आगरालीक्स…समाजसेवा को अपना चरित्र बनाने वाले आदर्श बनकर उभरते हैं, ‘कोरोना कर्मवीर’, ‘ग्रेट वाॅरियर’ या ‘हीरो आफ सोसायटी’ न जाने कितने नाम लेकिन किसी सीमा में बंधी नहीं है डाॅ. विजय किशोर बंसल की पहचान
विश्व शांति का मतलब इतना मात्र नहीं है कि हिंसा न हो बल्कि एक ऐसे समाज का निर्माण करना भी है जहां लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें और उन्हें यह भी लगे कि वे आगे बढ़ सकते हैं। आगरा वासियों के लिए गर्व की बात है कि हमारे बीच से ही किसी एक ने इस विचार को सार्थक किया है।
ओल्ड विजय नगर काॅलोनी निवासी डाॅ. विजय किशोर बंसल की धार्मिक और सामाजिक पहचान अब शहर और जिला ही नहीं बल्कि राज्यों और देशों के बीच भी बंधी नहीं हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में उनका नाम विदेशों तक गूंज रहा है। चार विदेशी यूनिवर्सिटीज ने उन्हें मानद उपाधि से सुशोभित किया है। हाल ही में दक्षिण कोरिया की बुसान क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी फाॅर फाॅरेन स्टडीज ने डाॅक्टर आॅफ सोशल साइंस की मानद उपाधि प्रदान की। वहीं यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल पीस काउंसिल ने सम्मानित किया है। 29 अक्टूबर को तमिलनाड़ु के उटी में होने वाली अवाॅर्ड सेरेमनी में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है। अमेरिका की दो प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज भी उन्हें डाॅक्टरेट की उपाधि से सम्मानित कर चुकी हैं। इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स एडवाइजरी काउंसिल ने उन्हें ग्रेट वाॅरियर की संज्ञा दी। लिम्का बुक आॅफ रिकाॅर्ड्स से जुड़ी ओएमजी संस्था ने सराहना की।
बेरहम महामारी में मजदूरों की ढाल बने, कोरोना का प्रसार भी रोका
बता दें कि वर्ष 2020 में जब बेरहम महामारी बनकर कोरोना ने लोगों पर कहर बरपाया तो डाॅ. विजय किशोर बंसल ने एक योद्धा के रूप में कमान संभाली। लाॅकडाउन के दौरान मजदूरों को घरों में कैसे रोका जाए इस पर पुलिस के साथ काम किया। सहमति बनी कि घरों में ही खाना उपलब्ध करा दिया जाए तो वे बाहर आएंगे ही नहीं। गलियों, काॅलोनियों, बस्तियों में सर्वे कर सूची बनाई गई। डाॅ. विजय किशोर ने मां कैलादेवी धर्मशाला में हलवाई लगा दिए और दिन रात भोजन तैयार कराया। पुलिस ने इस भोजन के वितरण की जिम्मेदारी उठाई। अकेले दम पर ही 25 लाख से अधिक खाने के पैकेट वितरित कराए। कोरोना वायरस का प्रसार भी रोका। हाल ही में जिला अस्पताल को 1000 से अधिक एंटी रैबीज इंजेक्शन भी उपलब्ध कराए। ऐसे अनगिनत सेवा कार्य हैं जो डाॅ. विजय किशोर बंसल द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, लेकिन वे पर्दे के पीछे रहकर काम करना पसंद करते हैं।
25 संस्थाओं के हैं ट्रस्टी
वर्तमान में वे 25 संस्थाओं के ट्रस्टी हैं, समाजेवियों में उन्हें सर्वोपरि माना जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि इतनी संस्थाओं से जुड़े होने के बाद भी वे वहीं जाना पसंद करते हैं जहां वास्तव में गरीबों और असहायों की मदद की जा रही हो। कोरोना काल में प्रतिदिन 10500 लोगों केे लिए अकेले दम पर भोजन तैयार कराया। व्यवहार से वे बेहद सहज और सरल हैं।
लंबी है अवाॅर्ड्स की फेहरिस्त
- न्यूयार्क सिटी की नसाउ काउंटी से प्रशस्ति-पत्र
- मदर टेरेसा ह्यूमैनिटी अवार्ड
- फेस राष्ट्रीय गौरव अवार्ड,
- आनंद आॅर्गनाइजेशन फाॅर सोशल अवार्ड
- लिटरोमा कोरोना वाॅरियर
- लाइव 24 ग्रुप से कोरोना वाॅरियर
- इंटरनेशनल अचीवर्स काउंसिल एंड पीस यूनिवर्सिटी अचीवर्स एक्सीलेंसी अवाॅर्ड
- फेस ग्रुप को भारत रत्न अवार्ड
- अमर उजाला से कोरोना कर्मवीर सम्मान
- नव्य सृजन से हीरो आॅफ द सोसायटी
- जर्मनी की संस्था से संबद्ध इंटरनेशनल पीस यूनिवर्सिटी से डाॅक्टर आॅफ लेटर
- इंटरनेशनल यूनिसेफ काउंसिल से यूनिसेफ अवाॅर्ड
- डाॅ. अब्दुल कलाम अवाॅर्ड
- लाॅयर्स विजन से कोरोना योद्धा सम्मान
- फ्रेंड्स आॅफ गुड हेल्थ से इंटरनेशनल अम्बेसडर आॅफ ह्यूमैनिटी
- इंटरनेशनल ह्यूमैन राइट्स से ग्रेट वाॅरियर आॅफ ह्यूमैनिटी
- द अमेरिकन किंग्स यूनिवर्सिटी से डाॅक्टर आॅफ लेटर