आगरालीक्स…यमुना एक्सप्रेस वे पर एक्सीडेंट का सबसे बड़ा कारण ओपरस्पीडिंग या नींद की झपकी? चौंक जाएंगे आंकड़े देखकर जब जानेंगे हकीकत…
अभी तक यमुना एक्सप्रेसवे पर होने वाले सड़क हादसों का प्रमुख कारण ओवरस्पीडिंग समझा जाता था लेकिन अभी हाल में दिनांक 13 अप्रैल को जो यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (येड़ा) ने सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत जो खुलासा हुआ है, उसमें कुछ और ही बात निकलकर आती है। सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवरस्पीडिंग नहीं बल्कि वाहन चालकों को नींद या झपकी आ जाना है। वर्ष 2012 से अब तक वर्ष 2023 के मध्य यमुना एक्सप्रेसवे पर जो हादसे हुये उसमें से 44.2 प्रतिशत हादसे वाहन चालक को झपकी आ जाने से हुये थे, जबकि हादसों का दूसरा मुख्य कारण ओवर स्पीडिंग था लेकिन उसकी वजह से 17.94 प्रतिशत ही हादसे हुये थे। यह सूचना वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को सूचना अधिकार के अन्तर्गत दी गयी है।
यदि यमुना एक्सप्रेसवे के सड़क हादसों की संख्या की बात करें, तो वर्ष 2012 से अब तक 7256 हादसे हुये जिनमें से झपकी लगने के कारण हुये हादसे 3207 थे और ओवर स्पीडिंग के कारण 1302 हादसे थे। इस अवधि में हादसों में 1242 लोगों की मौत हो गयी जिसमें से 488 लोगों की मौत झपकी आने से हुयी और 197 लोगों की मौत ओवर स्पीडिंग के कारण हुयी। इस अवधि में घायलों की संख्या 10520 थी जिसमें से 3873 लोग झपकी आने के कारण हुये हादसों में घायल हो गये और 1816 लोग ओवर स्पीडिंग के कारण घायल हुये।
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हादसों के अन्य कारणों में टायर बर्स्ट भी एक अन्य प्रमुख कारण रहा है जिसकी वजह से कुल 7256 हादसों में से 760 हादसे हुये जिनमें 90 लोगों की मौत हो गयी और 1219 लोग घायल हो गये। कोहरे की वजह से भी 341 हादसे हुये जिसमें 76 लोगों की मौत हो गयी और 679 लोग घायल हो गये। कोहरे की वजह से हादसों का प्रतिशत लगभग 4.7 था।
अधिवक्ता जैन ने कहा कि येड़ा द्वारा उपलब्ध कराये गये आंकड़े चौंकाने वाले हैं। वाहन स्वामियों को इस बात का ध्यान रखना है कि वाहन के ड्राइवर को नींद तो नहीं आ रही है, एक साथ वह कितने घण्टे ड्राइविंग कर चुका है, क्या यात्रा के दौरान ड्राइवर को राहत देने के लिए ब्रेक लिया है या नहीं। गंतव्य पहुंचने की जल्दी में लम्बी दूरियां एक साथ तय न करें और ड्राइवर को मशीन न समझें। आपकी जान उसके हांथ में है। इसलिए उसे भी उचित घण्टे सोने दें। अधिक थकान से भी झपकी आने का डर होता है। ब्रेक के दौरान चाय काफी ड्राइवर को जरूर पिलायें और बाहरी खाने से भी परहेज करें।
अधिवक्ता जैन ने यह भी मांग की केन्द्र सरकार द्वारा वाहन चालकों के लिए नियम बनाया जाना चाहिए कि वे वाहन कितने घण्टे एक साथ चला सकते हैं और क्या सावधानियां अपनानी चाहिए। केन्द्र सरकार द्वारा एडवाइजरी भी जारी की जानी चाहिए ताकि वाहन चालकों के मध्य जागरूकता आ सके।
येडा द्वारा 11 अप्रैल को उपलब्ध करायी गयी दूसरी सूचना में बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे पर 20 स्थानों पर इलैक्ट्रोनिक निगरानी के लिए कैमरे लगाये हुये हैं और कैमरों से प्राप्त हुये समस्त डाटा को ट्रैफिक पुलिस के लिए नेशनल इनफोरमेटिक सेन्टर (एनआईसी) के सर्वर को भेजा जाता है और येड़ा के पास गति उल्लंघन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इलैक्ट्रोनिक निगरानी व्यवस्था को एनआईसी के साथ अप्रैल 2018 से जोड़ दिया गया है ताकि चालान स्वतः हो सके।