आगरालीक्स…(27 October 2021 Agra News) इस बार गुरु पुष्य, अमृत योग अहोई अष्टमी को पड़ रहा है. जानिए क्या खरीदना और क्या करना होगा आपके लिए शुभ
पुष्य नक्षत्र गुरुवार को
सभी नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यह सभी नक्षत्रों का राजा कहा जाता है इसमें किए हुए कार्य कभी निष्फल नहीं होते यह हमारे पूर्वजों ऋषि-मुनियों का सबसे प्रिय और हरकार्य करने वाला नक्षत्र कहा जाता है यह शुभ मुहूर्त खरीददारी के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस बार गुरुपुष्य नक्षत्र 28 नवंबर को पड़ रहा है. इस बार यह शुभ संयोग अहोई अष्टमी वाले दिन पड़ रहा है. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरू पुष्य अमृत योग का सुखद संयोग देखने को मिलेगा. इस शुभ संयोग में हर प्रकार की सिद्धि हर प्रकार का मंत्र जाप ,हर प्रकार का अनुष्ठान, हर प्रकार का मकान, गृह प्रवेश, बच्चे गोद लेना ,प्रॉपर्टी मकान प्लाट लेना, सोना चांदी हीरे जवाहरात खरीदना और सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए यह अत्यंत अशुभ फलदायक माना जाएगा.
क्या है गुरु पुष्य योग
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु पुष्य योग के देवता बृहस्पति, एवं स्वामी ग्रह शनि है, इसकी राशि कर्क 03।20 से 16 । 40 अंश तक मान्य है. भारतीय खगोल मे यह 8 वां लघु संज्ञक नक्षत्र है. इसके तीन तारे है. ये तारे एक सीध मे तीर का आकार प्रदिर्शित करते है. इसे तिष्य या देव नक्षत्र भी कहते है. पुष्य का अर्थ पौषक है. 27 नक्षत्रो मे सबसे प्यारा नक्षत्र माना जाता है. यह शुभ सात्विक पुरुष नक्षत्र है। इसकी जाति क्षत्रिय, योनि छाग, योनि वैर वानर, गण देव, आदि नाड़ी है। यह पूर्व दिशा का स्वामी है.
गुरुपुष्य फलादेश प्रमुख आचार्यो अनुसार
पुष्य नक्षत्र के लोग सुभग, सुन्दर, शूरवीर, प्रसिद्ध होने वाले, धर्म के क्षेत्र मे अग्रणी, धनी, दयालु होते है. सच्ची बात कहना और सुनना इनका प्रमुख गुण होता है. ये काम वासना की अधिकता वाले किन्तु अवैध सम्बन्धो से दूर रहने वाले होते है। विविध कलाओ को जानना, प्रशंसा करना, उन्हे परखना, कला रसिक होना इनका अतिरिक्त गुण होता है. ये लोग रूखे न होकर हास-परिहास मे भी कुशल होते है. गुरु पुष्य के दिन सुबह नहाकर साफ वस्त्र धारण करें और शुभ मुर्हूत में अपने सामने दक्षिणावर्ती शंख को रखें. शंख पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं. इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें. मंत्र जप के लिए स्फटिक की माला का उपयोग करें.
मंत्र
ऊं श्रीं ह्रीं दारिद्रय विनाशिन्ये धनधान्य समृद्धि देहि देहि नम:।।
इस मंत्रोच्चार के साथ-साथ एक-एक चावल इस शंख में डालते रहें. चावल टूटे न हो इस बात का ध्यान रखें। इस तरह दीपावली की रात तक रोज एक माला मंत्र जप करें. पहले दिन का जप समाप्त होने के बाद शंख में चावल रहने दें और दूसरे दिन एक डिब्बी में उन चावलों को डाल दें. इस तरह एक दिन के चावल दूसरे दिन एक डिब्बे में डालकर एकत्रित कर लें. जब प्रयोग समाप्त हो जाए तो चावल व शंख को एक सफेद कपड़े में बांधकर अपने पूजा घर, फैक्ट्री, कारखाने या ऑफिस में स्थापित कर दें। इस प्रयोग से आपके घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी.
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदयरंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़.