आगरालीक्स…(22 September 2021 Agra News) आगरा की 35 जूता फैक्ट्रियों पर ताले लग गए हैं. हजारों कारीगर इस समय बेरोजगार हैं. कारोबार से जुड़े लोगों की पीड़ा सुनिए—कैसे घरेलू जूता उद्योग गिन रहा अंतिम सांसें…
मानदंड लगाकर उत्पादक फैक्ट्रियों के टैंडर निरस्त कर बिचौली फर्मों को 75 प्रतिशत अधिक कीमत पर मिल रहे टैंडर
कानपुर और कलकत्ता की फैक्ट्रियों पर भी लटके ताले, हजारों कारीगर हुए बेरोजगार
सरकारी नीतियों ने तोड़ी कारोबार की कमर
सरकारी नीतियों ने मुगल काल से 2017 तक ताजनगरी में फल फूल रहे घरेलू जूता उद्योग की कमर तोड़ दी है। सरकार द्वारा लगाए गए मानदंड के कारण फैक्ट्रियां सरकारी टैंडर में हिस्सा नहीं ले पा रहीं, जबकि दिल्ली की मुख्य तीन बिचौली फर्म सरकारी मानदंड (अधिक टर्न ओवर) पूरे कर फैक्ट्रियों व छोटे कारीगरों से कम कीमत में घटिया प्रोडक्ट खरीद कर 75 प्रतिशत अधिक दाम में सरकार को उपलब्ध करा चूना लगा रहीं हैं। आगरा की लगभग 45 में से 35 फैक्ट्रियों पर ताले लटक गए हैं। 4-5 हजार जूता कारीगर बेरोजगार हो गएं हैं। 2016-17 में जिन फैक्ट्रियों का टर्न ओवर 18-20 करोड़ था और दो करोड़ पर पहुंच गया है। 2-3 करोड़ टर्न ओवर वाली छोटी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं। कानपुर की भी लगभग 22 फैक्ट्रियों में से 18 पर ताले लटक गए हैं। यही हाल कलकत्ता की फैक्ट्रियों का भी है।
जूता उद्यमियों ने बताई वजह
बाग फरजाना स्थित बूट मैन्यूफैक्चरर एसोसिएशन के सचिव अनिल महाजन के निवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए जूता उद्यमियों ने बताया कि 4 वर्ष पूर्व तक जीडेएसएनडी (डायरेक्टर जनरल सप्लाईज एंड डिस्पोजल) से टैंडर निकलते थे। एयर फोर्स, नेवी, डीजीओएस के कुछ टैंडर मिनिस्ट्री ऑफ डिफैंस से निकलते थे। जिसमें दो से 25 करोड़ तक टर्न ओवर वाली छोटी बड़ी सभी फैक्ट्रियां भाग लेती थीं। जूता उद्यमियों ने बताया कि कुछ ट्रैडिंग कम्पनियों ने विभागों से मिलकर अधिक टर्न ओवर और मशीनों से सम्बंधित कंडीशन लगा दी। जिससे पिछले चार वर्षों से फैक्ट्रियों के बजाय बिचौली फर्म को टैंडर मिल रहे हैं। जिससे ताज नगरी का घरेलू जूता उद्योग अंतिम सांसे गिन रहा है।
200 का जूता 630 में खरीद रही सरकार
एनसीसी के जूते पार्टी द्वारा जेम पर 200 रुपए सप्लाई किया गया। बाकी फर्मों ने क्राएटेरिया लगाकर वही चीज 650 में खरीदी। इन लोगों ने दो-दो फर्म खोल रखी हैं। एक फर्म से कम रेट पर कारीगरों से घटिया प्रोडक्ट खरीदकर और अपनी दूसरी फर्म पर अधिक बिल बनाते हैं। इसमें जीएसटी की भी चोरी होती है। ऐसे ही क आर्डर डीजीओएस ने एक ही पार्टी को 197000 जोड़ों का आर्डर दिया। यह र्डर 11 माह में सप्लाई करना था। परन्तु 4 वर्ष में भी सप्लाई नहीं हो सका। इस आर्डर के अन्य पार्टियों को बाहर कर दिया गया था। आगरा में बने इस प्रोडक्ट की 550-600 रुपए में बने बिल की कॉपी संलग्न है। 13 करोड़ के राजस्व का नुकसान और प्रदेश सरकार में 550 करोड़ का घपला, ऐसे बहुत सारे मामले हैं।
4-5 हजार कारीगर हुए बेरोजगार
आगरा। आगरा की लगभग 35 जूता फैक्ट्रियों पर ताला लगने से करीब 4 से 5 हजार कारीगर बेरोजगार हो गए हैं। वहीं फैक्ट्री मालिक बैंकों की रिकवरी आने से चिंतित हैं। पिछले चार वर्षों में टर्न वर घटने और टैंडर न मिलने से न तो फैक्ट्री चलाने की स्थिति में और न ही कोई दूसरा व्यापार शुरु करने की।
15 दिन में फटे गए थे परिषदीय विद्यार्थियों के जूते
2018 में सरकार की गलत नीतियों के कारण परिषदीय स्कूलों के व्दियार्तियों के जूते व बैग 15 दिन में ही फट गए थे। यही वजह है कि इस वर्ष सरकार ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को जूते देने के बजाय उनके अभिभावकों के खातों में पैसा डालने का मन बनाया है। इस अवसर पर मुख्य रूप से एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील गुप्ता, सचिव अनिल महाजन, धर्मपाल, नितिन, रौनक गुप्ता, पालीवाल, निशा, देवेन्द्र गुप्ता, राहुल महाजन, भारती धनवानी, रामदास आदि मौजूद थे।