आगरालीक्स…बच्चे बाहर मैदान में नहीं खेलने जाते, धूल—मिट्टी से उनका सामना नहीं हो रहा. चौंक जाएंगे जब जानेंगे कि बच्चे किस बीमारी का हो रहे शिकार. नेटकॉन 2022 में टीबी और सांस संबंधी बीमारियों पर हुई चर्चा
बच्चों में अस्थमा बढ़ रहा है लेकिन उनके माता पिता इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं। बच्चों को अस्थमा की दवा नहीं मिल रही हैं इससे बीमारी बढ़ने लगी है। बच्चों में अस्थमा बढ़ने का एक बड़ा कारण बाहर धूल मिटटी में न खेलना है, इससे उनके अंदर सूक्ष्मण कणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो रही है। पटियाला मेडिकल कालेज की डा. क्रांति गर्ग ने इस बारे में जानकारी दी। डॉ. क्रांति गर्ग तीन दिवसीय नेटकॉन-2022 के तीसरे दिन बुधवार को होटल जेपी पैलेस में टीबी मुक्त भारत अभियान पर जानकारी दे रही थींं। उन्होंने कहा कि बच्चों में अस्थमा की समस्या होने पर इन्हेलर से इलाज किया जाता है और इसके रिजल्ट अच्छे हैं, बीमारी ठीक भी हो जाती है।
40 प्रतिशत लोग टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित, हर वर्ष 4.90 मौत
भारत में 40 प्रतिशत लोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हैं, जैसे ही प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है टीबी के लक्षण आने लगते हैं। हर वर्ष टीबी से 4.90 लाख मौत हो रही हैं, इसे 90 प्रतिशत तक कम करना है और 95 प्रतिशत तक टीबी के संक्रमण को कम करने की चुनौती है। ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा डिपार्टमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड रेस्पीरेटरी डिजीज, एसएन मेडिकल कालेज व यूपी टीबी एसोसिएशन एंड द यूनियन साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय नेटकॉन-2022 के तीसरे दिन बुधवार को होटल जेपी पैलेस में टीबी मुक्त भारत अभियान पर चर्चा की गई। इसके साथ ही तीन दिवसीय कांफ्रेंस का समापन हो गया।
डां सुनील अहपड़े, मुंबई ने बताया कि एक्सटेंसिवली ड्रग रजिस्टेंट टीबी के केस सबसे ज्यादा भारत में हैं। टीबी से भारत में हर वर्ष 4.90 लाा मौत हो रही हैं। टीबी के मामले में विश्व का 28 प्रतिशत भार भारत पर है। भारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा टीबी मुक्त भारत अभियान अहम है, 2025 तक इस लक्ष्य तक पहुंचना है। इसमें निजी चिकित्सकों की भागेदारी बढ़ानी है अभी भी 50 प्रतिशत टीबी के मरीज निजी चिकित्सकों पर इलाज करा रहे हैं। जबकि टीबी का सरकारी इलाज निशुल्क है और महीने मरीज के खाते में 500 रुपये पहुंचते हैं। निजी डाक्टर से इलाज कराने वाले मरीज भी निशुल्क इलाज कराएं, इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
महिलाओं में फेंफड़ों के कैंसर में 60 प्रतिशत इजाफा
फेंफड़ों के कैंसर को टीबी समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। डा. केवी गुप्ता ईश मेडिकल कॉलेज लखनऊ ने बताया कि चेहरे पर सूजन, गले की आवाज बैठना, कांख और गर्दन में गांठ, कफ के साथ खून आना फेंफड़ों के कैंसर का लक्षण है, पहले यह पुरुषों में ज्यादा मिलता था लेकिन अब महिलाओं में भी मिलने लगा है, पिछले कुछ वर्षों में 60 प्रतिशत महिलाओं के फेंफड़ों के कैंसर में इजाफा हुआ है। महिलाएं चूल्हे पर रोटी बनाती हैं इसलिए भी यह समस्या बढ़ी है।
टीबी मुक्त भारत के लिए हुई बैठक
जेपी में आयोजित नेटकॉन में उत्तर प्रदेश स्टेट टास्क फ़ोर्स (राष्ट्रीय क्षय उन्नमूलन कार्यक्रम) की कार्यशाला आज क्षय एवं वक्ष रोग विभाग द्वारा आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ नेशनल टास्ट फोर्स के चेयरपर्सन डॉ. अशोक भारद्वाज ने किया। कार्यशाला में प्रदेश के 71 मेडिकल कालेज की कोर कमेटियों के अधिकारी व प्रदेश के 75 जिलों के जिला क्षय रोग अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यशाला में मेडिकल कालेज में चलाए जा रहे राष्ट्रीय क्षय रोग उन्नमूलन कार्यक्रम पर चर्चा हुई। स्टेट टीबी ऑफिसर ने सभी जिलों की डॉ. शैले न्द्र भटनागर ने कमजोर जिले या मेडिकल कालेज हैं उनका योगदान बढ़ाने पर (25-30 प्रतिशत तक योगदान हो) जोर दिया। जिनका योगदान कम था उन्हें चेतावनी दी गई नेशनल कार्यक्रम में भेगेदारी बढ़ाने के लिए। इस अवसर पर नेशनल टॉस्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. सूर्यकान्त, डब्ल्यूएचओ कन्सलटेंट डॉ. संजय सूर्यवंशी, एसएन मेडिकल के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता, एसएन मेडिकल कालेज वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार, आयोजन समिति के सचिव डॉ. जीवी सिंह, शैलेन्द्र भटनागर, स्टेट टॉस्ट फोर्स के उपाध्यक्ष प्रो. राजेन्द्र प्रसाद, स्टेट टीबी डिमोन्स्ट्रेशन सेन्टर के डॉ. संजीव लवानिया आदि था।
नेशनल टास्ट फोर्स के चेयरपर्सन डॉ. अशोक भारद्वाज ने तीन चीजों पर दिया जोर
-प्रिजेन्टिव टीबी एग्जामिनेशन को बढ़ाया जाए। जिससे ऐसे संक्रमित टीबी के मरीजों को चिन्हित किया जा सके, जिन्हें पता नहीं कि वह टीबी के रोगी या संक्रमित है।
-टीबी प्रिवेन्टिव थैरपी को जल्दी से जल्दी पूरे देश में लागू करना। प्रचार प्रसार के लिए मेडिकल कालेज की फैकल्टी आगे आए। विद्यार्थियों व अन्य डॉक्टरों तक संदेश पहुंचाएं कि टीबी प्रिवेन्टिव थैरपी कारगर है।
-सभी जगह खुल रहे नए मेडिकल कालेजों में विभिन्न विभागों में सामन्जस्य स्थापित करने के लिए तुरन्त एनटीईपी की कोर कमेटी गठित की जाए। जिला क्षय रोग धिकारी की जिम्मेदारी होगी। जिससे एनटीपी से सम्बंधिक गतिविधियां पहले दिन से ही शुरु हो जाए। यद्यपि नेसनल मेडिकल कमिशन के तहत यह आवश्यक है।
एसएन के हर विभाग में मरीजों का पीटीईआर होगा
आगरा। एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशान्त गुप्ता ने टॉस्ट फोर्स की मिटिंग में तुरन्त निर्णय लेते हुए कहा कि एसएन मेडिकल कालेज के हर विभाग में प्रिजेन्टिव टीबी एग्जामिनेशन (पीटीईआर) अनिवार्य होगा। जिससे अधिक से धिक मरीजों की स्क्रीनिंग कर सरकार के मिशन भारत को 2025 तक चीबी मुक्त देश बनाया जा सके।
नेटकॉन ने तोड़ा पिछली कार्यशालाओं का रिकोर्ड
ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा डिपार्टमेंट ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड रेस्पीरेटरी डिजीज, एसएन मेडिकल कालेज व यूपी टीबी एसोसिएशन एंड द यूनियन साउथ ईस्ट एशिया रीजन के सहयोग से तीन दिवसीय नेटकॉन-2023 (77वीं नेशनल कांफ्रेंस ऑफ ट्यूबरक्लोसिस एंड चेस्ट डिजीज) के समापन समारोह में एसएन मेडिकल कालेज के वक्ष एवं क्षय रोग विभाग के प्रोफ़ेसर व आयोजन समिति के सचिव डा० गजेंद्र विक्रम सिंह ने समापन समारोह में कहा कि पिछले कई वर्षों का रिकोर्ड तोड़ा है नेटकॉन है। इससे पूर्व अधिकतम विशेषज्ञों की संख्या 445 तक रहा है। इस वर्ष लगभग 800 विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यशाला की सफलता के लिए डॉ. सचिन गुप्ता, प्रयागराज के डॉ. अमिताभ शुक्ला, पटियाला की डॉ. क्रांति गर्ग, मोहित भाटिया के साथ आयोजन समिति के सभी सदस्यों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। इससे प रिसर्च पेपर में डॉ. नंदा सफीरा, डॉ. यशवंत राजा, डॉ. सौम्या धवन को ओरव पेपर प्रिजेन्टेशन में डॉ. मौ. आरिफ हुसैन, डॉ. रुचि दुआ, डॉ. प्राची सक्सेना, डॉ. रविन्द्र नाथ, डॉ. हार्दिक सोलंकी व ई पोस्टर प्रिसेन्टेशन में डॉ. अंजली, डॉ. रुचि जैन, डॉ. निहारिका अग्रवाल को पुरस्कृत किया गया। आयोजन समिति के चेयरपर्सन डॉ. संतोष कुमार ने सभी प्रतिनिदियों को धन्यवाद दिया।