Lord Vishnu changes side on Devjhulni Ekadashi #agranews
आगरालीक्स(15th September 2021 )….देवझूलनी एकादशी 17 सितंबर को. भगवान विष्णु इस दिन बदलते हैं करवट. जानिए पूजा विधि.
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी शुक्रवार को है। इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप की पूजा भी की जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख, सौभाग्य में बढोतरी होती है। इस एकादशी के विषय में एक मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण के वस्त्र धोए थे। इसी कारण से इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है।
भगवान बदलते हैं करवट
पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार मास विश्राम के पश्चात करवट बदलते हैं। निद्रामग्न भगवान के करवट परिवर्तन के कारण ही अनेक शास्त्राें में इस एकादशी काे वामन और पार्शव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
राजस्थान में डोल ग्यारस
राजस्थान में जलझूलनी एकादशी को डोल ग्यारस एकादशी कहा जाता है। इस अवसर पर यहां भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा और स्थापना की जाती है। इस अवसर पर यहां पर कई मेलों का आयोजन किया जाता है। देवी-देवताओं को नदी-तालाब के किनारे ले जाकर इनकी पूजा की जाती है। संध्या समय में इन मूर्तियों को वापस ले आया जाता है। अलग- अलग शोभा यात्राएं निकाली जाती है। इसमें भक्तजन भजन, कीर्तन, गीत गाते हुए प्रसन्न मुद्रा में खुशी मनाते हैं।
विष्णु के वमान रूप की पूजा
इस व्रत काे करने के लिए पहले दिन हाथ में जल का पात्र भरकर व्रत का सच्चे मन से संकल्प करना हाेता है। सूर्य निकलने से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत हाेकर भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करने का विधान है। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प मिष्ठान एवं फलाें से विष्णु भगवान का पूजन करने के पश्चात अपना अधिक समय हरिनाम संकीर्तन एवं प्रभु भक्ति में बिताना चाहिए। कमलनयन भगवान का कमल पुष्पाें से पूजन करें। एक समय फलाहार करें और रात्रि काे भगवान का जागरण करें। मंदिर में जाकर दीपदान करें।