आगरालीक्स….आगरा में एक मां—बेटी की कहानी. जिस बेटी को जन्म नहीं दिया उसे पाने के लिए मां की ममता और संघर्ष कर देगा भावुक. 17 महीने बाद हुआ मां—बेटी का मिलन…
आगरा में मां—बेटी की एक ऐसी कहानी आई है जिसे पूरा पढ़ने के बाद आप भावुक हो जाएंगे. मां ने जिस बेटी को जन्म नहीं दिया लेकिन उसे पाने के लिए संघर्ष कर दिया. आखिरकार 17 महीने बाद मां की ममता जीती और दोनों मां बेटी का भावुक मिलन हुआ.
9 साल पहले मिली थी बच्ची
घटना टेढ़ी बगिया की रहने वाली एक महिला की है. एक किन्नर नवजात बच्ची को लेकर इस महिला के पास लेकर आया और उसे सौंप दिया. किन्नर ने महिला से कहा कि इस बच्ची को कोई खुले में छोड़ गया था. चार बच्चे होते हुए भी महिला ने इस नवजात बच्ची का पालन पोषण किया. बड़ी होने पर उसका स्कूल में एडमिशन भी कराया. लेकिन सात साल बाद अचानक वह किन्नर फिर आ गया और बच्ची को अगवा करके ले गया. महिला ने इसकी शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने बच्ची को फर्रूखाबाद से मुक्त करा लिया. फर्रूखाबाद बाल कल्याण समिति ने बच्ची के बयान के आधार पर महिला को बच्ची सौंप दी, लेकिन आठ माह बाद ही बाल कल्याण समिति आगरा ने कमजोर आर्थिक स्थिति का आधार बनाते हुए बच्ची को फिर बाल गृह भेज दिया था. 17 महीने से बच्ची बाल गृह में निरुद्ध है.
दंपत्ति ने कहा—यह बच्ची हमारी, लेकिन डीएनए नहीं किया मैच
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब एक दंपत्ति ने इस बच्ची को अपना जैविक माता पिता बताया और हाईकोर्ट में दावा कर दिया. दंपत्ति ने दावा किया कि 2015 में उनकी नवजात बच्ची को अगवा कर लिया गया था जिसकी एफआईआर उन्होंने एत्माद्दौला में दर्ज कराई थी. कोर्ट ने दंपति को प्रतिवादी के रूप में जोड़ने की अनुमति देते हुए डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया था. टेस्ट रिपोर्ट कोर्ट में पेश हुई. लेकिन यह रिपोर्ट बेमेल निकली जिसके बाद हाईकोर्ट ने बच्ची को उसकी पालनहार मां को ही सौंपने का फैसला सुनाया है.
17 माह बाद हुआ मिलन
अपने संघर्ष और ममता के बल पर पालनहार मां का आज अपनी इस बेटी से मिलन हुआ. यह मिलन काफी भावुक कर देने वाला रहा. न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने पालनहार मां को बेटी गोद देने की प्रक्रिया एक हफ्ते में पूरी करने का निर्देश दिया है. मां को यह बेटी सुपुर्द करने का आदेश दिया है. पालनहार मां का कहना है कि इस पूरे संघर्ष में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने उनका हर जगह साथ दिया. हर सुनवाई में हाईकोर्ट में मौजूद रहे. याचिका लिखवाने से लेकर दमदार पैरवी की.पालनहार मां कहती हैं कि नरेश पारस का साथ नहीं मिलता तो उनको बेटी कभी नहीं मिल पाती.