आगरालीक्स…आगरा में अनूठा प्रयोग. कोई भूखा न सोए, कोरोना काल में बेटा रात में सडकों पर तलाशता है ऐसे लोगों को जिन्हें खाना नहीं मिला, पिता करते हैं सहयोग…
कोरोनाकाल के दौरान कई लोगों का रोजगार चला गया तो कई लोगों का दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया. ऐसे में कई ऐसे अनसंग हीरो सामने निकलकर आए जो कि चुपचाप लोगों की मदद करने में जुट गए. कोई लोगों को खाना उपलब्ध करा रहा है तो कोई लोगों के उपचार में उनकी सहायता कर रहा है. आगरा में भी कई अनसंग हीरो हैं जो कि लोगों की मदद करने में जुटे हुए हैं. इनमें युवाओं की भूमिका सबसे अहम रही है. वो खुलकर लोगों की सहायता करने में जुटे हैं. इसके लिए टीमें भी बनाई जा रही हैं.
आगरा के अनसंग हीरो बने निखिल गर्ग
आगरा के निखिल गर्ग भी ऐसे ही एक नाम हैं. वर्ष 2020 में कोरोनाकाल के दौरान लोगों को परेशानी में देखा तो इन्होंने भी एक एनजीओ से जुड़ने का फैसला किया. दिल्ली की इस एनजीओ का नाम है फीडिंग इंडिया. निखिल गर्ग ने इस संस्था से जुड़े और इन्हें आगरा की जिम्मेदारी सौंपी गई. करीब 70 लोगों की टीम आगरा में गरीब, असहाय और फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को भोजन उपलब्ध कराने लगे. निखिल गर्ग ने आगरा के होटल्स, मैरिज होम, धर्मशालाओं से टाइअप किया और उनसे शादी के बाद बचने वाले खाने को लेने लगे.
गरीबों को बांटा शादी से बचा खाना
इन लोगों ने शादी से बचने वाले खाने को एकत्रित करना शुरू किया और इस खाने को गरीब लोगों में बांटने का सिलसिला शुरू कर दिया. फीडिंग इंडिया की ये टीम सुबह और शाम को दोनों टाइम खाना बांटने के लिए जाती. निखिल गर्ग का कहना है कि हम लोग दो टाइम खाना बांटते हैं एक तो सुबह सात बजे और दूसरा शाम को 8 बजे के बाद.
खाना बनाने के लिए हलवाई को रखा है
फीडिंग इंडिया से जुड़े निखिल गर्ग कहते हैं कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण कई साथी अभी अपने घर पर हैं. लेकिन हमने काम को बंद नहीं किया है. अभी भी मैं और हमारी टीम के प्रेसीडेंट हिमांशु अग्रवाल रोज भूखे लोगों को खाना खिलाने जाते हैं. उनका कहना है कि शादियां भी कम होने के कारण खाना हमें मैरिज होम से नहीं मिल रहा है. ऐसे में निखिल गर्ग खुद अपने खर्चे से गरीबों के लिए खाना बनवा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने एक हलवाई को भी रख लिया है. निखिल सुबह और शाम को दोनों टाइम खाना बनवाते हैं और खुद कार को ड्राइव कर अपने एक दो साथी के साथ गरीबों को खाना देते हैं. निखिल का कहना है कि हम लोग सुबह 600 रोटियां और सब्जी बनवाते हैं और उसे जरूरत के हिसाब से शहर के कई इलाकों में बांटने के लिए जाते हैं.