आगरालीक्स(09th August 2021 Agra News)… इस बार हरियाली तीज 11 अगस्त को है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए…।
प्रेम और उत्साह का महीना है सावन
सावन का महीना प्रेम और उत्साह का महीना माना जाता है। प्रेम के धागे को मजबूत करने के लिए इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में से एक है- ‘हरियाली तीज’। यह त्योहार श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस बार यह 11 अगस्त को है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी।
पार्वती जी को पत्नी रूप में किया था स्वीकार
अलीगढ़ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इससे प्रसन्न होकर शिव ने ‘हरियाली तीज’ के दिन ही पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इस त्योहार के विषय में यह मान्यता भी है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। इस दिन स्त्रियां सोलह श्रृंगार करती हैं। इनमें हरी साड़ी और हरी चूड़ियों का विशेष महत्व है। हरियाली तीज पर झूला झूलने का भी विधान है। कई जगह पति के साथ झूला झूलने की भी परंपरा है।
व्रत करने से मिलता है मनचाहा जीवन साथी
पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि इस दिन व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवन साथी मिलता है। हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरा वस्त्र और मेहंदी का विशेष महत्व है। मेहंदी सुहाग का प्रतीक चिन्ह माना जाता है।
ऐसे करें पूजा
शाम के समय भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के बाद चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन स्त्रियों को श्रृंगार का सामान भेंट किया जाता है। खासकर घर के बड़े-बुजुर्ग या सास-ससुर बहू को श्रृंगार दान देते हैं। हरियाली तीज के दिन खान-पान पर भी विशेष ज़ोर दिया जाता है। हालांकि इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं।
घेवर, जलेबी और मालपुए बनाए जाते हैं
तीज के मौके पर विशेष रूप से घेवर, जलेबी और मालपुए बनाए जाते हैं। रात के समय खाने में पूरी, खीर, हल्वा, रायता, सब्जी और पुलाव बनाया जाता है।
राजस्थान का मुख्य त्योहार
मुख्य रूप से राजस्थान के साथ कुछ और भी राज्यो में यह त्योहार मुख्य रूप से मनाया जाता है। कुल मिलाकर इस त्योहार का आशय यह है कि सावन की फुहारों की तरह सुहागनें प्रेम की फुहारों से अपने परिवार को खुशहाली प्रदान करेंगी और वंश को आगे बढ़ाएंगी।
पूजा और श्रृंगार सामग्री
हरियाली तीज के दिन व्रत रखा जाता है और पूजा के लिए कुछ जरूरी सामान की आवश्यकता होती है। पूजा के लिए काले रंग की गीली मिट्टी, पीले रंग का कपड़ा, बेल पत्र, जनेऊ, धूप-अगरबत्ती, कपूर, श्रीफल, कलश, अबीर, चंदन, तेल, घी,दही, शहद दूध और पंचामृत चाहिए। इस दिन पार्वती जी का श्रृंगार किया जाता है और इसके लिए चूड़ियां, आल्ता, सिंदूर, बिंदी, मेहंदी, कंघी, शीशा, काजल, कुमकुम, सुहाग पूड़ा और श्रृंगार की अन्य चीजों की जरूरत होती है।
पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान करने के बाद मन में व्रत का संकल्प लेना चाहिये।
सबसे पहले घर के मंदिर में काली मिट्टी से भगवान शिव शंकर, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाएं।
अब इन मूर्तियों को तिलक लगाएं और फल-फूल अर्पित करें।
फिर माता पार्वती को एक-एक कर सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव को बेल पत्र और पीला वस्त्र चढ़ाएं।
तीज की कथा पढ़ने या सुनने के बाद आरती करें।
अगले दिन सुबह माता पार्वती को सिंदूर अर्पित कर भोग चढ़ाएं।
प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत का पारण करें।