Agra news: Guava blossoms in Agra, giving wonderful flavor as a sweet vegetable in wedding feasts
आगरालीक्स… आगरा में अमरूद की बहार। सेब के बाद अमरूद, सिंघाड़े की भरमार। सासनी का अमरूद इस बार गायब। शादियों में अमरूद की सब्जी का जायका लुभा रहा।
पेड़े हो रहे हैं अमरूद की आवाज के साथ बेच रहे ठेलवाले
आगरा में इस बार सेब के बाद अमरूद की बहार बनी हुई है। इस बार अमरूद की बंपर फसल होने के कारण बाजार में फुटकर में अमरूद 20 रुपये किलो से 50 रुपये किलो तक बिक रहा है।
क्वालिटी भी बेहतर, स्वाद में भी लाजवाब
इस बार अमरूद की किस्म भी अच्छी आई है, जिसकी वजह से अमरूद कई दिन तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ मीठा भी है, जिसकी वजह से लोगों में बेहद पसंद किया जा रहा है।
थोक में मंडी में और ज्यादा मिल रहा है सस्ता
घटिया आजम खां के एक फल विक्रेता ने बताया कि इस बार अमरूद सासनी की जगह राजस्थान के कुछ इलाकों से आया है, जहां इसकी अच्छी फसल हुई है। मंडी में इसके भाव भी कम हैं। हालांकि कुछ दगीला अमरूद जरूर 20 रुपये किलो भी बिक रहा है। लेकिन इस बार खास बात यह है कि इसमें कीड़ा नहीं लगा है।
शादियों की दावत में अमरूद की मीठी सब्जी
अमरूद की अच्छी किस्म आने के कारण शादियों की दावत में हलवाई इस बार मीठे अमरूद की सब्जी भी बना रहे हैं, जिसका जायका बेहद खास होने के कारण। लोग इसे काफी पसंद कर रहे हैं। साथ ही यह अमरूद की सब्जी अन्य सब्जियों की अपेक्षा सस्ती भी पड़ रही है।
सासनी का आम नहीं छोड़ पाया अपनी इस बार छाप
आगरा के पड़ोसी जिले सासनी में भी अमरूद की फसल खासी होती है लेकिन इस बार सासनी का अमरूद अपनी इतनी छाप नहीं छोड़ पाया है। सासनी के गांव समामई, रुहल , खेड़ा फिरोजपुर, रुदायन, धुमरपुर आदि में खेती की जाती है। सासनी का अमरूद आसपास के जिलों में कम दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा और एमपी में ज्यादा सप्लाई किया जाता है।
आगरा में अभी लाल अमरूद नहीं आया
सर्दियों में ला अमरूद भी आता है, जो अंदर से लाल सुर्ख और बिना बीज का होता है। लेकिन अभी इस अमरूद की आमद शुरू नहीं हुई है।
जापनीज अमरूद होता है अंदर से लाल सुर्ख
मूलतः यह लाल अमरूद जापनीज अमरूद होता है लेकिन अब भारत के एमपी आदि प्रदेशों में इसकी खेती होनी शुरू हो गई है। लेकिन इसकी अच्ची क्वालिटी अभी भी आयात की जाती है। साइज में बड़े इस अमरुद का भीतरी रंग तरबूज जैसा लाल सुर्ख और बिना बीज वाला होता है। इस मौसम में इसकी कुछ आवक शुरू हो गई है। मप्र के किसानों का रुख भी इसकी खेती को लेकर बढ़ा है।
सिंघाड़े की फसल भी अच्छी हुई
अमरूद के साथ इस बार सिंघाड़े की फसल भी काफी अच्छी हुई है। इस वजह से सिंघाड़ा भी 20 से चालीस रुपये प्रतिकिलो मिल रहा है।