Friday , 7 February 2025
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Youth Icon Agra : Dr. Aditya Pareek, OPD to work out, A perfect life style in busy schedule #agra

आगरालीक्स…दादा की गोद में नाती यूं बना नगीना, सिर्फ मरीज नहीं जिम, प्रकृति, खेती, व्यायाम और खेलकूद भी हैं जिंदगी का हिस्सा, आगरा के डाॅ. आदित्य पारीक की लाइफ स्टाइल युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं.

आगरा में डाॅ. आरएस पारीक, ये नाम किसी के लिए अपरिचित नहीं है बल्कि शहर की सीमाओं के परे, देश की सीमाओं के पार भी इस नाम को जानने और पहचानने वाले बहुत हैं। इस सौम्य और प्रभावशाली व्यक्तित्व की उपलब्धियों का संपूर्ण परिचय दिया जाए तो शायद एक ग्रंथ भी कम पड़ जाए, लेकिन आज हम बात करेंगे उनके नाती डाॅ. आदित्य पारीक के बारे में, अपने दादा जी और पिता जी के नक्शे कदम पर चलकर जिन्होंने न सिर्फ अपने परिवार की विरासत को संभाला है बल्कि आगरा के सबसे पाॅपुलर और फेवरेट यंग डाॅक्टर भी बन गए हैं।
पुरानी यादों को कुरेदते हुए डाॅ. आदित्य पारीक कहते हैं कि उन्होंने अपने बचपन का अधिकांश समय अपने दादा जी के साथ ही बिताया है क्योंकि उन दिनों उनके पिता डाॅ. आलोक पारीक अपना अधिकांश समय मरीजों को देखने और विदेशों में बिताते थे। यही वजह है कि आज उनका खान-पान, रहन-सहन भी दादा जी की तरह ही है। ऐसे तो अधिकांश समय मरीजों को देखते हुए ही बीतता है क्योंकि मरीजों को उनकी सबसे अधिक जरूरत है, लेकिन इसके बाद भी वे अपने परिवार के लिए पूरा समय निकालते हैं। बाग फरजाना स्थित अपने पारीक हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में मरीज देखने के अलावा फाॅर्म हाउस जाकर खेती करना, सुबह की सैर, जिम में वर्कआउट, प्रकृति के लिए कुछ न कुछ करना और चिकित्सकीय वेबिनार उनकी दिनचर्या में शामिल हैं। इस बीच दिन में दो बार एक लंच और डिनर के समय पूरा परिवार एक साथ होता है, सब साथ में खाना खाते हैं और बातें साझा करते हैं। परिवार में कुल 10 सदस्य जिनमें से 08 डाॅक्टर हैं और सभी रात को एक घंटा बाबूजी यानि डाॅ. आरएस पारीक के साथ उनके कमरे में समय बिताते हैं। आज उनके पास आने वाले तमाम मरीजों में ऐसे भी लोग शामिल हैं जो पहले उनके दादा जी डाॅ. आरएस पारीक से इलाज कराते आए हैं और अब वे मरीज व उनकी नई पीढ़ियां डाॅ. आदित्य पारीक में उनके दादा जी डाॅ. आरएस पारीक की ही छवि देखती हैं। इन मरीजों का कहना है कि डाॅ. आदित्य न सिर्फ अपने नैन-नक्श से बल्कि अपने स्वभाव से भी डाॅ. आरएस पारीक जैसे ही हैं। डाॅ. आदित्य से पहली बार मिलकर ही मरीज आधे ठीक हो जाते हैं और बाकी का काम उनकी लिखी दवाएं करती हैं। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां युवा झटके में कामयाबी चाहते हैं डाॅ. आदित्य पारीक का मानना है कि समय का सदुपयोग एक ऐसी चीज है जिससे आप एक कामयाब व्यक्ति बन सकते हैं बल्कि खुश रहना सीख सकते हैं और धन भी इसी से आता है। उन्होंने खुद भी अपने दादा जी से यही सीखा है कि कोई भी काम या फैसला हड़बड़ाहट में किया जाए तो वह गलत ही होगा। इसलिए खुद को शांत रखते हुए सभी काम करने चाहिए और इस तरह लिए गए निर्णय भी अक्सर सही होते हैं।

डाॅ. आदित्य की लाइफ स्टाइल

  • सुबह 6.00 बजे उठना।
  • 7.30 बजे अपनी धर्मपत्नी डाॅ. नितिका पारीक के साथ फाॅर्म हाउस जाकर खेती में सहयोग और सुबह की सैर।
  • सुबह 9.00 बजे फाॅर्म हाउस से वापस आकर घर के जरूरी काम निपटाना।
  • सुबह 10.00 बजे अस्पताल पहुंचकर मरीजों को परामर्श।
  • अपराह्न 3.30 बजे तक लगातार मरीज देखने के बाद एक लंच ब्रेक।
  • शाम 5.00 बजे से वापस अस्पताल पहुंचकर मरीजों को परामर्श।
  • रात 8.00 बजे वापस आकर घर में ही बने जिम में वर्कआउट।
  • रात 9.00 बजे परिवार के सभी सदस्य घर में एक साथ बैठकर खाना खाते हैं।
  • इसके बाद परिवार के सभी लोग कुछ समय दादा जी डाॅ. आरएस पारीक के कमरे में जाकर उनके साथ समय बिताते हैं।
  • इसके बाद विदेशी समय सारिणी के अनुसार वेबिनार का समय शुरू हो जाता है, जो रात 12 बजे तक जारी रहता है।
  • रात 12.00 बजे सभी काम खत्म करने के बाद एक अच्छी नींद।

दादा जी की विरासत को यूं बढ़ा रहे आगे

इस शहर को चिकित्सा, शिक्षा, प्रकृति, पर्यावरण और समाजसेवा से संवारने वाले डाॅ. आदित्य के दादा जी डाॅ. आरएस पारीक आज 90वे वर्ष की आयु में भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, इस शहर में हर कोई उन्हें चाहता है, उनके जैसा बनना चाहता है। होम्यापैथिक चिकित्सकों की पहली पंक्ति के स्तंभ हैं। उन्होंने होम्योपैथी को वैज्ञानिक आधार पर विश्व में पहचान दिलाई है। उनकी चमत्कारिक खोज है पार्थोमोन औषधि इसकी मदद से किडनी में बनने वाली पथरी को रोका गया है। इसके परिणामों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता मिली है। वे जर्मनी, यूके, रशिया, आॅस्ट्रिया, फ्रांस, इटली, यूएसए, बेल्जियम और अन्य देशों में होम्योपैथी की परास्नातक डिग्री लेने वाले छात्रों को शिक्षा देते आए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए उन्होंने यमुना किनारे बसे 40 गांवों को गोद ले रखा है, यहां उन्होंने सेवा कुंज मिशन हाॅस्पिटल बनाए हैं। प्रकृति संरक्षण के लिए दयालबाग में 10 हजार से अधिक पेड़ लगवा चुके हैं। इसी विरासत को अपने पिता डाॅ. आलोक पारीक के साथ मिलकर डाॅ. आदित्य पारीक आगे बढ़ा रहे हैं। पारीक हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पर समय-समय पर दुनिया के विभिन्न हिस्सों से वे छात्र आते हैं जो होम्योपैथी में अपना कॅरियर बनाना चाहते हैं। इन छात्रों को यहां होम्योपैथी की उच्च शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। वीडियो काॅन्फ्रेंस के जरिए भी इस सेंटर से दुनिया भर में इस ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा रहा है।

सिर्फ दादा जी नहीं पिता जी डाॅ. आलोक की ख्याति भी दुनिया भर में फैली है

डाॅ. आदित्य पारीक बताते हैं कि वे आज भी अपने दादाजी और पिताजी की इस विरासत को आगे बढ़ाने के लिए सीखना जारी रखे हुए हैं। डाॅ. आरएस पारीक के पांच पुत्र-पुत्रियां हैं, जिनमें डाॅ. आलोक पारीक तीसरे नंबर के हैं। डाॅ. आलोक पारीक को हो होम्योपैथी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए यश भारती पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। किडनी और लिवर पर काफी शोध किए हैं। उनके इस संबंध में 100 से अधिक शोध प्रकाशित हो चुके हैं। वह ऐसी दवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे किडनी और कैंसर सहित तीन रोगों के मरीजों की तकलीफ कम हो सके। डाॅ. आदित्य के पिता डाॅ. आलोक आयुष विकास सलाहकार समिति के अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय होम्योपैथी लीग के अध्यक्ष समेत विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय चिकित्सा संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे हैं। डाॅ. आलोक ने होम्योपैथी का प्रचार दुनिया भर में किया। डाॅ. आलोक पारीक के दोनों बेटे डाॅ. प्रशांत और डाॅ. आदित्य डाॅक्टर हैं। डाॅ. प्रशांत जहां एसएन मेडिकल काॅलेज के सर्जरी विभाग में हैं तो वहीं डाॅ. आदित्य प्राइवेट प्रेक्टिस करते हैं।

डाॅ. आदित्य पारीक की उपलब्धियां

वर्ष 2009 के होम्यापैथी में एमडी मेडिसिन डाॅ. आदित्य पारीक इस क्षेत्र की विभिन्न विश्व कांग्रेस में एक नियमित प्रतिनिधि, वक्ता हैं। उन्होंने फ्रांस, अर्जेंटीना, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी और इटली में तमाम वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। वह 2011 में नई दिल्ली में विश्व कांग्रेस में वैज्ञानिक कार्यक्रम के समन्वयक थे और एलएमएचआई के कार्यकारी समूह के सदस्य भी हैं। वे डीईआई डीम्ड यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर हैं। डाॅ. आदित्य पारीक इंडियन सोसायटी आॅफ होम्योपैथी के अध्यक्ष भी हैं। वर्ष 2017 से म्यूनिख जर्मनी में जीवीएस के लेक्चरर हैं। वर्ष 2018 में डाॅ. आदित्य पारीक को भारतीय होम्योपैथिक संगठन द्वारा डाॅ. बीके बोस मेमोरियल अवाॅर्ड, 2016 में एचईडी सोसायटी द्वारा डाॅ. जुगल किशोर मेमोरियल अवाॅर्ड, 2013 में पश्चिम बंगाल होम्योपैथिक एसोसिएशन द्वारा मालती एलन अवाॅर्ड और वर्ष 2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ होम्योपैथिक फिजिशियन द्वारा अकादमिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। गत वर्ष 2021 में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ आदित्य पारीक की एक पुस्तक का अनावरण भी किया था जिसमें होम्योपैथी से गम्भीर रोगों के इलाज की आधुनिक तकनीकें बताई गई हैं। डॉ आदित्य की धर्मपत्नी डॉ नितिका पारीक उनके हर कदम पर उनकी सहभागी हैं। डॉ नितिका खुद भी पीडियाट्रिक से एमडी होम्योपैथी हैं और पारिवारिक से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक वे एक दूसरे के सहयोगी के रूप में काम करते हैं।

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