आगरालीक्स..(Agra News 24th May) . आगरा में ब्लैक फंगस से लोग डरे हुए हैंं, लेकिन परेशान न हों, जाने विशेषज्ञों से ब्लैक फंगस क्या है, कैसे होता है, कैसे बच सकते हैं।
आगरा में ब्लैक फंगस सस्पेक्ट 18 मरीज भर्ती हैं, चार में पुष्टि हो चुकी है। नए केस सामने आने के बाद लोग डरे हुए हैं, विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक फंगस क्या है और कैसे होता है।
फंगल इन्फेक्शन म्यूकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस कहते हैं, इसे ब्लैक फंगस इसलिए कहते हैं क्योंकि यह जिस हिस्से में पनपता है वह हिस्सा काला पडता जाता है।
ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइकोसिस के केस पहले भी आते थे लेकिन बहुत कम थे
ब्लैक फंगस हमारे आस पास के वातावरण में है, यह धूल के कण से लेकर बगीचों, पेड पौधों में मिलता है
ब्लैक फंगस हवा वाली जगह पर पनपता है
मनुष्यों में ब्लैक फंगस नाक के रास्ते प्रवेश करता है और नाक के अंदर ही पनपने लगता है, इसे हवा मिलती रहे तो नाक के बाद यह साइनस यानी नाक और कान के बीच का हिस्सा, आंख और दिमाग तक पहुंच जाता है।
कोरोना की दूसरी लहर में क्यों बढा ब्लैक फंगस
कोरोना की दूसरी लहर में स्टेरायड का अधिक इस्तेमाल हुआ, इससे शुगर का स्तर भी मरीजों का बढने लगा, इन दोनों से प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो गई
इंडस्ट्रियल आक्सीजन का इस्तेमाल किया गया, आक्सीजन लगाते समय सफाई का ध्यान नहीं रखा गया, जिससे ब्लैक फंगस सीधे नाक में पहुंच गई और पनपने लगी
ब्लैक फंगस का इलाज
ब्लैक फंगस में सर्जरी कर जिस हिस्से में ब्लैक फंगस है उसे बाहर निकाल दिया जाता है, यह पहला इलाज है
ब्लैक फंगस के इलाज में एम्फोरेटेसिन बी इंजेक्शन के साथ ही दो से तीन तरह की एंटी फंगल दवा दी जाती है
15 से 30 दिन तक इंजेक्शन और दवाएं दी जाती हैं
ये होते हैं लक्षण
नाक से खून आना और सूखा पन, परत बनना
आंख की रोशनी कम होना
आंख पर सूजन और आंख के नीचे सूजन
बेहोशी आना
बचाव के तरीके
- ब्लड शुगर पर पूरा नियंत्रण
- स्टेराइड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग
- कोविड मरीज को ऑक्सीजन देते समय उसका पानी रोजाना बदला जाए
- दिन में दो बार नाक को सलाइन से धोएं.
- जो कोविड रोगी अधिक जोखिम वाले हैं, उनकी नाक धोना और एमफोरेटिस बी से उपचार.
-साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें