आगरालीक्स(25th August 2021 Agra News)…सिद्ध शिला ही मोक्ष स्थान है। वह स्थान जहां मोक्ष के बाद आत्मा विराजमान होती है। बुधवार को श्री भगवान पार्श्वनाथ कथा में मोक्ष के बारे में बताया। कहा कि चार चीजों की परख अवश्य करें।
एमडी जैन में चल रही है श्री पार्श्वनाथ कथा
एमडी जैन इंटर कॉलेज ग्राउंड हरीपर्वत पर मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज और मुनि श्री 108 चंद्र सागर महाराज ससंघ की ओर से श्री भगवान पार्श्वनाथ कथा का वर्णन किया जा रहा है। बुधवार को उन्होंने कहा कि हम कहां से आए हैं। हमें भविष्य में कहां जाना है, हमे यह सोचना चाहिए। पता होना चाहिए। पहले हमें तीन लोक के विषय में विश्वास होना चाहिए। आपको यह पता है कि भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष गए हैं लेकिन मोक्ष के बाद आत्मा कहां पर रहती है। आप लोक और लोक के अग्रभाग को जानेंगे तो वहां सिद्ध शिला ही मोक्ष स्थान है। जहां मोक्ष के बाद आत्मा विराजमान होती है।
सिद्ध पुरुष सभी दु:खों से मुक्त हैं
उन्होंने कहा कि आप कहां से आए हैं। सभी निगोद से आए हैं। आप को कहां जाना है। हमें मोक्ष तक जाना है। आया है निगोद से जाना है मोक्ष लोक के अग्रभाग पर, जो सिद्ध पुरुष विराजमान है, वे सभी दुःखों से मुक्त हैं। हमे उनके जैसा बनना है। भगवान पार्श्वनाथ के जीव के दस भवों की चर्चा यहां हुई है। मध्य लोक में अनेक द्वीप समुद्र है। उन्हीं में से एक जम्बू द्वीप है। जम्बू द्वीप में भरत क्षेत्र है।
मुनिराज को एकांत पसंद होता है
उन्होंने बताया कि भरत क्षेत्र के आर्य खंड में काशी है। वहां भगवान पार्श्वनाथ के जीव का जन्म होगा। यहां नगरी की रचना का वर्णन है। वहां सुन्दर उद्यान, झरने, नदिया, जंगल है। प्राकृतिक सौंदर्य है। प्राकृतिक सौंदर्य में ही महामुनिराज जब ध्यान करते हैं। तब वे अपनी प्रकृति के स्वभाव के निकट होते हैं। मुनिराज को एकांत पसंद होता है। वे एकत्व भावना का चिन्तन करते हैं। काशी देश में बनारस नगरी है। वहां नगरी के चारों ओर परकोटे हैं। सुन्दर दरवाजों से सुशोभित हैं। यहां राजा अश्वसेन रानी वामादेवी रहते हैं। वे हमेशा जिनेन्द्र भगवान की भक्ति, गुरु सेवा करने वाले हैं। यहां सबके यहां धन—धान्य, फल, फूल, बहुत-बहुत समृद्धि है। वहां बड़े जिनालय है। रत्नों के जिनबिम्ब हैं। सभी नर नारी सजधज कर आभूषण पहनकर मन्दिर आते हैं। लेकिन आज लोगों की दृष्टि बदल गई है। मन्दिर में आकर धर्म करना चाहिए। कोई भी आए कोई भी जाए, हमें अपना ध्यान स्वाध्याय और पूजा में लगाना चाहिए। प्रजा को हमेशा विवेकपूर्ण, पारखी होना चाहिए। अच्छे बुरे की परख होनी चाहिए।
चार चीजों में परख अवश्य करें
चार चीजों में परख अवश्य करनी चाहिए। देव, धर्म, गुरु, ग्रंथ। इन चार की परख अवश्य करनी चाहिए। इस कार्यक्रम का शुभारंभ चित्र अनावरण और दीपप्रज्वलन के साथ होगा।
इन्होंने किया मंगलाचरण
मंगलाचरण तार की गली मोती कटरा महिला मंडल ने किया। डा. अनीता दीदी ने कहा कि आगरा वालों का सौभाग्य है कि आपको आगरा में मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ससंघ और मुनि श्री 108 वीरसागर जी महाराज ससंघ का चातुर्मास आगरा को मिला है। पार्श्वनाथ भगवान की और मुनिराज की मंगल आरती तार की गली महिला मंडल मोती कटरा ने की। मंच का संचालन मनोज जैन ने किया। इस अवसर पर आगरा दिगबर जैन परिषद अध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन, महामंत्री सुनील जैन, अनंत जैन, अशोक जैन, पंकज जैन, पवन जैन, संदीप जैन, निर्मल मौठया, दीपक जैन, पुनीत जैन, शुभम जैन, अरुणा जैन, वंदना जैन, ख्याति जैन, संस्कृति जैन मौजूद रहीं।