर क्षेत्र में अपनी अच्छी छवि बनाए हुए हैं, उनकी काट के लिए भाजपा को दमदार दावेदारों की तलाश है।
भाजपा के जीते से 53 पार्षद, दूसरे पर बसपा
आगरा नगर निगम 100 वार्डों का है। पिछले चुनाव में भाजपा के 53 पार्षद जीते थे यानि आधे से ज्यादा वार्डों पर कब्जा कर लिया था। दूसरे नंबर पर बसपा के 27, तीसरे पर 15 निर्दलीय चुनाव जीते थे।
नामित व दलबदल से भाजपा के 73 पार्षद
सपा के पांच व कांग्रेस के दो पार्षद जीते थे। बाद में निर्दलीय पार्षद विभिन्न दलों में शामिल हो गए थे। नामित सदस्यों समेत सदन में भाजपा के पार्षदो की संख्या 73 पहुंच गई थी।