Agra News: More than 150 meritorious people were honored in the Youth Fest Geeta Olympiad in Agra…#agranews
आगरालीक्स…चिंता और दुख से बचने को लें गीता का ज्ञान. इस्कॉन द्वारा सूरसदन में आयोजित यूथ फैस्ट गीता ओलम्पियाड (शंखनाद) में डेढ़ सौ से ज्यादा मेधावियों को मिला सम्मान
गीता वो शास्त्र है जो सम्पूर्ण विश्व को सुखी कर सकता है। सभी वेद पुराण पुर्लिंग और स्त्रीलिंग हैं। इसलिए श्रीमद्बागवत गीता को माता का दर्जा दिया गया है। म का अर्थ हैं जहां न हो आर त का अर्थ है दुख। जिसकी शरण में रहने से दुख न हो वह वह माता कहलाती है। संसार में बहुत चिन्ता है, इसलिए लोग दुखी हैं। भगवान की शरण में जाने से ही चिन्ता और दुख से मुक्त हो सकते हैं। चिता मृत मनुष्य को जलाती है तो वहीं चिंता जीवित मनुष्य को जला देती है इसलिए चिंता और चिता से बचने के लिए संतों की शरण में गीता का ज्ञान लें यह बात इस्कॉन के चेयरमैन देवकीनन्दन प्रभु ने आध्यात्म में विश्वास विषय पर अपने व्याख्यान में कही।
सूरसदन में आयोजित लायन्स क्लब प्रयास के सहयोग से इस्कॉन द्वारा आयोजित यूथ फैस्ट गीता ओलम्पियाड (शंखनाद) कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कहा कि जो व्यक्ति भगवत गीता के शरण में रहता है, उसे कोर्ट में जाकर गीता की कसम नहीं खानी पड़ती। यानि वह गलत कार्यों से दूर रहता है। किसी भी काम को करने के लिए श्रद्धा बहुत जरूरी है। धीरे धीरे जब श्रद्वा सुदृढ़ होती है तो वह विश्वास के रूप में परिणीत हो जाती है। आम एक ही है परन्तु कच्चा होने पर वह हरा लेकिन पकने पर पीले रंग का हो जाता है। श्रद्धा इनबिल्ड सिस्टम है हमारे अंदर। इसे सुद्धढ़ और परिपक्व करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है। एक पंडित जी व मोची की कथा के माध्यम से ईश्वर पर श्रद्धा के भाव का अर्थ समझाया।
आध्यात्म की शुरुआत खुद को जानने से होती है। जीवन के प्रारम्भ से अंत तक ब्रह्म जिज्ञासा होना और इस प्रश्न का उत्तर जान लेना कि मैं कौन हूं, यही आध्यात्म है। महात्मा गांधी कहते थे कि धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सब कुछ गया। परन्तु आज इसका उल्टा हो रहा है। चरित्र गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया कुछ गया और धन गया तो सब कुछ गया। व जीवन यही जानने के लिए है कि मैं कौन हूं, और वहां तक पहुंचने के लिए चरित्र और आचरण बहुत जरूरी है। बच्चों को चरित्रवान और अच्छे आचरण देने हैं तो बच्चों को सिखाने से पहले खुद उस पर अमल करें। बच्चे खुद ब खुद सीख जाएंगे। आचरण जीवन में अनुशासन लाता है। आज जीवन से आचरण और अनुसासन गायब हो गए हैं।
भारत की असली धरोहर है आध्यात्म
कानपुर इस्कॉन मंदिर के उपाध्यक्ष नीलमणी ने कहा कि हमारी वैदिक गुरुकुल शिक्षा प्राणाली के तीन स्तर होते थे। आत्म, चरित्र और कला ज्ञान। सबसे आसान कला ज्ञान, उसके बाद चरित्र और फिर सबसे कठिन आत्मज्ञान है। एक इंजीनियर बनने के लिए मात्र चार वर्ष, चरित्र निर्माण करने में वर्षों और आत्म का साक्षात्कार करने में जीवन निकल जाता है। परन्तु आज की शिक्षा प्रणाली में युवाओं को सिर्फ कला ज्ञान दिया जा रहा है। चरित्र ज्ञान का आधार आत्म ज्ञान है। तीनों ज्ञान के बिना युवाओं का समुचित विकास सम्भव नहीं। जीवन में नैतिकता आत्मज्ञान के बिना सम्भव नहीं। हमें अनैतिकता का मौका नहीं मिलता इसलिए हम नैतिक बने हुए हैं। ट्रैफिक पुलिस न खड़ी हो तो लोग लाल बत्ती भी क्रास कर जाते हैं। चरित्र नीचे जा रहा है क्योंकि आध्यात्म नहीं है। दुर्भाग्य से आज सिर्फ कला ज्ञान के बारे में ही बात हो रही है। प्रभुपाद जी कहते थे भारतीय डायमंड पर बैठें है और टूटे कांच के लिए भीख मांग रहे हैं। क्योंकि हमारी असली धरोहर आध्यात्म है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मोहा सभी का मन
सूर सदन सभागार उस समय तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा जब रुचि शर्मा के मार्गदर्शन में इस्कॉन द्वारा आयोजित गीता ओलंपियाड पुरस्कार समारोह में सांस्कृतिक प्रस्तुति बच्चों ने प्रस्तुत की। मयूर नृत्य के साथ भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी की अलौकिक छवि के किरदारों ने हरे रामा हरे कृष्णा संकीर्तन पर प्रस्तुति देकर सभी का मनमोह लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रील प्रभुपादजी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्लित कर किया। इस अवर पर मुख्य अतिथि उप्र महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान, आगरा इस्कॉन के अध्यक्ष अरविन्द प्रभु, शैलेन्द्र अग्रवाल, कामता प्रसाद अग्रवाल, आशु मित्तल राहुल बंसल, सुनील मनचंदा, सुशील अग्रवाल, संजीव बंसल, संजय कुकरेजा, राजेश उपाध्याय, ओमप्रकाश अग्रवाल, राजनारायण प्रभु, नितेश अग्रवाल, सुरेश चंद प्रभु रेखा अग्रवाल, सुशील गुप्ता अदि उपस्थित थे।