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Pitru Amavasya on 6th October, can take off Pitru loan #agranews
आगरालीक्स (03rd October 2021 Agra News)… अमावस्या पर उतार सकते हैं पितृ ऋण. जानिए उपाय.
तीन ऋणों में पितृ ऋण सबसे प्रमुख
देव पितृ कार्य अमावस्या छह अक्टूबर को है। ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि ज्योतिष और तंत्र शास्त्र में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य पर मुख्य रूप से तीन प्रकार के ऋण होते हैं। देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। इनमें पितृ ऋण को सबसे प्रमुख माना गया है। पितृ ऋण में पिता के अतिरिक्त, माता तथा परिवार के वह सभी दिवंगत सदस्य जो पितरों में शामिल हो गए हैं, वे सभी पितृ ऋण में आते हैं। पितृ ऋण से मुक्ति के लिए, पितरों की तृप्ति के लिए, उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रत्येक अमावस्या पर कुछ उपाय अवश्य ही करने चाहिए।
अमावस्या पर पितरों की पूर्ण कृपा कैसे प्राप्त करें
पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पितरों को अमावस का देवता माना गया है। शास्त्रों के अनुसार हर अमावस्या के दिन पितृ अपने घर अपने वंशजो के पास आते हैं। उनसे अपने निमित धर्म-कर्म, दान – पुण्य की आशा करते हैं। यदि हम उनके निमित अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं तो वे प्रसन्न होते हैं और हमें उनका आशीर्वाद मिलता है।
पितृ प्रसन्न होंगे तो मिलेगी देवी—देवताओं की कृपा
यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है। पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है।
हर अमावस्या ब्राह्मण को भोजन कराएं
हर अमावस के दिन एक ब्राह्मण को अपने घर पर बुलाकर प्रेम पूर्वक भोजन अवश्य ही कराएं। इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे। आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएंगी। घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेगी। आपका घर – परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा।
पितरों को करें तर्पण
हर अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए। तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चढ़ा देना चाहिए। वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए।
पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं जल
पितृ दोष निवारण के लिये अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये ऊं नमो भगवते वासुदेवाए नमः मंत्र का जाप करते हुये सात बार परिक्रमा करे। तत्पश्चात ऊं पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। पितर प्रसन्न होते हैं और उनका पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। और अगर सोमवती या शनि अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है।
बबूल के पेड़ पर रखें भोजन
शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक अमावस्या को पितर अपने घर पर आते हैं अतः इस दिन हर व्यक्ति को यथाशक्ति उनके नाम से दान करना चाहिए। इस दिन बबूल के पेड़ पर संध्या के समय पितरों के निमित्त भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते हैं।
खीर खिलाने से होती है पुण्य की प्राप्ति
पितरों को खीर बहुत पसंद होती है। इसलिए प्रत्येक माह की अमावस्या को खीर बनाकर ब्राह्मण को भोजन के साथ खिलाने पर महान पुण्य की प्राप्ति होती है। जीवन से अस्थिरताएं दूर होती हैं। इस दिन संध्या के समय पितरों के निमित थोड़ी खीर पीपल के नीचे भी रखनी चाहिए।
गाय को खिलाएं फल
प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए, इससे घर में शुभता और हर्ष का वातावरण बना रहता है। पितरों का पूर्ण आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।