आगरालीक्स…दयालबाग की अनोखी होली. खेतों में सरसों की कटाई के साथ हो रही थीं रूहानी कव्वालियां. आकर्षक लाइटों से रोशन हुए घर..
आगरा के दयालबाग में अलग ही प्रकार से होली मनाई गई। होली के दिन प्रातः 3 बजे से सभी सतसंगी भाई, बहन व बच्चे सरसों की कटाई के लिए पोइया घाट रोड के किनारे खेतों में पहुँचने लगे। खेतों में अमृतपेय (1 कप गरम मीठा दूध), चाय, केला इत्यादि का परशाद ग्रहण कर सरसों की कटाई में जुट गये। गुरू महाराज प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब स्वयं घूमने वाले स्टूल पर विराजमान हो कर चारों ओर घूम-घूम कर सरसों की कटाई करते रहे तथा समस्त संगत को अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित करते रहे। बहने पूर्ण उमंग से कटाई करती रहीं एवं नवयुवक तथा पुरुष कटी हुई सरसों को ट्रलियों में लादते रहे। यहाँ कार्य समाप्त होने के पश्चात गुरुमहाराज एवं समस्त संगत यमुना किनारे की ओर प्रस्थान कर गये। खेतों के कार्य के दौरान दो प्रान्तों (देहली व राजस्थान) के भाई बहनों ने रूहानी कव्वालियां गाईं। संतसु(परमैन) बच्चों ने रंगबिरंगी पोशाकों में बहुत ही मनोहारी प्रस्तुतियां दीं।
शाम तीन बजे से फिर सभी सतसंगी भाई, बहन व बच्चे सरसों की कटाई के लिए डेरीबाग़ के पास वाले खेतों में पहुँचने शुरु हो गये। खेतों में कटाई के साथ शाम का सतसंग भी सम्पन्न हुआ। सतसंग के पश्चात् पूजनीय रानी साहिबा पे सपरिवार होली के शब्द पाठ की वाद्ययन्त्रों के साथ बहुत ही उत्तम प्रस्तुति दी। परम पूज्य हुजू़र सतसंगी साहब ने भी शब्द पाठ की भूरि-भूरि प्रशन्सा करते हुए सभी पाठ पार्टी को प्रसाद प्रदान करने की मौज फरमाई। सरसों की कटाई का कार्य पूर्ण होने के बाद प्रीतिभोज प्रारम्भ हुआ प्रीतिभोज के उपरान्त बहनों एवं बच्चों की छुट्टी कर दी गई। युवक कटी हुई सरसों ट्रालियों में लाद कर खलिहान में भेजने का कार्य लगभग 7ः30 बजे तक करते रहे। गुरू महाराज प्रो॰ प्रेम सरन सतसंगी साहब अपने घूमने वाले सिहांसन पर विराजमान हो कर सभी को प्रोत्साहित करते रहे।
खेतों के पश्चात रात्री में परम पूज्य हुजू़र प्रो. प्रेम सरन सतसंगी साहब पैदल ही सम्पूर्ण दयालबाग़ कालोनी के भ्रमण के लिए (स्वेत नगर, विद्युत नगर, प्रेम नगर) चल दिये। पैदल भ्रमण के दौरान समस्त सतसंगीजनों को अपनी दिव्य दृष्टि से धन्य करते गये। प्रेम नगर से ई-रिक्शा द्वारा रात्री 9ः00 बजे स्वामी नगर पहुँचे जहाँ घूमने वाले सिंहासन पर विराजित हो कर परम पुरुष पूरनधनी हुजू़र स्वामी जी महाराज की सप्तरंगी रोशनी में दीप्तिमान समाध के दर्शन करते रहे। यहाँ पर कालोनी के बच्चों ने रंगबिरंगी पोशाकों में विभिन्न प्रान्तों के लोक नृत्य प्रस्तुत किये। तत्पश्चात् सभी उपस्थितजनों को गुजिया, नमकपारा, बर्फी इत्यादि का परशाद वितरित किया गया। बच्चों को घर पर तैयार लॉलीपाप का प्रसाद भी दिया गया। रात्री में सम्पूर्ण दयालबाग़ कॉलोनी आकर्षक विद्युत सज्जा से जगमगा रहा था।
आज सुबह खेतों में मसूर की कटाई का काम करते हुए रानी साहिबा ने सपरिवार परम पूज्य हुजू़र द्वारा मार्च 2007 में रचित “यमुना तीरे प्रातः भोरे, सतगंरु फाग रचाये हैं“ पाठ की अति सुन्दर प्रस्तुति दी, जिसे सुन कर सभी उपस्थितजन मुग्ध हो गये। परम पूज्य हुजू़र सतसंगी साहब ने भी उत्तम प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशन्सा की। संतसु(परमैन) बच्चों ने रंगबिरंगी पोशाकों में बहुत ही रंगारंग प्रस्तुति दी। सभी उपस्थितजनों को गुजिया व केक का प्रसाद वितरित किया गया।