पार्टी ने ऐसी ही कार्रवाई उनका साथ देने वाले आनंद कुमार और अजित झा के खिलाफ भी की है। इन्हें पार्टी की सदस्यता से भी हटाने की तैयारी कर ली गई है। फैसले के खिलाफ नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने भी पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। जबकि पार्टी संसदीय दल के नेता और पटियाला से लोकसभा सदस्य धर्मवीर गांधी ने ऐसी मनमानी के लिए खुल कर केजरीवाल गुट का विरोध किया है।
केजरीवाल का विरोध करने वाले नेताओं को अब पार्टी से पूरी तरह बाहर करने की तैयारी भी कर ली गई है। शनिवार को हुई बैठक में पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) को पार्टी के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर बयान देने वाले इन नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले खुद प्रशांत भूषण पार्टी ही अनुशासन समिति के प्रमुख थे।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भूषण इस पूरी कार्रवाई के खिलाफ कानूनी विकल्प अपना सकते हैं। विद्रोही नेताओं के समर्थन में मुंबई में मेधा के पार्टी छोड़ने की घोषणा के साथ ही सांसद गांधी ने भी प्रेस कांफ्रेंस करके पार्टी निर्णय से नाइत्तेफाकी जाहिर की। ऐसे में चार सांसदों वाली पार्टी को अब अपने एक वरिष्ठ सांसद के विरोध का भी सामना करना पड़ेगा।
इससे पहले शनिवार को बेहद नाटकीय तरीके से आप की राष्ट्रीय समिति की बैठक में केजरीवाल विरोध का झंडा बुलंद किए चार नेताओं को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर करने का प्रस्ताव पारित किया गया। पार्टी ने दावा किया है कि राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता की ओर से पेश किए गए प्रस्ताव के पक्ष में 247 मत पड़े। दस सदस्यों ने इसका विरोध किया जबकि 54 ने मतदान में भाग नहीं लिया।
हालांकि यह प्रस्ताव पारित होने से पहले ही भूषण, यादव, कुमार और झा बैठक से बाहर आ गए। उन्होंने बाहर आकर आरोप लगाया कि बैठक पूरी तरह से फर्जी थी और इसमें सदस्यों के साथ मार-पीट की गई। सुबह बैठक की शुरुआत में पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने भाषण में ही इस कार्रवाई की भूमिका बांध दी।
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