आगरालीक्स…आगरा की एक इंडस्ट्री वेंटीलेटर पर है, इसे आक्सीजन भी नहीं मिल रही. इस लग्जरी व्यवसाय से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हैं. कोई सब्जी बेच रहा तो कोई शादियों में कर रहा काम…पढ़ें पूरी खबर
- आगरा में छोटे बड़े करीब 650 होटल्स, पेइंग गेस्ट हैं
- होटलों के अंदर से मैक्सीमम स्टाफ निकाला गया
- टूरिस्ट ट्रेड में करीब 5 लाख लोग जुड़े हुए हैं
”फतेहाबाद रोड स्थित बमरौली कटारा के रहने वाले गोविंद पास ही स्थित एक थ्री स्टार होटल में काम करते थे. घर के पास होने के कारण और ठीक ठाक पैसे मिलने से ये उनका एकमात्र आय का जरिया था लेकिन कोरोना महामारी के कारण गोविंद को होटल से निकाल दिया गया है. इस समय वह गांव व आसपास की कॉलोनियों में सब्जी की ठेल लगाकर किसी तरह अपनी गुजर बसर कर रहे हैं.”
”ताजगंज के रहने वाले आशीष शर्मा एक होटल में शेफ हैं. लेकिन दो महीने पहले उनके होटल ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है. वे इसका विरोध भी नहीं कर सके क्योंकि उनके साथ उनके साथी भी एक साथ निकाले गए हैं. होटल फिलहाल बंद हैं. ऐसे में आशीष शर्मा अपने घर के पास में ही रहने वाले हलवाई के साथ शादी समारोहों में खाना बनाने के लिए जा रहे हैं. उनका कहना है कि घर चलाने के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा.”
कोरोना का सबसे बड़ा प्रभाव पर्यटन इंडस्ट्री पर
ऊपर दिए गए दो उदाहरण उन लोगों की पीड़ा है जो इस समय बेरोजगारी के दौर से गुजर रहे हैं. आगरा में रहने वाले इन लोगों की संख्या थोड़ी नहीं बल्कि लाखों में है. ये लोग आगरा की सबसे बड़ी इंडस्ट्री पर्यटन से जुड़े हुए हैं. आगरा में पर्यटक है तो पर्यटन है, होटल्स हैं, रेस्टोरेंट्स हैं, एम्पोरियम हैं और लाखों लोगों का रोजगार व उनकी आय का साधन है. लेकिन जब पर्यटक ही नहीं है तो इनमें से कुछ भी नहीं है. आगरा पर्यटन नगरी है. हजारों पर्यटक हर रोज यहां आते हैं और ताजमहल सहित स्मारकों का दीदार करते हैं. लेकिन कोरोना महामारी का इस इंडस्ट्री पर ऐसा असर पड़ा है कि पिछले सवा साल से ये इंडस्ट्री वेंटीलेटर पर पड़ी हुई है. इसे आक्सीजन भी नहीं मिल पा रही है. इन सवा साल में अधिकतर समय स्मारक बंद ही रहीे हैं. पर्यटक न के बराबर आए हैं. अभी भी 15 अप्रैल से ताजमहल सहित सभी स्मारक पर्यटकों के लिए बंद किए हुए हैं. 31 मई तक बंद रखने के आदेश जारी हैं. लेकिन आने वाले समय में कब तक इस इंडस्ट्री पर इस कोरोना महामारी का प्रभाव रहेगा, ये भी कहना मुश्किल है.
होटलों ने मैक्सीमम स्टाफ हटाया
आगरा में छोटे बड़े कुल मिलाकर 650 फाइव स्टार, थ्री स्टार, टू स्टार, वन स्टार होटलों के अलावा पेइंग गेस्ट हैं. इन होटलों में लाखों लोग काम करते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस समय अधिकतर होटल बंद पड़े हुए हैं. रमेश बाधवा का कहना है कि पिछले सवा साल से केवल 2 से 3 प्रतिशत ही होटलों का बिजनेस हो पाया है. सितंबर में जब दोबारा स्मारक खोले गए और पर्यटकों का आगमन हुआ तो उसमें भी आगरा के होटलों को दो से तीन प्रतिशत ही बिजनेस रहा. उनका मानना है कि आगरा में तीन से चार हजार पर्यटक हर रोज आ रहे थे लेकिन इनमें से 75 प्रतिशत तो शाम को वापस लौट जाते हैं. ऐसे में 500 से 800 पर्यटक अगर आगरा में रुक भी जाएं तो वह आगरा के सभी होटलों को कितना बिजनेस दे सकते हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. यही कारण है कि आज के समय में आगरा के होटलों ने अपना अधिकतर स्टाफ निकाल दिया है. सिर्फ एक या दो कर्मचारी ही होटल की सफाई आदि के लिए रखा हुआ है.
हर महीने करोड़ों का नुकसान
पर्यटक न आने के कारण आगरा की इस इंडस्ट्री को हर महीने करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. देश के केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने भी हाल में ट्वीट कर जानकारी दी थी कि देश का पर्यटन उद्योग करीब 7000 करोड़ का नुकसान आज तक झेल चुका है. होटल इंडस्ट्री से जुड़े रमेश बाधवा का कहना है कि इसमें आगरा ही आगरा से करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ है.रमेश बाधवा का कहना है कि सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि बैंक से लोन की सुविधा दी जा रही है. लेकिन हम लोगों को बैंक लोन ही नहीं दे रही है, उसका कहना है कि रीपेमेंट कहां से करेंगे. बैलेंस शीट मांगी जाती है जो कि पिछले साल से निल है. ऐसे में बैंक लोन नहीं दे रही हैं. रमेश बाधवा का कहना है कि हमने बिजली बिल के फिक्स चार्ज की माफी की गुहार लगाई लेकिन हमें इसमें भी कोई राहत नहीं दी गई है. हाल बहुत खराब है.
आगे कब तक हाल सुधरेंगे, कहना मुश्किल
रमेश बाधवा का कहना है कि अभी फिलहाल केंद्र सरकार द्वारा 31 मई तक ताजमहल बंद करने के आदेश जारी किए हुए हैं. अगर मान भी लें कि एक जूून से ताजमहल खुल जाएगा तो क्या हमें राहत मिलेगी. क्या अन्य राज्यों से पर्यटक एकदम आ जाएंगे. गर्मी पड़ रही है, कोरोना महामारी का कहर अभी भी जारी है. ऐसे में हमें नहीं लगता कि इस साल के अंत तक हमें कोई राहत मिलने वाली है.