आगरालीक्स…राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले और श्रीकृष्ण को नकारने वाले आज के असुर ज्यादा घातक. श्रीमद्भागवत कथा का परिक्षित मोक्ष की कथा के साथ कथा विश्राम
सुदामा इंद्रियों के बंधनों से मुक्त थे। वास्तव में यही मोक्ष है। इंद्रियों हमें अपने वश में न रखें बल्कि इंद्रिया हमारे अनुसार काम करें। यही वजह है कि धन का अभाव होने पर भी सुदामा दरिद्र नहीं थे, धनहीन थे। क्योंकि धनहीन के पास सिर्फ धन नहीं होता, जबकि दरिद्र हमेशा असन्तुष्ट और तृष्णा से पूर्ण होता है। श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा विजय नगर कालोनी स्थित स्पोर्टबज में आयोजित श्रीमद्बागवत कथा में आज कथा व्यास पूज्य श्री मृदुल कान्त शास्त्र ने कथा के अंतिम दिन सुदाना चरित्र, भगवान की गृहस्थी का वर्णन, जरासंध वध, शिशुपाल वध,यदुवंशियों को शाप, भगवान का गोलोक गमन, परिक्षित मोक्ष की कथा के साथ कथा को विश्राम दिया।
कहा पहले राजा व प्रजा ऋषि मुनियों व संतों का सम्मान करते थे। आज आडम्बर का सम्मान है। पहले ब्राह्मण राजा के सामने हाथ नहीं फैलाते थे। सुदामा चरित्र के वर्णन में कहा कि जो सच्चा मित्र होगा, उसके सामने आपको मांगने की आवश्कता नहीं होगी। सच्चा मित्र अपने सखा के मन की व्यथा को समझ सकता है। कहा आज के असुर ज्यादा घातक है क्योंकि उनमें आसुरी गुणों के साथ नास्तिकता भी है। जो राम के अस्तित्व पर प्रश्न करते हैं, श्रीकृष्ण को नकारते हैं। जबकि पहले असुरों में नास्तिकता नहीं थी, वह शिव महादेव और मां दुर्गा के भक्त होते थे। कैलाश पर उत्सव में श्रीकृष्ण ने अतिथियों की झूठी पत्तलें उठाई। ऐसी सेवा ठाकुर जी ने स्वीकार की।
ऐसा प्रेम हमें ठाकुर जी से हो जाए तो भगवान हमारे घर के उत्सव में भी ऐसी सेवा स्कीकार कर सकते हैं। वह भगवान इसलिए हैं क्योंकि वह छोटे बनकर रहते हैं। हम इंसान भी नहीं बन पाते क्योंकि हम छोटे रहकर बड़े बनना चाहते हैं। अपना नाम और सम्मान चाहते हैं। श्रीकृष्ण के 8 विवाह और भौमासुर से मुक्त कराई गईं 16 हजार सौ कन्याओं से विवाह के प्रसंग के साथ बताया कि अष्ठधा प्रकृति ही परमात्मा की आठ पत्नियां हैं। कथा के अंतिम दिन भगवान की गृहस्थी का वर्णन, जरासंध वध, शिशुपाल वध, यदुवंशियों को शाप, भगवान का गोलोक गमन, परिक्षित मोक्ष की कथा के साथ कथा को विश्राम दिया। आरती के उपरान्त सभी भक्तों को प्रसाद वितरण किया गया। विनती यही है राधा रानी, कृपा बरसाए रखना…,चले श्याम सुन्दर से मिलने सुदाना… जैसे भजनों पर श्रद्धालुओं ने खूब नृत्य किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, महामंत्री उमेश बंसल, संयोजक संजय गोयल, रमेश मित्तल, भगवानदास बंसल, अनिल अग्रवाल, संजय मित्तल जितेन्द्र बंसल, उमेश कंसल, मुख्य यजमान पदमचंद अग्रवाल व रेखा अग्रवाल राकेश शरद, प्रमोद अग्रवाल, अंशु अग्रवाल, मधु गोयल, शशि बंसल, मीनू त्यागी, हरि शंकर अग्रवाल, श्याम सुन्दर अग्रवाल, गोपाल गुप्ता, सतीश मांगलिक, सुरेश चंद गर्ग, वाईके गुप्ता, अजय अग्रवाल आदि उपस्थित थीं।