आगरालीक्स…सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी समस्या है तो बेवजह एंटीबायोटिक न लें, घर की रसोई में जाएं, यहां प्राकृतिक फार्मेसी है. बेवजह एंटीबायोटिक दवाएं मांसपेशियों और दिमाग को बना रहीं कमजोर…पढ़े पूरी खबर
एंटीबायोटिक का बेवजह किया जाने वाला प्रयोग न सिर्फ सूक्ष्मजीवों की प्रतिरोधकता बढ़ाकर उन्हें ताकतवर बना रहा है बल्कि आपकी मांसपेशियों व न्यूरोन्स को भी कमजोर कर रहा है। जिससे लोगों में काम करने की क्षमता व याद्दाश्त कमजोर हो जाती है। हालांकि ऐसे साइड इफेक्ट का प्रतिशत फिलहाल काफी कम है, लेकिन बात चिन्ताजनक है। यह बात बीएचयू माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. प्रद्योत प्राकश ने जेपी सभागार में एसएन मेडिकल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट की दो दिवसीय कार्यशाला में एंटीबायोटिक के धड़ल्ले से हो रहे दुरुपयोग पर चिन्ता जाताते हुए कही।
कहा कि एंटीबायोटिक के बेवजह प्रयोग से न्यूरोलॉजिकल बीमारियां भी हो सकती है। बताया कि वायरल इनफेक्सन में भी लोग एंटी बायोटिक का प्रयोग करते हैं। ऐसे में आंतों पाचन क्रिया में मददगार अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं। ऐसे में डायरिया, मांसपेशियों का कमजोर होना जैसी समस्या बढ़ सकती है। कार्यशाला में क्लीनिकल व माइक्रोबायोलॉजीकल पैनल डिसकशन भी हुआ, जिसमें एंडीबायोटिक के दुरुपयोग को रोकने पर चर्चा हुई। चर्चा में मुख्य रूप से डॉ. राकेश भाटिया डॉ. डी हिमांशु रेड्डी, डॉ, राजीव पुरी, डॉ. जूही सिंघल थी। संचालन डॉ. फातिमा खान व डॉ. अरिना ने किया। साइंटिफिक सेशन में 300 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए।
गंगा नदी को निर्मल रखने वाले वायरस करेंगे बैक्टीरिया का इलाज
पर्यावरण में हर बैक्टीरिया मारने के लिए एक वायरस (बैक्टीरियोफाज) होता है। गंगा नदी में ऐसे वैक्टीरियोफज की अधिकता के कारण ही उसका जल स्वच्छ और निर्मल रहता है। अब जबकि एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग के कारण बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ रही है और दवाएं बेअसर हो रही है, ऐसे में बैक्टीरियोफाज जैसे वायरस से बैक्टीरिया को खत्म करने पर देश के विभिन्न बड़े संस्थानों में शोध चल रहा है। एम्स ऋषिकेष के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बलराम ओमर ने बताया कि विभिन्न बैक्टीरियोफाज की कॉकटेल बनाकर किसी विशेष बैक्टीरिया से होने वाले जख्म पर लगाकर शोध किए जा रहे हैं। यानि आने वाले समय में बैक्टीरिया के इलाज वायरस (बैक्टीरियोफाज) से किया जाएगा।
प्राकृतिक फार्मेसी हैं भारतीय रसोईयां
बीएचयू के डॉ. प्रद्योत प्रकाश ने एंडीबायोटिक के दुरुपयोग पर नियंत्रण के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय रसोईयां प्राकृतिक फार्मेसी हैं। जहां हल्दी, जीरा, अजवाइन, सौंठ जैसे कई मसालों के माध्यम से सर्दी, जुकाम, बुखार जैसी मामूली समस्या को दूर किया जा सकता है। परन्तु हम प्राकृतिक फार्मेसी से दूर होते जा रहे हैं। आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली एंटीबायोटिक का बेवजह प्रयोग बढ़ रहा है, जिससे सूक्ष्मजीवों में दवाओं के प्रति प्रतिरोधकता बढ़ रही है और इलाज महंगा और कठिन होता जा रहा है। घरेलू मसालों में पॉलीफिनोल जैसे ओर्गेनिक कम्पाउंड होते हैं जो बैक्यीरिया को चिपकने से रोकते हैं। यानि सब्जी दाल में पड़ने वाले मसाले प्रारम्भिक स्तर पर हमें संक्रमित होने से रोक देते हैं।
वॉकथॉन में घरेलू बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण को जागरूक
कार्यशाला के तहत वॉकथान का आयोजन किया। जिसका उद्देश्य घरेलू बायोमेडिकल वेस्ट के प्रति आमजन में जागरूकता पैदा करना था। वॉकथान का शुभारम्भ एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. प्रशान्त गुप्ता ने झंडी दिखाकर किया। कहा कि गलत तरीके से एक सीरिंज, कॉटन का निस्तारण भी बहुत घातक हो सकते है। इसलिए घर में इलाज के दौरान निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट का भी सही तरीके से निस्तारण बहुत आवश्यक है। खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार से प्रारम्भ होकर वॉकथॉन शहीद स्मारक पर पहुंची, जिसमें एसएनन मेडिकल कालेज के विद्यार्थियों सहित उप्र प्रदूषण बोर्ड के विश्नाथ भी मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत आयोजन सचिव डॉ. अंकुर गोयल व डॉ. विकास गुप्ता ने किया। डॉ. आरती के नेतृत्व में वॉकथॉन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. बीएम अग्रवाल, सचिव डॉ. अंकुर गोयल, सहसचिव डॉ. विकास कुमार, डॉ. आरती अग्रवाल, डॉ. प्रज्ञा शाक्य, डॉ. सपना गोयल, डॉ. पारुल गर्ग, डॉ. श्वेता सिंघल आदि मौजूद थीं।