नईदिल्लीलीक्स… मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में दगना से एक और मासूम मरा। अंधविश्वास के चलते इलाज के लिए मासूम को गर्म सलाखों से दागने से गई जान।
इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से दागते हैं बच्चा
मध्यप्रदेश के शहडोल आदि जिलों के आदिवासी क्षेत्रों में अंधविश्वास के चलते बच्चों के साथ गर्म सलाखों से दागकर इलाज करने की कुप्रथा लगातार बढ़ रही है।
ढाई माह की बच्ची को 51 बार दागा
शहडोल के कठौतिया गांव में ढाई महीने की बच्ची को 51 बार गर्म सलाखों से दागने की मौत के बाद शनिवार-रविवार की देर रात दूसरे मासूम की मौत हो गई।
कठौतिया में 24 बार दागने से गई जान
कठौतिया से लगे गांव सामतपुर में एक और बच्ची को इलाज के नाम पर 24 बार गर्म सलाखों से दाग गया है। कठौतिया तीन किमी दूर स्थित सलामतपुर गांव में तीन महीने की बच्ची को निमोनिया बीमारी से बचाव के लिए दागा गया।
हालत बिगड़ी तो अस्पताल लेकर गए
हालत बिगड़ने पर मासूम को मेडिकल कालेज शहडोल में भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर परिजन मेडिकल कालेज से निजी अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई।
झोलाझाप से भी कराया था इलाज
बताया गया है कि तीन माह की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या थी। पहले झोलाछाप से इलाज कराया लेकिन राहत नहीं मिली। बाद में मेडिकल कालेज लेकर गए।
गांव की महिला ने परिजनों की सहमति सेदागा
लगातार बीमार होने पर गांव की एक महिला ने गर्म सलाखों से स्वजनों की सहमति से दाग दिया। बाद में अस्पताल लाया गया। बालिका को 24 बार गर्म सलाखों से दागने के निशान उसके शरीर में बने थे। मेडिकल कालेज से भी स्वजन उसे किसी निजी अस्पताल में लेकर गए थे जहां देर रात मौत हो गई।