श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र पांपोर में शनिवार की शाम को आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवान वीर सिंह के शिकोहाबाद तहसील से सात किलो मीटर दूर कंथरी ग्राम पंचायत के मजरा नगला केवल में शनिवार रात से ही शोक की लहर थी। रविवार रात करीब सवा नौ बजे 21 जवानों का दल वीरसिंह के शव को लेकर उनके गांव पहुंचा। शव को देख शहीद की पत्नी प्रीता देवी और मां विमला देवी गश कर गिर पड़ी। बेटी रजनी के आंसू नहीं रुक पा रहे हैं।
रमनदीप और संदीप पिता के शव से लिपटकर बस रो रहे थे। वहीं पिता रूंधे गले से बस यही बोल रहे थे सब खत्म हो गया…. फिर भी बेटे की शहादत पर गर्व है। गांव के लोग शहीद के परिजनों को ढांढस बंधाने में जुटे हुए थे। दल के साथ आए असिस्टेंट कमांडेट नवल सिंह ने परिजनों को घटना की पूरी जानकारी दी। देर रात पहुंचे डीआईजी रामपुर रेंज जगजीत सिंह ने सीओ ब्रजेश सिंह ने शहीद को सलामी दी। डीएम निधि केसरवानी व एसपी अशोक कुमार शर्मा ने शहीद के शव पर पुष्पचक्र अर्पित किए।
मचा कोहराम
वीर सिंह (48) की पत्नी प्रीतादेवी (47) बार-बार सुध-बुध खो रही थीं। आंखों में आंसू लिए गांव की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थीं। मां का हाथ थामे बैठी वीर सिंह की सबसे बड़ी बेटी रजनी भी शहीद पिता की तस्वीर देख कर फकक-फकक कर रो रही थी। बड़ा बेटा रमनदीप अपनी दादी (वीर सिंह की मां) विमलादेवी के पास गुमसुम बैठा था। मां विमला देवी के मुख से बार-बार एक ही शब्द निकल रहा था मेरे घर का खिलौना चला गया…। गांव की महिलाएं उन्हें ढांढस बंधा रही थी।
रिक्शा चलाकर बेटे को पढाया
वीर सिंह के पिता रामसनेही बेटे की शहादत का जिक्र आते ही उनकी आंखें भर आईं। बूढ़ी आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी। गला रूंध गया, बस इतना ही बोल पाए, क्या कहूं मेरा तो सब कुछ चला गया। एक वीर ही था जो घर की रोजीरोटी का सहारा था। मैं तो भूमिहीन हूं। कच्चा मकान है और खेती के लिए एक इंच जमीन नहीं। रिक्शा चला कर बेटे को पढ़ाया और फौज (सीआरपीएफ) में भेजा। छोटा बेटा रंजीत बेलदारी करता है। रूंधे गले से रामसनेही बोले पतो नाए आगे को जीवन कैसे कटेगो..सब कछू तो चलो गयो…।
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