आगरालीक्स…आगरा मेट्रो के अंडरग्राउंड स्टेशनों के लिए काम तेजी से चल रहा है. टनल निर्माण के लिए महुआखेड़ा में तैयार हो रहे हैं प्रीकास्ट रिंग के सेगमेन्ट्स…
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा महुआखेड़ा स्थित नए कास्टिंग यार्ड में आगरा मेट्रो के भूमिगत भाग में टनल निर्माण हेतु रिंग के सेगमेन्ट्स की कास्टिंग की जा रही है। आगरा मेट्रो के लगभग 7 कि.मी. लंबे भूमिगत भाग में 5.8 मीटर व्यास की दो समानांतर सुरंगों के निर्माण हेतु 8300 रिंग का प्रयोग किया जायेगा। आगरा मेट्रो के लिए प्रयोग की जाने वाली एक रिंग की चौड़ाई 1.4 मीटर होगी।
टनल निर्माण की प्रक्रिया में टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) द्वारा मिट्टी की कटाई के बाद टीबीएम के जरिए इन रिंग सेगमेंट्स को लगाकर बाद टनल का निर्माण किया जाएगा है। प्रीकास्ट तकनीक से निर्मित रिंग के 6 अलग-अलग सेगमेंट्स मिलकर 5.8 मीटर व्यास की एक रिंग का निर्माण करेंगे। टनल रिंग के सभी सेगमेंट्स एक-दसरे से इंटरलॉक्ड होने के साथ ही पिछली व अग्रिम रिंग के साथ इंटरलॉक्ड होंगे। इसी क्रम में टनल का निर्माण किया जाएगा।

बता दें कि टनल निर्माण की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले टीबीम की लॉन्चिंग हेतु एक लॉन्चिंग शाफ्ट का निर्माण किया जाता है। इस बाद गैन्ट्री क्रेन की मदद से टनल बोरिंग मशीन के विभिन्न हिस्सों को लॉन्चिंग शाफ्ट में उतार कर उन्हें असेम्बल किया जाता है। इसके बाद टीबीएम के पिछले हिस्से में कास्टिंग यार्ड में प्रीकास्ट तकनीक से निर्मित टनल रिंग के हिस्सों को रखा जाता है। एक टीबीएम मशीन एक दिन में औसतन 10 मीटर टनल का निर्माण करती है। आगरा मेट्रो टनल की औसत गहराई लगभग 16 मीटर होगी, जबकि अधिकतम 20 मीटर होगी।
टनल बोरिंग मशीन विभिन्न हिस्सों में विभाजित होती है।
टीबीएम के सबसे अग्रिम हिस्से को कटिंग हैड कहा जाता है, जिसकी मदद से सुरंग की खुदाई की जाती है। आगरा मेट्रो द्वारा प्रयोग की जाने वाली टीबीएम का डायामीटर 6.6 मीटर होगा। कटिंग हैड में एक विशेष किस्म के केमिकल के छिड़काव की भी व्यावस्था होती है, जो कि कटिंग हेड पर लगे नॉज़ल के द्वारा मिट्टी पर छिड़का जाता है। इस केमिकल की वजह से मिट्टी कटर हैड पर नहीं चिपकती और आसानी मशीन में लगी कनवेयर बेल्ट की मदद मशीन के पिछले हिस्से में चली जाती है, जहां से ट्रॉली के जरिए मिट्टी को टनल से बाहर लाकर डम्पिंग एरिए में भेज दिया जाता है। इसके साथ ही मशीन के पिछले हिस्से में प्रीकास्ट रिंग सेगमेंट को लॉन्च करने की व्यवस्था भी होती है।
गौरतलब है कि ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे. इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी. लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए कालिंदी विहार क्षेत्र में डिपो का निर्माण किया जाएगा।