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Salute to the dedication: Even after being corona positive, Dr. Vishwa Deepak treat patients through video conferencing

आगरालीक्स…(14 July 2021 Agra News) आगरा के डॉ.​ विश्व दीपक के समर्पण को सलाम. कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से देखें मरीज. कोरोनाकाल में नहीं बुझने दी उम्मीद की लौ.

  • कोरोना काल में कई निजी चिकित्सक अपनी जान की परवाह न करके मरीजों को बचाने में जुटे रहे
  • डेढ़ साल में डॉ विश्वदीपक ने हजारों मरीज देखे, गम्भीर स्थिति में आए लोगों को दी नई जिंदगी

विषम परिस्थितियों में किया मरीजों का इलाज
डा. विश्वदीपक, एक ऐसा नाम जो इस पूरे कोरोना काल में हजारों मरीजों के लिए वरदान बन गया। अपने काम के प्रति वफादारी और मरीजों की सेवा का जज्बा लिए वे पिछले डेढ़ साल से कोरोना की विषम परिस्थितियों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। लगातार काम करने से वे खुद भी कोविड की चपेट में आ गए, यहां तक कि परिवार में भी कई लोगों को कोरोना हुआ। बावजूद इसके डा. विश्वदीपक अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने मरीजों को कोविड प्रोटोकाॅल का पालन करते हुए इलाज जारी रखा। वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग से मरीज देखे पर हार नहीं मानी।

कोरोनाकाल में दो हजार से अधिक मरीज देखे
कोरोना काल में दुनिया की बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं लड़खड़ा गईं। लोग एक-दूसरे से दूर हो गए। यहां तक कि रिश्तों में भी दरार आ गई। निजी अस्पतालों पर संकट आ गया। तमाम आॅपरेशन टाल दिए गए। कई जगह मरीजों को देखने के लिए डाॅक्टर उपलब्ध नहीं हुए। दूसरी ओर रेनबो हाॅस्पिटल और शारदा क्लीनिक, सिकंदरा में डा. विश्वदीपक ने इस खतरे के बावजूद अपनी सेवाएं जारी रखीं। उन्होंने कोरोना काल में 2000 से अधिक मरीजों को देखा। हालांकि संक्रमण न फैले इसके लिए उन्हें सिस्टम, रूटीन और विभाग स्तर पर कई बदलाव करने पडे़।

मरीज का इलाज करते हुए खुद हुए कोरोना पॉजिटिव
डा. विश्वदीपक ने बताया कि कई ऐसे लोग थे जो बेहद गंभीर अवस्था में अस्पताल और क्लीनिक लाए गए थे। उस समय अगर इनका कोरोना टेस्ट कराकर रिपोर्ट का इंतजार करते तो उनकी जान खतरे में पड़ सकती थी। टेस्ट कराने में दो से तीन दिन लग रहे थे। ऐसे में कई मरीजों को भर्ती करना पड़ा। कई बार तो ऐसे लगा कि मरीज के पूरी तरह संपर्क में आ गए हैं। हालांकि उन्होंने पीपीई किट, डबल ग्लव्स, डबल मास्क से लेकर सुरक्षा के पूरे प्रबंध किए थे। बावजूद इसके संक्रमण का खतरा बरकरार था। एक ऐसे ही मरीज का इलाज करते हुए वे खुद कोरोना पाॅजिटिव हो गए। इस दौरान उन्होंने वीडियो काॅन्फ्रंेसिंग और दूसरे तरीकों से मरीज देखे।

बड़ी चुनौती के लीडर बने, स्टाफ ने दिया आत्मबल
ठीक होने के बाद दोबारा मरीजों की सेवा में जुटे। यह बहुत बड़ी चुनौती थी, वे लीडर थे, लेकिन स्टाफ के सहयोग ने उन्हें आत्मबल दिया। 23 मार्च 2020 से जुलाई 2021 तक वे 2000 से अधिक कोविड मरीज देख चुके हैं। गैर कोविड मरीजों को मिला लिया जाए तो यह संख्या काफी अधिक है। उनके अधिकांश मरीज कोरोना से रिकवर होने के बाद पहले की तरह जिंदगी जी रहे हैं। कोरोना योद्धा के रूप में डा. विश्वदीपक के मरीज अब उनके अस्पताल और क्लीनिक आते हैं और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, क्योंकि दो माह पहले तक एक ऐसा वक्त था जब कोई डाॅक्टर देख ले यही सबसे बड़ी चुनौती थी। अस्पतालों में बैड नहीं थे, आॅक्सीजन का संकट था, दवाएं आसानी से उपलब्ध नहीं हो पा रही थीं।

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