आगरालीक्स…(4 June 2021 Agra) ‘ग्रीन मेट्रो, क्लीन मेट्रो’ पर आधारित होगी आगरा की विश्वस्तरीय मेट्रो सेवा. ऊर्जा का उत्पादन भी करेगी मेट्रो तो पर्यावरण का भी होगा संरक्षण…पढ़ें पूरी खबर
ट्रेन और लिफ्ट भी करेंगी उर्जा का उत्पादन
ताजनगरी आगरा में विश्वस्तरीय मेट्रो सेवा का निर्माण लगातार जारी है। यूपी मेट्रो सभी पर्यावरण नियमों का पालन करते हुए मेट्रो का निर्माण कर रही है। यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव हमेशा ही पर्यावरण संरक्षण व ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर देते रहे हैं, इसी का परिणाम है कि आगरा मेट्रो पूर्णत:’ग्रीन मेट्रो, क्लीन मेट्रो’ थीम पर आधारित है। श्री कुमार केशव ने अनुसार शहर में मेट्रो संचालन शुरू होने के बाद सड़कों पर वाहनों का भार काफी हद कम होगा जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और शहर की गुणवत्ता में सुधार आएगा। इसके साथ ही आगरा में रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली का प्रयोग किया जाएगा, जिसमें न सिर्फ उर्जा की बचत होगी, बल्कि आगरा मेट्रो उर्जा का उत्पादन भी करेगा।
निर्माण कार्य के दौरान भी पर्यावरण संरक्षण का ध्यान
ताज ईस्ट गेट से जामा मस्जिद के बीच बन रहे प्रयोरिटी कॉरिडोर में तेज गति के साथ निर्माण कार्य जारी है। इसके साथ ही आगरा मेट्रो के सभी निर्माण स्थलों पर पर्यावरण संरक्षण को विशेष ध्यान दिया जा रहा है। डस्ट पार्टिकल्स को हवा में मिलने से रोकने के लिए सभी साइटों पर लगातार एंटी स्मॉग गन का प्रयोग किया जाता है। साथ ही कॉरिडोर में भी लगातार पानी के छिड़काव किया जाता है, जिससे हवा में धूल उड़ने की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
रीजेनेरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली से होगा उर्जा का उत्पादन
लखनऊ, कानपुर के साथ ही आगरा मेट्रो की ट्रेनों में भी ‘रीजेनरेटिव ब्रेकिंग’ की तकनीक के प्रयोग से ऊर्जा का उत्पादन किया जाएगा। इस तकनीक के अंतर्गत, ट्रेन में ब्रेक लगने के दौरान जो ऊर्जा पैदा होती है, उसे बिजली के तौर पर संरक्षित कर वापस मेट्रो तंत्र में इस्तेमाल कर लिया जाता है। आगरा की ट्रेनें इस तकनीक के माध्यम से लगभग 45% तक ऊर्जा बचाएँगी यानी अगर ट्रेन ऑपरेशन में 1000 यूनिट बिजली खर्च हो रही है तो रीजनरेटिव ब्रेकिंग के माध्यम से ट्रेनें लगभग 450 यूनिट फिर से पैदा कर लेंगी, जिन्हें वापस सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा। इसी प्रकार स्टेशन या मेट्रो सिस्टम की लिफ्ट में भी regenrative ब्रेकिंग के ज़रिए ऊर्जा दक्षता दिखेगी।
भूगर्भ जल संरक्षण के लिए होगी रेन वॉटर हारवेस्टिंग
बता दें कि आगरा मेट्रो भूमिगत स्तर को सुधारने में मदद करेगी। आगरा मेट्रो के डिपो परिसर व ऐलीवेटिड भाग में 300 से अधिक पिट बनाए जाएंगे, जिससे वर्षा के दौरान इकट्ठा होने वाला पानी एक ड्रेन पाइप के जरिए मीडियन में बने पिट में चला जाएगा। इसके बाद पिट से पानी को बोरिंग के जरिए वापस जमीन में डाला जाएगा, जिससे अंडर ग्राउंड वॉटर लेवल रीचार्ज होगा। एक अध्यन के अनुसार लगभग 30 कि.मी लंबी आगरा मेट्रो परियोजना पूरी होने के बाद वर्षा जल संचयन संयंत्र की मदद से एक वर्ष में लगभग 10 लाख लीटर वर्षा जल का संचय किया जाएगा।
डिपो परिसर में होगी जीरो डिस्चार्ज फेसिलिटी
यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव की पर्यावरण एवं जल संरक्षण की नीतियों के तहत आगरा मेट्रो डिपो भी पूरी तरह से ‘जीरो डिस्चार्ज फैसिलिटी’ पर आधारित होगा। कानपुर व लखनऊ की तरह आगरा डिपो परिसर में भी वेस्ट वॉटर को निस्तारित या डिस्चार्ज नहीं किया जाएगा बल्कि इसे पूरी तरह से रीसाइकल करके विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा।
पौधारोपण के जरिए होगा पर्यावरण संरक्षण
प्रथम कॉरिडोर के मीडियन व पीएसी परिसर में बन रहे मेट्रो डिपो में पौधे लगाए जाएंगे, जिससे आगरा मेट्रो का कॉरिडोर व डिपो परिसर हरा-भरा नजर आएगा। इसके साथ ही यूपीएमआरसी द्वारा लगातार विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर पौधारोपण किया जाता रहा है। बीते दिनों विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर बमरौली कटारा स्थित कास्टिंग यार्ड में पौधारोपण किया गया था। गौरतलब है कि इसी वर्ष राजभवन में आयोजित राज्य पुष्प, फल एंव शाकभाजी प्रदर्शनी में यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव को ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर व प्रर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए सम्मानित किया गया था।