Agra News: Importance of relationships in family life told in Shri Ram Katha going on in Agra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में चल रही श्रीराम कथा में बताया गृहस्थ जीवन में संबंधों का महत्व. कथावाचक ने शिव—पार्वती विवाह प्रसंग सुनाया. श्रीराम जन्म की कथा होगी कल
जीवन को आनंदमय, सुखमय और भक्तिमय बनाने की सीख श्रीराम कथा के माध्यम से दे रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज। श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर न्यास द्वारा लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में आयोजित सात दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन भगवान शिव एवं पार्वती जी के विवाह का प्रसंग हुआ। सर्वप्रथम मुख्य यजमान सुमन एवं बृजेश सूतैल सहित दैनिक यजमान सविता एवं पीयूष अग्रवाल ने व्यास पूजन किया।
दूसरे दिन के कथा प्रसंग में कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज ने स्वर्ग एवं नरक की सुंदर व्याख्या करते हुये कहा कि मनुष्य जब अपनी अज्ञानतावश भौतिक सुख देख दुराचार, पापाचार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है, तो उसे नरकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता एवं बार बार जीवन मरण लीला में भटकता रहता है। उन्होंने बताया कि कलियुग में श्रीमद् भगवत् एवं श्रीरामचरित मानस रूपी गंगा ही प्राणी को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा का परमात्मा से मिलन करा सकती है, यानि स्वर्ग की प्राप्ति संभव है। इस कलियुग में केवल राम-नाम एवं सत्संग ही मोक्षाधार हैं।
उन्होंने गृहस्थ जीवन कैसे होना चाहिए, पति पत्नी के मध्य सम्बंध कैसे होने चाहिए, इस पर कहा कि यह सब भगवान शिव से सीखने को मिलता है। कौन सी बात पत्नी को बतानी चाहिये, कौन सी बात नहीं बतानी चाहिये यह भी भगवान शिव बताते हैं। पिता, मित्र, स्वामी व गुरु के घर बिना बुलाये जाना चाहिये, परन्तु जब कोई समारोह हो तो बिना बुलाए नहीं जाना चाहिये। ऐसी स्थिति में अपमानित होने के अलावा कुछ भी नहीं मिलता। पत्नी यदि किसी विषय पर हठ करे तो उसे कैसे समझाना चाहिये- यह भगवान शिव से सीखना चाहिये। यदि पत्नी न माने तो भगवान भरोसे छोड देना चाहिये। गृहस्थ जीवन में तनाव खड़ा करने से कुछ लाभ नहीं होता है। समस्या का समाधान खोजना चाहिये। आज परिवार में माता-पिता, पति-पत्नी, पुत्र−पुत्री भाई− बहन ही बातें नहीं मानते तो समाज का भरोसा कैसे किया जाए। समस्या चाहे कितनी बढ़ी ही क्यों न हो मन और बुद्धि को शांत रखते हुये उस पर विचार करने से उसका निवारण हो जाता है।
कथा व्यास ने कहा कि मनुष्य आज औसत 70 वर्ष की आयु जी रहा है। यदि इससे अधिक आयु है तो समझिये बोनस प्राप्त है। मनुष्य के जीवन में चार पड़ाव आते हैं उसका पूर्ण सदुपयोग करना चाहिये। अंतिम समय में जो सन्यास आश्रम की बात पुराणों में कही गयी है, उसका भी उसे पालन करना चाहिये लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वह घर-परिवार को छोडकर चला जाए। बल्कि घर को ही बैकुण्ठ बनाए। हनुमान जी की तरह भगवान के नाम का सुमिरन और कीर्तन करते रहे। उन्होंने कहा कि शरीर का सम्बंध स्थाई नहीं होता। स्थाई सम्बंध तो आत्मा का परमात्मा से होता है, इसलिये मनुष्य को अपनी सोच का दायरा बढाना चाहिये, उसे संकुचित नहीं करना चाहिये। मनुष्य को “सियाराम में सब जग जानी” के सिद्धांत पर जीना चाहिये। सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिये।
श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर सेवायत सुनीत गोस्वामी एवं प्रशासक दिनेश पचौरी ने बताया कि मंगलवार को कथा के तीसरे दिन श्रीराम जन्म होगा। कथा के समापन पर प्रतिदिन भक्तों के लिए प्रसादी की व्यवस्था रखी गयी है। कथा प्रसंग सुनने के लिए चौधरी उदयभान, दिनेश जी, विभाग प्रचारक आनंद जी, राकेश मंगल, हरि शंकर, शिवम् शिवा, आदर्श नंदन गुप्त, विशाल पचौरी, अखिलेश अग्रवाल, मनोहर सिंह धाकड़, एसके समाधिया, प्रकाश धाकड़, पीयूष गोयल, राजेश धाकड़, राधा रानी, साधना अग्रवाल, आशीष सिंघल, आशीष पचौरी आदि उपस्थित रहे।