आगरालीक्स…(29 January 2022 Agra News) आगरा की सभी 9 विधानसभा सीटों पर काबिज भाजपा का वर्चस्व तोड़ने को विपक्ष दे रहा इस बार कड़ी चुनौती. जानिए कहां—कहां है इस बार रोचक मुकाबला
आगामी विधान सभा चुनाव में आगरा में विपक्ष के सामने भाजपा का वर्चस्व तोड़ने की चुनौती होगी। 2017 के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था तथा सभी नौ सीटे जीत ली थीं। इस बार सपा-रालोद गठबंधन, बसपा और कांग्रेस के सामाने भाजपा के मजबूत किले में घुसपैठ करने की चुनौती होगी। इस बार आम आदमी पार्टी भी आठ प्रत्याशियों के साथ चुनाव मैदान में है।
भाजपा ने भी बदले अपने पांच प्रत्याशी
इस बार बार भाजपा ने अपने सिटिंग एमएलए में से पांच बदल दिये हैं। पुराने चार प्रत्याशियों योगेन्द्र उपाध्याय, जीएस धर्मेश, पुरुषोत्तम खंडेलवाल और रानी पक्षालिका सिंह को रिपीट किया है। भाजपा ने एत्मादपुर सीट पर सपा से आए डा. धर्मपाल सिंह को टिकट दिया है। इसी तरह फतेहाबाद और खेरागढ़ सीट पर प्रत्याशियों को बदलते हुए क्रमश: छोटेलाल वर्मा और भगवान सिंह कुशवाह को टिकट दिया है। इन तीनों ही सीटों पर प्रत्याशी बदले जाने का विरोध हुआ है। फतेहपुरसीकरी और आगरा ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्याशी बदले जाने का कोई विरोध नहीं है। फतेहपुरसीकरी में मंत्री उदयभान सिंह की जगह बाबूलाल को प्रत्याशी बनाया गया है जबकि आगरा ग्रामीण सीट से हेमलता दिवाकर की जगह पूर्व राज्यपाल बेबीरान मौर्य को अपना उम्मीदवार बनाया है।
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विपक्षी दलों के प्रत्याशियों से मिल रही कड़ी टक्कर
नए-पुराने उम्मीदवारों के साथ भाजपा को सभी सीटों पर विरोधी दल के प्रत्याशियों की कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। बात यदि सपा-रालोद गठबंधन की करें तो आगरा की नौ सीटों में से छह पर सपा और तीन पर रालोद ने अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। रालोद ने फतेहपुरसीकरी सहित खेरागढ़ और आगरा ग्रामीण पर अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं। रालोद पिछले दो दशक से आगरा जनपद में कोई चुनाव नहीं जीत सका है। लगभग बीस साल पहले 2002 के चुनाव में रालोद ने दो सीटों एत्मादपुर और फतेहपुरसीकरी में विजय हासिल की थी। तब से रालोद को आगरा में अपना खाता खोलने का इंतजार है।
सपा, रालोद मिलकर हुए मजबूत
सपा को भी पिछले चुनाव में भाजपा के मुकाबले एक भी सीट नहीं मिली थी। इस बार उसका गठबंधन रालोद से है। इसलिये दोनों दलों की ताकत पहले से मजबूत हुई है। सपा के उम्मीदवार छह सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। सपा ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर उम्मीदवार उतारे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस को आगरा जनपद में चुनाव जीते हुए तीन दशक से भी ज्यादा समय हो गया है। कांग्रेस हर चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारती रही है लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा है। इस बार भी सभी नौ सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनौती दे रहे हैं।