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Agra News : Tobacco contains more than 7000 chemicals, 250 of which are extremely harmful. It is surprising that despite knowing this, 46.1 percent men and 8.9 percent women in Agra are consuming tobacco. Understand the facts on World No Tobacco Day…#agra

आगरालीक्स…तंबाकू में 7000 से अधिक रसायन, 250 तो बेहद हानिकारक। सड़क बनाने वाली तारकोल से लेकर बेंजीन और रेडियो एक्टिव तत्व भी इसमें। फिर भी आगरा के 46.1 फीसदी पुरुष और 8.9 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन कर रही हैं। विश्व तंबाकू निषेद दिवस पर तथ्यों से समझें

आगरा में तम्बाकू सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन टीबी मरीजों के लिए और खतरनाक है। देश वर्ष 2024 तक टीबी उन्मूलन के लिए संकल्पित है, लेकिन इस कार्यक्रम की एक बड़ी बाधा टीबी मरीजों द्वारा तम्बाकू का सेवन भी है। मरीज सक्रिय धूम्रपान, निष्क्रिय धूम्रपान, गुटका या खैनी चाहे जिस रूप में भी तम्बाकू का सेवन करें, ये उत्पाद प्रतिरोधक क्षमता कम करके जल्दी ठीक होने में बाधा पैदा करते हैं।

7 लाख 30 हजार टीबी के मामले तंबाकू की वजह से

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मई 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक तम्बाकू का धूम्रपान टीबी होने का एक प्रमुख कारण है। इसके अनुसार वर्ष 2020 में पूरे विश्व में सात लाख तीस हजार टीबी के मामलों के लिए तम्बाकू का धुम्रपान ही जिम्मेदार था।

तंबाकू छोड़ने वाले टीबी रोगी जल्दी रिकवर हो रहे

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरूण श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत टीबी मरीजों को दवा देने के साथ तम्बाकू व शराब का सेवन छोड़ने के लिए भी परामर्श दिया जा रहा है। जो लोग निष्क्रिय धुम्रपान ( किसी अन्य व्यक्ति द्वारा धुम्रपान के जरिये निकलने वाले धुएं) के सम्पर्क में आते हैं उनमें भी टीबी होने का जोखिम दो गुना बढ़ जाता है । जो मरीज धुम्रपान, गुटका और खैनी आदि का सेवन करते हैं उनके टीबी से ठीक होने की समय सीमा भी सामान्य टीबी मरीज की तुलना में बढ़ जाती है और जटिलताओं की आंशका भी कहीं ज्यादा होती है ।

टॉल फ्री नंबर 011-22901701 पर करें मिस्ड कॉल

नोडल अधिकारी डॉ. सुरेंद्र मोहन प्रजापति ने बताया कि तम्बाकू न सिर्फ धुम्रपान के रूप में घातक हैं बल्कि यह गुटका आदि के तौर पर भी टीबी मरीजों के लिए नुकसानदायक है। इन सामग्रियों का सेवन करने वाले मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। ऐसे मरीजों के कुपोषित होने की आशंका भी बढ़ जाती है जो इलाज में बाधा बनती है। हर टीबी मरीज को संदेश दिया जाता है कि वह तम्बाकू सेवन की अपनी आदतों को खुल कर चिकित्सक को बताएं । ऐसे मरीजों को नशा मुक्ति केंद्रों या टॉल फ्री नंबर 011-22901701 पर मिस्ड कॉल का सुझाव भी देते हैं । टीबी से ठीक होना है तो तम्बाकू और शराब को ना कहना पड़ेगा।

तम्बाकू सेवन में जिले की स्थिति

राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के 46.1 फीसदी पुरुष किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं। इन्हीं आंकड़ों के मुताबिक 8.9 फीसदी महिलाएं भी तंबाकू का सेवन कर रही हैं।

60 करोड़ पेड़ प्रतिवर्ष इसकी वजह से काटे जाते हैं

सीएमओ का कहना है कि तंबाकू सेवन के कारण मुंह, गले, फेफड़े और पेट का कैंसर हो सकता है। यदि महिलाएं धुम्रपान कर रही हैं तो उन्हें कम वजन का शिशु पैदा हो सकता है या गर्भाशय में ही शिशु की मौत हो सकती है। पैदा होने के बाद ऐसी महिलाओं के शिशु कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो सकते हैं। जो लोग पहले से दमाग्रस्त हैं उनके लिए तंबाकू और धूम्रपान और भी मुश्किलें बढ़ा सकता है। उन्होंने बताया कि तंबाकू में मौजूद 7000 से अधिक रसायनों में से 250 रसायन बेहद हानीकारक हैं। सिगरेट में सड़क बनाने वाली तारकोल, बेंजीन और रेडियो एक्टिव तत्व पाए जाते हैं। जो तारकोल सड़क बना कर हमे मंजिल तक पहुंचाता है, जब वही तारकोल शरीर के अंदर जाता है तो वह हमारे मौत की सड़क तैयार करता है। प्रतिवर्ष सिगरेट के उत्पादन के लिए 60 करोड़ पेड़ काटे जाते हैं और इसमें 22 अरब लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बन डाईआक्साइड पैदा होती है जो पर्यावरण और मानव जीवन के लिए घातक है।

ऐसे छोड़ सकते हैं लत

  • तंबाकू का सेवन छोड़ने के लिए मनोचिकित्सक की मदद ले सकते हैं।
  • इसकी लत धीरे-धीरे छोड़ने की बजाय दृढ़ इच्छाशक्ति से एक बार में छोड़ देना चाहिए। शराब से दूरी बना कर तंबाकू छोड़ सकते हैं।
  • इलायची, अनार दाने की गोलियां, भुनी हुई सौंफ, मिस्री जैसी वैकल्पिक चीजों का सेवन कर भी तंबाकू छोड़ा जा सकता है।
  • निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी, योग, प्राणायाम और मोबाइल एप्स की मदद से भी यह लत छोड़ सकते हैं।

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