क्रिकेट को कारोबार बना देने वाले एन श्रीनिवासन के चंगुल से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) को मुक्त कराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे पर रोक लगाने का फैसला सुनाया। शीर्ष कोर्ट ने आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में श्रीनिवासन को संलिप्त तो नहीं माना, लेकिन चेन्नई सुपरकिंग्स का मालिक होने के साथ बीसीसीआइ अध्यक्ष पद पर बने रहने को ‘हितों के टकराव’ का मामला माना। हालांकि श्रीनिवासन किसी भी तरह की कानूनी सजा से तो बच निकले, लेकिन अब भारतीय क्रिकेट के साथ-साथ विश्व क्रिकेट पर राज करने की उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं होगी।
कोर्ट ने कहा है कि श्रीनिवासन बीसीसीआइ अध्यक्ष और चेन्नई सुपरकिंग्स (सीएसके) के मालिक एक साथ नहीं रह सकते हैं। उन्हें बीसीसीआइ या सीएसके में से किसी एक को चुनना होगा। हालांकि, इससे पहले कोर्ट ने कहा कि श्रीनिवासन पर मामले को दबाने के आरोप साबित नहीं हुए हैं। मयप्पन को बचाने केआरोपों पर श्रीनिवासन को एक तरह से क्लीनचिट मिल गई है। कोर्ट ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा श्रीनिवासन पर मामले को दबाने का शक है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि श्रीनिवासन का टीम मालिक होना सारे विवादों की जड़ है। किसी भी बीसीसीआइ अधिकारी का व्यावसायिक हित नहीं होना चाहिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ के नियमों में बदलाव को खारिज कर दिया। इसी संशोधन से श्रीनिवासन को आइपीएल टीम खरीदने की इजाजत दी गई थी। कोर्ट ने बीसीसीआइ के नियमों में संशोधन को ‘विलेन’ बताया।
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