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First test tube baby Louise 39th birthday celebration: 3000 test tube baby at Ravi womens Hospital in Agra

आगरालीक्स…. दुनिया का पहला टेस्ट टयूब बेबी आज ही के दिन हुआ था, आगरा में 15 हजार से अधिक टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले चुके हैं, यह हमारे आस पास हैं, टेस्ट टयूब बेबी की दुनिया में बडे बदलाव हो रहे हैं।
25 जुलाई 1978 को ग्रेट ब्रिटेन में लेज़्ली ब्राउन ने दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। आज उनका 39 वां जन्मदिन हैं। आगरा के रवि वूमन हॉस्पिटल स्थित आईवीएफ सेंटर में अत्याधुनिक तकनीकी से टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले रहे हैं। सेंटर की निदेशक डॉ रजनी पचौरी ने बताया कि 2009 में सेंटर में पहला टेस्ट टयूब बेबी हुआ था, इसके बाद से करीब 3 हजार टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले चुके हैं  । हेपा फ़िल्टर के साथ मॉडयूलर  है। इसमें से कुछ ऐसे दंपति भी हैं जिनकी उम्र 60 के करीब थी और संतान नहीं थी, उन्होंने सेंटर में टेस्ट टयूब बेबी को जन्म दिया और वे खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं। यहां टेस्ट टयूब बेबी के साथ ही एग बैंक, स्पर्म बैंक सहित बांझपन का इलाज किया जाता है।

पहली टेस्ट टयूब बेबी बन चुकी है मां

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25 जुलाई 1978 को ग्रेट ब्रिटेन में लेज़्ली ब्राउन ने दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। इस बेबी का नाम है लुइज़ जॉय ब्राउन। इनके पिता का नाम है जॉन ब्राउन। इनके माता-पिता के विवाह के नौ साल बाद तक संतान नहीं होने पर उन्होंने डॉक्टरों से सम्पर्क किया। डॉक्टर रॉबर्ट जी एडवर्ड्स कई साल से ऐसी तकनीक विकसित करने के प्रयास में थे, जिसे इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन कहा जाता है। डॉक्टर एडवर्ड्स को बाद में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। टेस्ट ट्यूब बेबी लुइज़ 39 वर्ष की हैं और वे एक बच्चे की माँ हैं। उनके बेटे का नाम केमरन है, जिसकी उम्र पाँच साल है। लुइज़ का विवाह सन 2004 में वेस्ली मलिंडर से हुआ था। और 20 दिसम्बर 2006 को केमरन का जन्म सामान्य तरीके से हुआ।

टेस्ट टयूब में निषेचित और गर्भ में पलता है शिशु
इस तकनीक में महिला के अंडाशय से अंडे को निकालकर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है.महिला को हार्मोन सम्बंधी इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर में अधिक अंडे बनने लगें. इसके बाद अंडाणुओं को अंडकोष से निकाला जाता है और नियंत्रित वातावरण में महिला के पति के शुक्राणु से उन्हें निषेचित कराया जाता है. इसके बाद निषेचित अंडाणु को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है.इसके बाद निषेचित अंडाणु को दो से पांच दिन बाद महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. नौ महीने तक गर्भ में ही शिशु पलता है।

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