आगरालीक्स…आगरा के बल्केश्वर नाथ महादेव मंदिर परिसर में शिवपुराण को सुन गूंजे शिव शक्ति के जयकारों.अरविंद जी महाराज बोले—विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस्य रखना शिव पुराण सिखाता है।
बल्केश्वर नाथ महादेव मंदिर परिसर में श्री शिव महापुराण कथा चल रही है। कथा के तीसरे दिन रविवार को कथावाचक राष्ट्रीय संत अरविंद जी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य शिव भक्ति में स्वयं को समर्पित कर देता है। वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त हो जाता है। कलयुग में शिव महापुराण की कथा ही सबसे आसान मुक्ति का साधन है, सावन माह में भक्तों के द्वारा शिव जी की पूजा के दौरान बेलपत्र अर्पित करने मात्र से सात जन्मों के पाप भी कट जाते हैं। बेल के पेड़ों को सींचने से पितर तृप्त होते है।
अरविंद जी महाराज बेलपत्र के महत्त्व को बताते हुए कहते है कि एक समय की बात है जब पार्वती जी के माथे से पसीने की कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर जा गिरी। पार्वती जी के उस पसीने की बूंद से ही बेल का वृक्ष उत्पन्न हुआ। मान्यता है कि बेल के पेड़ की जड़ में में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी जी का वास होता है। इसी कारण शंकर जी को बेलपत्र प्रिय हैं। कथा व्यास ने कहा कि भगवान शंकर वैराग्य के देवता माने गये है। बाबजूद शिव ने विवाह कर गृहस्थ आश्रम में रहकर वैराग्य धर्म का अनुसरण करने का तरीका दिया।
शिव परिवार में भगवान का वाहन नंदी, मां पार्वती का शेर, गणेश जी का मूषक और कार्तिकेय का वाहन मोर है। सभी विपरीत विचारधारा के बीच सामंजस रखना शिव पुराण सिखाता है। उन्होनें भगवान के विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि मैंना देवी व हिमालय राज की पुत्री के रूप में मां पार्वती जन्म लेकर भगवान शिव की घोर तपस्या की। तब जाकर शिव पार्वती का विवाह हुआ। कथा के दौरान श्रद्धालु नाचते झूमते भक्ति में चूर नजर आए। कथा के अंत में श्रद्धालुओं ने महाआरती की और फिर प्रसाद वितरण किया।