आगरालीक्स…भगवान के रूप में बच्चे घूम रहे हैं, हम उन्हें जगह-जगह ढूंढ़ रहे हैं…आगरा में कथा में श्रीराम की बाल लीलाओं का किया ऐसा वर्णन, भक्तों की आंखों के सामने हो रही बाललीला
मानस मर्मज्ञ राजन जी महाराज के वचनों से दृश्य सजीव से हो रहे थे। उन्होंने भगवान श्री राम की बाल लीलाओं को एसा शब्द चित्रण किया, श्रोताओं को लगा कि उनकी आंखों के सामने भगवान की बाल लीला हो रही है। बल्केश्वर महादेव मंदिर में बल्केश्वर भक्त मंडल द्वारा आयोजित पांच दिवसीय श्रीराम कथा के तीसरे दिन राजन जी महाराज ने भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं के प्रसंग सुनाए। उन्होंने कहा कि जब तक मुंडन न हो जाए, तब तक बच्चों से चरण स्पर्श नहीं कराने चाहिए। क्योंकि वे भगवान के स्वरूप होते हैं। पता नहीं कौन बच्चा भगवान राम या कृष्ण का रूप ले ले। भगवान के रूप में बालक घूम रहे हों, हम उन्हें जगह-जगह ढूंढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरयू तट के समीप भगवान राम खेलते हैं तो कौशल्या उन्हें खोज कर लाती हैं। वे धूल से सने होते हैं, मित्रों के साथ अपने-अपने ऊपर धूल डालने का खेल,खेल रहे थे। इसलिए मां भी उन्हें पहचान नहीं पाई। घर लाकर बड़ी मुश्किल से उन्हें नहलाया और साफ किया। इसी प्रकार के राम अनेक खेल खेला करते थे।
राजन जी ने कहा कि हर व्यक्ति को श्री राम की कथा सुननी चाहिए। यह कथा मानव मन में ऊर्जा का संचार करती है। यह मानव जीवन के लिए औषधि है। श्री राम कथा, संसार सागर पार करने की सुंदर नौका है। जो भी इस पर बैठेगा भव सागर से पार हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भगवान के विषय पर तर्क नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अपने जीवन में समय-समय पर प्रभु का स्मरण करना चाहिए। क्योंकि मनुष्य का जीवन क्षणभंगुर है। मनुष्य जिस धन को कमाने में अपना जीवन बिता देता है। वो धन मानव को जीवन का एक क्षण भी सुख नहीं दे सकता है। उन्होंने कहा कि शिव के आराध्य भी भगवान श्री राम है। ये सभी वेद पुराण में भी कहा गया है। जिसने भगवान को जान लिया, उसे और किसी चीज की लालसा नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि हम कितना भी विकास कर लें, लेकिन मां की ममता कभी कम नहीं हो सकती। बच्चों को बचपन से ही मां की वीरता कथा सुनानी चाहिए। बताना चाहिए कि प्रातःकाल उठ कर ऱघुनाथा, मात-पिता, गुरु, नावहिं माथा।
जागने के बाद जिस तरह सपना समाप्त हो जाता है उसी तरह भगवान को जानने के बाद संसार से मोहभंग जाएगा। भगवान को जानने का प्रयास नहीं कर सकते, भगवान जिसे चाहे उसे ही जानने देंगे। बिना श्री राम को जाने ये संसार जीव मुक्त होने वाला नहीं है। जो भगवान को याद करते है उसे भगवान भी याद करते हैं। भगवान शंकर के मुख से निकलने वाली ये राम कथा सुनने मात्र से ही गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है। श्री राम की कथा कामधेनु समान है। भगवान का रूप मन रूपी दर्पण से होता है। जिस तरह धूल भरा दर्पण से अपना चेहरा नजर नहीं आता है, उसी तरह मैले मन से भगवान दिखाई नहीं देते हैं। निराकार भगवान भक्तों के भावनावश ही समय समय पर साकार रूप में प्रकट हुए हैं। यही साकार एवं निराकार ब्रह्म स्वरुप हैं।
बाबा बल्केश्वरनाथ के भक्तो ने कथा का श्रवण किया।।