Video: World Diabetes Day Agra: Gestational diabetes cases increase in Agra
आगरालीक्स.. आगरा में गर्भवती महिलाएं डायबिटीज की चपेट में आ रही हैं, यह गर्भवती महिला और कोख में पल रहे शिशु के लिए घातक है। डायबिटीज डे पर जेस्टेशनल डायबिटीज क्या है और इससे कैसे बचें।
आगरा के रेनबो हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का रिस्क बढा है। यह गर्भधारण के समय होने वाली डायबिटीज है, इस डायबिटीज से गर्भवती महिला और कोख में पल रहे शिशु को खतरा रहता है। समय से पूर्व प्रसव होने के साथ गर्भस्थ शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास में भी समस्या आ सकती है।
कैसे चलता है पता
गर्भधारण के तीन महीने बाद, यानी 12 सप्ताह के बाद शुगर की जांच करानी चाहिए। इस जांच के लिए जी 75 ग्लूकोस, यह ग्लूकोस मधुमेह की जांच के लिए ही होता है, इसे पीने के दो घंटे बाद जांच करानी चाहिए। शुगर का स्तर 140 से अधिक आता है तो जेस्टेशनल डायबिटीज मानी जाती है। इसके लिए दवाएं दी जाती हैं, जिससे शुगर कंट्रोल में रहे। इसके बाद 28 और 36 सप्ताह पर भी यही जांच कराई जाती है। जिससे प्रसव से पहले और बाद में कोई समस्या ना आए।
खुद ब खुद ठीक हो जाती है जेस्टेशनल डायबिटीज
अधिकांश केस में जेस्टेशनल डायबिटीज प्रसव के बाद खुद ब खुद ठीक हो जाती है। कुछ केस में जब गर्भधारण के समय दवाएं नहीं ली जाती हैं तो यह डायबिटीज प्रसव के बाद भी बनी रहती है। इसके लिए इलाज लेना होता है।
डायबिटीज कैपिटल बना भारत
रेनबो हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉ जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि भारत डायबिटीज कैपिटल बन चुका है, गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज के केस बढ रहे हैं।