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World IDB Day: 4 gastroenterologists of Agra made aware about IBD, know its symptoms, causes…#healthagra

आगरालीक्स…अगर आप आईबीडी से पीड़ित हैं तो घबराना नहीं है लेकिन इसकी जानकारी होनी चाहिए, क्योंकि यह सबसे बड़ी वजह है जिसकी वजह से आप गैस्ट्रो सेंटर जाते हैं, वर्ल्ड आईबीडी डे पर शहर के चार प्रमुख गैस्ट्रोएंटरोलाॅजिस्ट ने दी जानकारी

इनफ्लेमेटरी बावल डिजीज (आईबीडी), हो सकता है आपमें से बहुत लोगों को यह बीमारी हो और आपको पता ही न हो। पेट की हर समस्या को लोग गैस या अपच से जोड़कर देख लेते हैं। इस वजह से अक्सर चीजों के समाधान में देर हो जाती है। ऐसे में विश्व आईबीडी डे, एक मौका है कि आप इसके बारे में जानें-समझें और बड़ी मुसीबत से बच सकें।

आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर के सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलाॅजिस्ट डाॅ. दिनेश गर्ग ने बताया कि हर साल 19 मई को विश्व आईडीबी दिवस मनाया जाता है। इसके पीछे का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है। सामान्य रूप से इस बीमारी के कारण का पता नहीं चल पाता है, लेकिन यह बीमारी व्यक्ति की रोग प्रतिकार प्रणाली और शरीर की सुरक्षा प्रणाली की असमान्य गतिविधि के कारण होती है। आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारण भी होते हैं। अगर कोई मरीज आईबीडी से पीड़ित पाया जाता है तो उसे घबराना नहीं चाहिए।

सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलाॅजिस्ट डाॅ. समीर तनेजा ने बताया कि आईबीडी मुख्य रूप से दो प्रकार की है- क्रोहन डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस। क्रोहन डिजीज के मामले पुरूषों में अधिक देखने को मिलते हैं जबकि अल्सरेटिव कोलाइटिस के मामले में महिलाओं और पुरूषों दोनों में बराबर हैं। आम तौर पर यह बीमारी 35 की उम्र से पहले शुरू होती है। यह पाचन तंत्र से संबंधित बीमारी है। इसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं जिसके कारण आम तौर पर कोई इसे शुरूआत में गंभीरता से नहीं लेता है। यही वजह है कि आगे चलकर समस्या बढ़ जाती है।

सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलाॅजिस्ट डाॅ. विनीत चौहान बताते हैं कि आगरा गैस्ट्रो लिवर सेंटर में हर दिन 30 से 40 मरीज इससे संबंधित आते हैं। आईबीडी से मृत्यु दर पांच प्रतिशत से भी कम है, लेकिन लापरवाही खतरा बढ़ा सकती है। एक अध्ययन के अनुसार देश में लगभग 1.5 मिलियन लोग आईबीडी से प्रभावित हैं। इन आंकड़ों के साथ भारत अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा आईबीडी प्रभावित देश है।

सीनियर गैस्ट्रोएंटरोलाॅजिस्ट डाॅ. पंकज कौशिक ने बताया कि आईबीडी के दो मुख्य प्रकारों में क्रोहन डिजीज रोगी के मुंह से गुदा तक के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। जिसकी वजह से पाचन तंत्र में सूजन के साथ जलन की समस्या होती है। जबकि अल्सरेटिव कोलाइटिस की बीमारी बड़ी आंत और मलाशय में होती है। इसमें सूजन केवल कोलन की परत पर होता है।

लक्षण

  • दस्त
  • पेट में ऐंठन
  • शौच में रक्त
  • वजन घटना
  • भूख की कमी
  • बुखार

कारण

  • आनुवांशिक
  • मसालेदार खाना
  • डब्बाबंद खाना
  • जंक फूड
  • कमजोर इम्युनिटी
  • धूम्रपान
  • वातावरण

जांचें

  • एंडोस्कोपी
  • कोलोनोस्कोपी
  • कंट्रास्ट रेडियोग्राफी
  • एमआरआई
  • सीटी स्कैन
  • स्टूल टेस्ट
  • ब्लड टेस्ट

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