आगरालीक्स…आगरा के बल्केश्वर महादेव मंदिर में हो रही श्रीराम कथा…भक्तों की उमड़ी भीड़. प्रसंगों में सजीव हो गये राम लला
विख्यात कथा वाचक राजन जी महाराज ने कहा है कि यदि आप अपने जीवन में सुख चाहते हैं तो उन सुखों की सूची बनाएं, जो परमात्मा ने आपको दिए हैं। हम दुखी इसलिए रहते हैं कि हम उन सुखों की सूची बनाते हैं जो हमें मिले नहीं हैं। हम दुखी अपने दुख से नहीं होते, अपने पड़ौस के सुख से होते हैं। बल्केश्वर महादेव मंदिर में बल्केश्वरनाथ महादेव भक्त मंडल द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन शनिवार को राजन जी महाराज ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं के प्रसंग सुनाए। उन्होंने भजन सुनाया कि
मुझे तूने मालिक बहुत दे दिया है,
तेरा शुक्रिया है, तेरा शुक्रिया है।
उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थिति आने पर हम कहने लगते हैं कि भगवान ने हमारे साथ अच्छा नहीं किया, बल्कि भगवान कभी किसी को दुख नहीं देते। दुख हमारे कर्मों का और सुख भगवत कृपा का परिणाम है। इसलिए राम की शरण में रहिए।
उन्होंने भजन सुनाया-
राम कहने से तर जाएगा, पार भव से उतर जाएगा।
महाराज ने कहा कि हमेशा छोटा ही बड़ा से मिल कर महान बनता है। गंगा में यमुना ही मिलती है, जिससे यमुना भी गंगा कहलाती है। गंगा, सागर में जाकर मिलती है तो सागर कहलाती है। उन्होंने कहा कि जब तक मुंडन न हो जाए, तब तक बच्चों से चरण स्पर्श नहीं कराने चाहिए। क्योंकि वे भगवान के स्वरूप होते हैं। पता नहीं कौन बच्चा भगवान राम या कृष्ण के रूप में जन्म ले ले। भगवान के रूप में बालक घूम रहे हैं, हम उन्हें जगह-जगह ढूंढ़ रहे हैं।
राजन जी ने कहा कि व्यक्ति को श्री राम की कथा सुननी चाहिए यह कथा मानव मन में ऊर्जा का संचार करती है। यह मानव जीवन के लिए औषधि है। श्री राम कथा, संसार सागर पार करने की सुंदर नौका है। जो भी इस पर बैठेगा भव सागर से पार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान पर तर्क नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अपने जीवन में सही समय पर प्रभु का स्मरण करना चाहिए। क्योंकि मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। मनुष्य जिस धन को कमाने में अपना जीवन बिता देता है। वो धन मानव को जीवन का एक क्षण भी सुख नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि शिव के अराध्य भी भगवान श्री राम है। ये सभी वेद पुराण में भी कहा गया है। जिसने भगवान को जान लिया उसे और किसी चीज की लालसा नहीं रहती है।
उन्होंने कहा कि हम कितना भी विकास कर लें, लेकिन मां की ममता कभी कम नहीं हो सकती,लेकिन बच्चों को बचपन से ही मां को वीरता कथा सुनानी चाहिए। बताना चाहिए कि प्रातःकाल उठ कर ऱघुनाथा, मात-पिता, गुरु, नावहिं माथा। जागने के बाद जिस तरह सपना समाप्त हो जाता है उसी तरह भगवान को जानने के बाद संसार से मोहभंग जाएगा। कलयुग में भी भगवान उसके लिए आता है जो उसके प्रेम मे पागल हो जाता है। बिना श्री राम को जाने ये संसार जीव मुक्त होने वाला नहीं है। जो भगवान को याद करते है उसे भगवान भी याद करते है। भगवान शंकर के मुख से निकलने वाली ये राम कथा सुनने मात्र से ही गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। श्री राम की कथा कामधेनु समान है। भगवान का रूप मन रूपी दर्पण से होता है। जिस तरह धूल भरा दर्पण से अपना चेहरा नजर नहीं आता है, उसी तरह मैले मन से भगवान दिखाई नहीं देते हैं। निराकार भगवान भक्तों के भावनावश ही समय-समय पर साकार रूप में प्रकट हुए हैं। यही साकार एवं निराकार ब्रह्म स्वरूप है।
गोविंद उपाध्याय, महेश चंद, आशीष गुप्ता, नीतू गुप्ता, भोलानाथ अग्रवाल ऋषि अग्रवाल ने पूजन किया और आरती उतारी।
प्रेमानंद जी की यात्रा का विरोध गलत
राजन जी महाराज ने कहा कि वृदांवन में प्रतिदिन निकाली जाने वाली विख्यात संत प्रेमानंद जी की यात्रा का कुछ लोगों द्वारा किया जाने वाला विरोध गलत था। क्योंकि किसी के भाग्य से ही संतों के कदम किसी के द्वार पर पड़ते हैं।