आगरालीक्स…बच्चे ओस की बूंदों की तरह नाजुक हैं, लेकिन स्कूल, ट्यूशन, सोशल मीडिया, एक्स्ट्रा एक्टीविटी के दबाव में बच्चों के चेहरों से मासूमियत और भोलापन कहीं खो गया है…स्पाइसी शुगर की पाठशाला में शहर की वरिष्ठ शिक्षिकाओं ने विद्यार्थियों में बढ़ते तनाव पर जताई चिन्ता
चार बजते ही स्कूल की घंटी बजी। लकड़ी की काठी…, मछली जल की रानी है… जैसी बच्चों की कविताओं से गूंजते और स्केल लेकर खड़ी मानीटर की क्लास रूम में जब स्पाइसी शुगर की सदस्याएं पहुंची तो मानों बचपन लौट आया। पीटी सर की सीटी और जेब खर्च के लिए चवन्नी। इंटरवेल में लंच ब्रेक के साथ खूब मस्ती हुई। शैतानी करने पर कान पकड़कर सजा भी मिली। सदस्याओं ने अपने स्कूली दिनों के अनुभव को भी साझा किया। वहीं शहर की प्रतिष्ठित शिक्षिकाओं शिखा सिंघल व नीलम मल्होत्रा ने भागदौड़ वाली जीवनशैली के दौर में बच्चों में बढ़ते तनाव को ऐसी महामारी बताया जिसे ब्लड टेस्ट या एक्स-रे से नहीं जाना जा सकता।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दोनों शिक्षिकाओं को संस्थापिका पूनम सचदेवा ने स्वागत पुष्प भेंट कर किया। शिक्षिकाओं ने कहा कि बच्चे हमारा भविष्य हैं, जो ओस की बूंदों की तरह नाजुक हैं। लेकिन आजकल स्कूल, ट्यूशन, सोशल मीडिया, एक्स्ट्रा एक्टीविटी के दबाव में बच्चों के चेहरों से मासूमियत और बोलापन कहीं खो गया है। एकल परिवारों के दौर और माता-पिता दोनों के वर्किंग होने से बच्चों को चाचा-चाची, ताई-ताऊ, दादा-दादी जैसे रिश्तों का भी सपोर्ट नहीं मिल रहा। अंत में शिक्षिकाओं ने क्लब की सदस्ओं के सवालों के जवाब भी दिए। इस अवसर पर मुख्य रूप से शिल्पा माहेश्वरी, राइना, रितु कपूर, चांदनी, पावनी सचदेवा, रिम्पी जैन, शिल्पा कत्याल, अलका बंसल, शिल्पा लूथरा, पूजा ओबराय, तनूजा मांगलिक, शिखा जैन, शीना सोनी आदि उपस्थित थीं।
सिर्फ दोस्त ही नहीं अभिभावक भी बनिए अपने बच्चों के
आगरा। शिक्षिका नीलम मल्होत्रा ने कहा कि बच्चों को दोस्त तो बहुत मिलते हैं, लेकिन अभिभावक एक ही होते हैं। इसलिए हमेशा बच्चों के दोस्त मत बने रहिए। अभिभावक भी बनिए और अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए बच्चों को सही तरह से गाइड भी करिए।