आगरालीक्स…आगरा के इन लोगों को नहीं है सरकारी आक्सीजन की जरूरत. पेड़ पर बिछाली खाट. बच्चे, बूढ़े और जवान सभी शामिल. पढ़ें कहां का है मामला
रोजाना 5 से 6 घंटे पेड़ के नीचे
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में लोगों को आक्सीजन की समस्या का बहुत सामना करना पड़ा. कई लोगों का आक्सीजन लेवल कम होने के कारण जान तक चली गई. लेकिन आगरा के में एक गांव में लोगों ने अपनी खाट पीपल के पेड़ पर बिछा ली है. इन लोगों का कहना है कि हमें सरकारी आक्सीजन की कोई जरूरत नहीं है. हमें तो पीपल के पेड़ के नीचे ही भरपूर आक्सीजन मिल रही है और न ही कोई परेशानी हो रही है. ये लोग रोजाना 5 से 6 घंटे लोग पीपल के नीचे ही गुजारते हैं. योग करते हैं और आराम करते हैं. गांव के बच्चा हो, बूढ़ा हो या फिर जवान. हर कोई पीपल के पेड़ के नीचे समय गुजा रहे हैं.
ताजगंज का गांव नौबरी का मामला
मामला ताजगंज के गांव नौबरी का है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गांव की आबादी इस समय करीब 3 हजार है. गांव के नये—नये प्रधान बने महिपाल ने मीडिया को दी जानकारी में बताया कि मई के शुरुआत में गांव के रहने वाले एक 40 साल के युवक और उसकी पत्नी की आक्सीजन लेवल कम होने से मौत हो गई है. इन लोगों को अस्पताल में आक्सीजन की समस्या का सामना करना पड़ा था. ऐसे में गांव के लोगों ने शहर में आक्सीजन की मारामारी को देखते हुए पेड़ के नीचे ही अपना बसेरा बना लिया. गांव के लोगों का कहना है कि सबसे ज्यादा आक्सीजन पीपल देता है. गांव में करीब तीन दर्जन पीपल के पेड़ हैं. ऐसे में ग्रामीणों ने आक्सीजन लेवल ठीक रखने के लिए पीपल के पेड़ पर ही अपनी खाट बिछा ली है.
दो सप्ताह से कर रहे योग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण करीब दो सप्ताह से पीपल के पेड़ के नीचे 5 से 6 घंटे गुजार रहे हैं. इसमें गांव के बुजुर्ग, जवान और बच्चे तक शामिल हैं. इनका कहना है कि हमें सरकारी आक्सीजन की कोई जरूरत नहीं है. हमें तो पीपल के पेड़ के नीचे ही भरपूर आक्सीजन मिल रही है. रोजाना सुबह योग किया जाता है. इसमें सभी लोग आते हैं. घरों में काम निपटाने के बाद महिलाएं भी अपना समय गुजारने के लिए आ जाती हैं. ग्रामीण रोजमर्रा के काम निपटाने के बाद अधिकतर समय अब पीपल के पेड़ों के नीचे ही गुजार रहे हैं. उनका कहना है कि हमें शुद्ध हवा मिलती है. अच्छा भी लगता है. उनका कहना है कि गांव के कई पीपल के पेड़ तो सौ साल से भी अधिक पुराने हैं.