After the Amarnath cave, now the cloud burst in Doda, know why the Meteorological Department does not know
आगरालीक्स… बाबा बर्फानी की गुफा के बाद अब जम्मू-कश्मीर के डोडा में बादल फटा। जानिये आखिर क्यों फटते हैं बादल। मौसम विभाग को क्यों नहीं चलता पता।
बाबा अमरनाथ यात्रा रुकी, राहत कार्य अभी जारी
देश के पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। अमरनाथ यात्रा के दौरान शुक्रवार को बादल फटने से 15 लोगों की मौत हुई है। कई लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य अभी जारी हैं। अमरनाथ यात्रा को फिलहाल रोक दिया गया है।
दस घंटे बाद डोडो गुंटी में बादल फटा, गाड़ियां तबाह
इस घटना के 10 घंटे बाद जम्मू-कश्मीर के डोडा गुंटी में आज सुबह चार बजे बादल फट गया। इससे बाढ़ के हालात बन गए। कई गाड़ियां पानी में मलबे में बर्बाद हो गईं। बाढ़ का पानी मिलट्री कैंप में भी घुस गया। हादसे में जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
मैदानी इलाकों में ज्यादा फटते हैं बादल
मौसम विज्ञानियों और आगरा के दयालबाग शिक्षण संस्थान के पर्यावरण वैज्ञानिक रंजीत कुमार के मुताबिक उत्तर भारत के कुछ मैदानी इलाकों के अलावा पहाड़ी मैदानों में बादल फटने की घटनाएं होती हैं। पहाड़ी इलाकों में मौसम की स्थिति बादल फटने के लिए ज्यादा अनुकूल हो जाती है, जिससे वहां ज्यादा और तेजी बादल फटते हैं औऱ नुकसान भी ज्यादा होता है।
एक घंटे में 10 सेंटीमीटर बारिश बादल फटना
मौसम विभाग के अनुमानों के मुताबिक एक घंटे में 10 सेंटीमीटर उससे ज्यादा बारिश छोटे इलाके में होने को बादल फटना कहा जाता है। कभी-कभी एक जगह पर एक से ज्यादा बादल फट सकते हैं। इससे नुकसान ज्यादा होता है लेकिन हर बारिश बादल फटना नहीं है।
क्या कारण होते हैं बादल फटने के
मानसून की हवाएँ दक्षिण में अरब सागर से अपने साथ कुछ नमी लेकर आती हैं और भूमध्य सागर से चलने वाली हवाओं से टकराती है तो कम समय में ज्याद नमी से भरे बपादल छोटे इलाकों के ऊपर बन जाते हैं औऱ ज्यादा बारिश होती है, यह बादल फटना कहलाता है। इसके अलावा मौसमी परिस्थितियां भी बादल फटने की वजह बनती हैं।
मौसम विभाग नहीं लगा पाता पूर्वानुमान
बादल फटने की घटनाएं एक से दस किलोमीटर के दायरे में होने और छोटे पैमाने पर हुए मौसमी बदलाव की वजह से मौसम विभाग को इसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है। बड़े इलाकों में ज्यादा बारिश का पूर्वानुमान तो लगया जा सकता है लेकिन छोटे इलाकों में बादल फटने का पता लगाना मुश्किल होता है।