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Tirthankara is born after penance for births#agranews

आगरालीक्स(26th August 2021 Agra News)…जन्मों की तपस्या और साधना के बाद तीर्थंकर का जन्म होता है। जहां वे जन्म लेते हैं, गर्भ मे आते है वह क्षेत्र भी धन्य हो जाता है। काफी उत्सव होते हैं। इसलिए गर्भ कल्याणक कहलाते हैं।#agranews

एमडी जैन में चल रही श्री पार्श्वनाथ भगवान की कथा
एमडी जैन इंटर कॉलेज ग्राउंड हरीपर्वत में अर्हंयोग मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज और मुनि श्री 108 चंद्र सागर महाराज श्री पार्श्वनाथ कथा सुना रहे हैं। मुनि श्री प्रणम्य सागर महाराज ने गुरुवार को बताया कि श्री पार्श्वनाथ भगवान की यह कथा दस भवों को पूर्ण करके उनके जन्म की ओर आ रही है।#agraleaks.com

इसीलिए कहलाते हैं गर्भ कल्याणक
उन्होंने कहा कि जन्म-जन्म की तपस्या, साधना के बाद तीर्थंकर का जन्म होता है। जहां वे जन्म लेते हैं, गर्भ में आते हैं, वह क्षेत्र भी धन्य हो जाता है। गर्भ के समय देव पूजा करते हैं। बहुत उत्सव होते हैं। इसलिए गर्भ कल्याणक कहलाते हैं। तीर्थंकरों के लिए कल्याणक शब्द का प्रयोग होता है, कल्याण करने वाले और कल्याण कराने वाले। जिनमे स्वयं का और पर का कल्याण करने की शक्ति और सामर्थ्य होती है ,उन्हीं की देव इन्द्र पूजाएं करते है। जीव की सारी व्यवस्थाएं उसके पुण्य से बनती हैं।

पुण्य ही सब व्यवस्थाएं बनाता है
उन्होंने कहा कि हमारे अन्दर रहने वाला धर्म, हमारा पुण्य ही हमारी सब व्यवस्थाएं बनाता है। ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए। इन्द्र के कहने से हजारों असंख्य देव तैयारियां शुरू कर देते हैं। गर्भ उत्सव देखने का अवसर भी बहुत पुण्य से मिलता है। जब हमारा पुण्य बहुत बढ़ जाता है, तब हमें तीर्थंकरों के महापुरुषों के सान्निध्य में बैठने का निकट आने का सुअवसर मिलता है। साधु महापुरुषों के सान्निध्य का बहुत प्रभाव होता है। प्रभाव एक बहुत बड़ी चीज है। वातावरण में पवित्रता रहती है। नेगेटिव विचार समाप्त होते हैं। श्री पारसनाथ भगवान कथा बहुत ही भव्य रूप से हो रही है, आपको बहुत पुण्य से यह सुनने का अवसर मिल रहा है। मन को थाम कर, रोक कर स्थिरता पूर्वक यह गर्भ मंगल की कथा आप सुनो। इन्द्र के आदेश से देव राजा रानी के यहां जाकर पंच आश्चर्य करते है। 1-रत्न वृष्टि, 2-दिव्य पुष्प वृष्टि, 3-गंधोधक वृष्टि, 4-देव दुन्दुभि, 5-जय जय,जय की ध्वनि।

वाराणसी विहार का संस्मरण सुनाया
मुनि जी ने साल 2008 का नारस विहार का बहुत महत्वपूर्ण संस्मरण सुनाया। इस कार्यक्रम की शुरुआत में मुनिराज के पाद प्रक्षालन सर्वेश जैन के परिवार ने किया। मंगला आरती रूपेश जैन परिवार ने की।

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