आगरालीक्स…“सोचती हूँ लौट चलूँ उस दौर में, सादगी और संजीदगी थी जिस ठौर में”…उत्तर प्रदेश लेखिका मंच की स्वलिखित कहानी साहित्य गोष्ठी संपन्न
उत्तर प्रदेश लेखिका मंच की आज आगरा क्लब में स्वालिखित कहानी संगोष्ठी आयोजित की गई। बैठक में सभी उपस्थित सदस्याओं ने अपनी स्वलिखित कहानी और संस्मरण सुनाए। सर्वप्रथम अपर्णा पोद्दार ने पुराने दौर को याद करते हुए कहा कि कहानी अपने समय का ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। गीता शर्मा ने आज अपनों से भी असुरक्षित बालिका पर आधारित कथा “दंश” सुनाई। गीता यादवेंदु ने कहानी ‘दृढ़ संकल्प’ सुना कर महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया।
अध्यक्ष प्रीति आनंद ने “पितृ ऋण” लघुकथा सुना कर पारिवारिक मूल्यों का महत्व दर्शाया। शशि मल्होत्रा ने “अपनों का त्याग” कहानी सुनाई। मीरा गुप्ता ने अकेलापन, रजनी ने भूख, राजश्री ने संस्कार कहानी सुनाई। ज्योति ने बाबुल की बिटिया, नम्रता ने चिकित्सकों के नाम पत्र, दलजीत ने बचपन, सुजाता ने दैनिक दिनचर्या, मानसी ने माँ का स्पर्श सोनम ने अपना-पराया, विनोद ने अंतरजातीय विवाह, मधु वशिष्ठ व शिखा ने माता-पिता के त्याग पर आधारित काठ सुनाई।
रीता निगम ने किवाड़ का पल्ला संस्मरण सुनाए। सभी का मानना था की कहानी संस्कारों के संचरण का महत्वपूर्ण माध्यम है। कहानियाँ अपने समय के समाज का दर्पण होती हैं। शिखा श्रीधर ने संचालन किया तथा दलजीत ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
कार्यक्रम में मधु वशिष्ठ, अपर्णा पोद्दार, मीरा गुप्ता, प्रीति आनंद, गीता यादवेंदु, रीता निगम, नम्रता कुलश्रेष्ठ, शिखा श्रीधर, शशि मल्होत्रा, सोनम खिरवार, रजनी सिंह, दलजीत ग्रेवाल, राजश्री यादव, विनोद वोहरा, सरिता गुप्ता, ममता गुप्ता, ज्योति शर्मा, डिम्पल, , सुजाता सिंह, करुणा सिंह, गीता शर्मा, रेणु राजवीर, मानसी खन्ना आदि उपस्थित रहे।