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Children forgot the discipline, now they are afraid to go to school#agranews

आगरालीक्स(13th August 2021 Agra News)… आगरा में बच्चे स्कूल जाने से घबरा रहे हैं। वे स्कूल जाने से मना कर रहे हैं। माता—पिता परेशान हैं कि क्या करें।

रुक गया शारीरिक, मानसिक विकास
कोरोना के आने के बाद से साल 2020 से स्कूल बंद चल रहे हैं। इसके बाद फिर आॅनलाइन क्लास का कंसेप्ट आया। इसकी वजह से मोबाइल का यूज उनकी जिंदगी में बढ़ गया। छोटे बच्चे तीन घंटे तो बड़े बच्चे करीब पांच से छह घंटे तक मोबाइल में बिजी हो गए। इसके बाद वे टीवी से चिपक गए। दिनभर कार्टून देखने लगे। कुल मिलाकर देखा जाए तो बच्चो मोबाइल फ्रेंडली हो गए। इतना ही नहीं, कोरोना के चलते बच्चे बाहर खेलने तक नहीं जा सके। इस कारण उनमें शारीरिक विकास नहीं हुआ। घर में बंद होने से उनमें साइकोलॉजी, फिजिकली तो बदलाव आया ही, वे अनुसाशासन भी भूल गए।

बच्चों को सता रहा डर
अब जब स्कूल खुलने जा रहे हैं तो कुछ बच्चे काफी खुश हैं, जबकि कुछ घबरा रहे हैं। वे सामाजिकता भूल चुके हैं। स्कूल जाने के पुराने तरीकों को याद नहीं करना चाहते। उन्हें डर है कि क्या स्कूल टीचर उन्हें पहचान पाएगी। नई टीचर को तो उन्होंने मोबाइल में ही देखा है। इसके अलावा घर पर आसानी से पढाई कर रहे थे। अब स्कूल जाने के लिए सुबह जल्दी उठना पड़ेगा, जिसकी आदत उन्हें अब नहीं रही।

बढ़ गया चिड़चिड़ापन
डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में बच्चों के घर में ही रहने से उनका वजन बढ़ गया। खेल आदि सभी गतिविधियां बंद हो गईं। उनमें चिड़चिड़ापन भी बढ़ गया। स्कूल जाने पर उन्हें खेलने को तो मिलता ही था, साथ ही वे मानसिक रूप से मजबूत होते थे। घर में रहने के दौरान बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित हुए हैं।

सोशलाइजेशन पर भी असर
डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि स्कूल जाने पर बच्चे सामाजिकता सीखते हैंं। स्कूल में हर बच्चे की आदत भिन्न होती है। ऐसे में बच्चे सभी के साथ रहते हैं, खेलते हैं, पढ़ते हैं, लंच करते हैं। ऐसे में वे सामाजिक होते हैं।

अब ये करें अभिभावक

बच्चों को मनोवैज्ञानिक सहारा दें
चिकित्सक और शिक्षक डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि जो बच्चे स्कूल जाने की मना कर रहे हैं, तो उनमें कहीं न कहीं किसी बात का डर है। एंग्जायटी की समस्या है। ऐसे में बच्चों को मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत करें। उनके सामने किसी भी प्रकार की नेगेटिव बात न करें। उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित करें। साथ ही अभी से अनुशासन सिखाएं, ताकि स्कूल खुलने पर बच्चे को दिक्कत न हो।

आदतें जो छूट गईं
उन्होंने बताया कि अब तक देखा जा रहा था कि बच्चे आॅनलाइन क्लास में सुबह केवल ब्रश करकर ही बैठ जाते थे। कुछ तो क्लास शुरू होने के दस से बीस मिनट पहले तक उठते थे। ऐसे में बच्चे को अब सुबह जल्दी उठाएं, वही सब आदत विकसित करें, जो स्कूल जाने के दौरान होती थी। इसके लिए पैरेंट्स को अभी से ही तैयारी करनी होगी।

घबराएं नहीं, बच्चों का साथ दें
डॉ. वैभव शर्मा ने बताया कि बच्चों को ये भी बताएं कि घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे पैरेंट्स या उनके पिता आफिस जा रहे हैं, वैसे ही वे भी जाएं। पैरेंटस बच्चों को साथ दें।

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