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Agra News: Seminar held in Agra on the commemoration day of 1857 revolution…#agranews

आगरालीक्स…क्या आपको पता है कि 1857 की क्रांति के समय आगरा में कहां—कहां घटनाएं हुई थीं. आगरा में कौन था इस क्रांति का पहला नाम. इतिहासिकारों ने बताई एक—एक बात और सेनानियों को किया नमन

इतिहास संकलन समिति ब्रज प्रान्त ने क्रांति दिवस पर आयोजित की संगोष्ठी
1857 की क्रांति के स्मृति दिवस पर इतिहास संकलन समिति, ब्रज प्रांत द्वारा बुधवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने 1857 से लेकर स्वतन्त्रता प्राप्ति तक, आगरा में हुई क्रांतिकारी घटनाओं को रेखांकित करते हुए उनका नमन किया। स्वाधीनता सेनानियों के परिजनों का अभिनंदन किया गया। बल्केश्वर के संत रामकृष्ण महाविद्यालय में आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक आनंद थे। उन्होंने कहा कि 1857 की क्रांति के दौरान रोटी और कमल योजना के माध्यम से पूरे भारत को आजादी के लिए जोड़ने का एक अभियान था। इस क्रांतिकारी घटना को अंग्रेजों और कुछ इतिहासकारों ने गदर और विद्रोह कहकर इसके महत्व को कम किया। क्रांति 10 मई 1857 को प्रारंभ हुई, किंतु आगरा के एत्मादपुर क्षेत्र के एक गांव में श्री लक्ष्मण सिंह के नेतृत्व में क्रांति की ज्वाला शुरू हो गई थी। एत्मादपुर क्षेत्र के अतिरिक्त किरावली, मघटई, दहतौरा, सुचेता, फतेहपुर सीकरी इत्यादि आगरा में क्रांति के केंद्र बिंदु रहे।

संगोष्ठी की अध्यक्षता इतिहास संकलन समिति, ब्रज प्रांत के अध्यक्ष प्रो सुगम आनन्द ने की। उन्होंने कहा कि जो पीढ़ियां अपने पूर्वजों को जानती व सम्मान करती हैं, उनका भविष्य सदैव मंगलमय होता है। वर्तमान में हालात यह हैं कि हम अपने आसपास के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों, क्रांति तीर्थों और महान क्रांतिकारियों को ही नहीं जानते हैं। भारतीय इतिहास लेखन में हुई विकृतियों को सुधारने की आवश्यकता है और इतिहास संकलन समिति पूरे देश में इस कार्य को बखूबी कर रही है। उन्होंने कहा की अंग्रेजों ने तो भारतीयों में हीनभावना भरने के लिए भारतीय इतिहास को विकृत किया, किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी इसमें सुधार न हो पाना आश्चर्यजनक है।

इससे पूर्व सेंट जॉन्स कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ. रुचि अग्रवाल ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से आगरा के प्रमुख क्रांति तीर्थों को प्रदर्शित करते हुए उनकी ऐतिहासिक जानकारी प्रदान की। वरिष्ठ पत्रकार एवं इतिहास संकलन समिति के संयुक्त मंत्री डॉ भानु प्रताप सिंह ने 1942 में आगरा के चमरौला रेलवे स्टेशन पर हुई क्रांतिकारी घटना का विस्तृत उल्लेख किया। उन्होंने कहा 1942 में रक्षाबंधन के दिन सैकड़ों रणबांकुरों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए ब्रिटिश सरकार को सबक सिखाने के लिए चमरौला स्टेशन पर धावा बोला। पुलिस गोली से कई युवा शहीद हुए और अनेकों को गिरफ्तार भी किया गया। गोली लगने से घायलों में एक उल्फत सिंह यादव ने सरकारी कर्मचारियों के हाथ से यह कहकर पानी पीने से इंकार करते हुए अपनी जान दे दी कि, “तुम अंग्रेजो के पिट्ठू हो, मैं तुम्हारे हाथ से पानी नहीं पी सकता।”

संगोष्ठी संयोजक एवं वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन गुप्त ने 1942 में आगरा में चुंगी के मैदान दरेसी पर हुई सभा और उसमें शहीद हुए युवा परशुराम की घटना का स्मरण कराया। उन्होंने कहा कि इस सभा की अध्यक्षता करने वाले स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल मित्तल जी को स्वतंत्रता के बाद विधायक बनाया गया था किंतु उन्होंने त्यागपत्र देकर एक संत का जीवन जीना पसंद किया और आचार्य विनोबा भावे के अभियान में शामिल हो गए थे। संगोष्ठी का संचालन करते हुए इतिहास संकलन समिति ब्रज प्रांत के महामंत्री डॉ तरुण शर्मा ने आगरा के विभिन्न क्रांति तीर्थों और वहां हुई स्वतंत्रता संघर्ष की घटनाओं का रोचक उल्लेख किया। उन्होंने 1857 में आगरा कॉलेज पुस्तकालय में क्रांतिकारियों द्वारा आग लगाकर अंग्रेजों को मारने की घटना, हरीपर्वत थाने के गेट पर बम विस्फोट, रामनगर कॉलोनी क्षेत्र की कोठी में इनकम टैक्स विभाग में क्रांतिकारियों द्वारा आगजनी, जगनेर के सरेंधी गांव में थानेदार की पिटाई और उसके बाद प्रचलित लोकगीत “अब डर काहे को भरतार, सरेंधी में पिट गयो थानेदार” की जानकारी दी।

कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण में संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय के संस्थापक मनमोहन चावला ने कहा की वर्तमान में भारत को विश्व गुरु बनाने का जो माहौल बना हुआ है उस वातावरण में भारतीयों को इतिहास की वास्तविक एवं प्रेरक जानकारी होना जरूरी है। इसी उद्देश्य से यह संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए रविकांत चावला ने इस प्रकार की संगोष्ठी आयोजित करने का सुझाव दिया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ मोहिनी तिवारी भी मंचासीन रहीं। इस अवसर पर संस्कार भारती के डॉ राज बहादुर सिंह, आलोक आर्य, सरस्वती विद्या मंदिर, कमला नगर के प्रधानाचार्य कृष्ण कांत द्विवेदी, इतिहास संकलन समिति, आगरा के शिवम कुमार, सुनील सिंह, भूपेन्द्र राघव, शिवकांत लवानिया, भरत सिंह सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और महाविद्यालय की शिक्षिकाओं की उपस्थिति रही।

इनका हुआ सम्मान
इस अवसर पर आगरा के विभिन्न क्रांतिकारियों के परिजनों का सम्मान किया गया। स्वतंत्रता सेनानी बाबूलाल मित्तल जी के पौत्र दिलीप मित्तल, स्वतंत्रता सेनानी श्रीराम शर्मा व कुमारी कमला शर्मा के परिवार से सुनयन शर्मा, स्वतंत्रता सेनानी रोशन लाल गुप्त करुणेश जी के पुत्र संजय गुप्त, आदर्श नंदन गुप्त व शरद गुप्त, स्वतंत्रता सेनानी वासुदेव गुप्त के पुत्र अशोक गुप्ता व माधुरी गुप्ता, क्रांतिकारी राधा मोहन गोकुल जी के पौत्र प्रकाशचंद्र अग्रवाल, स्वतंत्रता सेनानी पं. कालीचरण तिवारी के परिजन संदीप तिवारी, स्वाधीनता सेनानी रोशन लाल सूतैल की पुत्री श्रीमती राजेश कुमारी का अभिनन्दन किया गया।

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