आगरालीक्स ….आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों के लात घूंसे से मारने के मामले में दर्ज मुकदमे में 13 साल बाद आया फैसला। पर्याप्त सुबूतों के अभाव और गवाहों के घटना का समर्थन ना करने पर जूनियर डाक्टर सहित अन्य को आरोप मुक्त कर दिया है।
नौ अगस्त 2011 की घटना
एसएन मेडिकल कॉलेज में 2011 में डॉ. धर्म सिंह प्राचार्य थे, नौ अगस्त 2011 की रात को एसएन की इमरजेंसी में मरीज की मौत होने के बाद तीमारदारों ने जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट कर दी। इससे आक्रोशित जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी पहुंच गए। तत्कालीन रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जगत पाल सिंह सहित जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी में हंगामा कर दिया। डॉ. आरबी लाल की डयूटी थी, इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टरों का विवाद होने पर तत्कालीन प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह पुलिस फोर्स के साथ इमरजेंसी पहुंचे, आरोप है कि इमरजेंसी में पहुंचने के बाद प्राचार्य ने हंगामा कर रहे जूनियर डॉक्टरों को समझाया लेकिन वे नहीं माने और प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह को की पिटाई लगा दी, उन्हें लात घूसे और जूतों से मारा। प्राचार्य डॉ. धर्म सिंह की तहरीर पर जूनियर डॉक्टर अरुण द्विवेदी, रत्नेश तिवारी, जगत पाल सिंह, अरविंद कुमार, दुपारगुडे अभिष्यंद भीमराव एवं करुण शंकर दिनकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
आरोप मुक्त किए गए
वादी मुकदमा को छोड़ कर अन्य गवाहों द्वारा घटना का समर्थन नहीं करने के कारण ,पर्याप्त सबूतों के अभाव एवं आरोपी डॉक्टरों कें वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. रवि अरोरा, चौधरी इंद्रभान सिंह एवं नरेश कुमार यादव के तर्कों को स्वीकार करते हुए विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट राजेंद्र प्रसाद की अदालत ने उन्हें आरोपमुक्त कर बरी करने के आदेश दिये।