आगरालीक्स…देश में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हार्ट अटैक, सबसे आम बीमारी बनी हाई ब्लडप्रेशर..आगरा में डॉक्टरों ने कहा—अगर 140 करोड़ भारतीयों को हृदय रोग से बचाना है, तो अब हमको ‘इंटरवेंशन’ से ‘प्रिवेंशन’ की ओर जाना है
‘इंटरवेंशन’ से ‘प्रिवेंशन’ की ओर जाकर ही 140 करोड़ भारतीयों को हृदय रोग से बचाया जा सकता है और इसके लिए हमें ‘ए बी सी डी ई एफ’ के फॉर्मूले को अपनाना होगा। ए से अवॉइड स्मोकिंग, बी से बीपी और ब्लड शुगर का मेजरमेंट, सी से कोलेस्ट्रोल का मेजरमेंट, डी से डाइट को हेल्दी रखना, ई से एक्सरसाइ करना और एफ से फॉलो अप विद डॉक्टर रेगुलरली.. यह विचार रविवार को होटल जेपी पैलेस में हृदय रोग से संबंधित दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस ‘कार्डियोलॉजी आगरा लाइव 5.0’ के समापन पर एम्स, दिल्ली के पूर्व डीन व कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं वर्तमान में रमैया मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु के डायरेक्टर डॉ. वी के बहल ने सभागार में उपस्थित आगरा और देश भर के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञों के समक्ष व्यक्त किए।
एंजिओप्लास्टी एवं स्टैंटिंग के विषय पर उन्होंने बताया कि इसकी शुरुआत आज से 50 वर्ष पहले हुई थी। यह विधि हार्ट अटैक के केस में जीवन रक्षक है। हार्ट अटैक के पहले घंटे में अगर इस विधि का उपयोग कर दिया जाए तो हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु से बचा जा सकता है। जिनको अभी हृदयाघात नहीं हुआ है किंतु एंजियोग्राफी में एक या तीनों धमनियों में 70% से ज्यादा सिकुड़न है, ऐसे क्रॉनिक एंजाइना वाले मरीजों के लिए भी एंजिओप्लास्टी और स्टैंटिंग करना लाभकारी हो सकता है।
नई तकनीक ने बाईपास सर्जरी से बचाया
डॉ. वीके बहल ने बताया कि इस क्षेत्र में तकनीक में बहुत सुधार हुआ है। ऐसे मरीज जिनके लिए पहले एंजिओप्लास्टी व स्टैंटिंग तकनीकी कारणों से संभव नहीं थी और उन्हें बाईपास सर्जरी करानी पड़ती थी, अब रोटाअब्लेशन, इंट्रा वास्कुलर, लिथोट्रिप्सी और लेजर एंजिओप्लास्टी आदि नई तकनीक से उनके लिए भी एंजियोप्लास्टी व स्टैंटिंग संभव हो गई है।
रोबोटिक तकनीक से एंजियोप्लास्टी संभव
डॉ. वीके बहल ने बताया कि अब रोबोटिक तकनीक से भी एंजियोप्लास्टी संभव है। निकट भविष्य में इस तकनीक का इस्तेमाल रिमोटली भी हो सकेगा यानी दिल्ली का मरीज आगरा के चिकित्सक से बिना आगरा आए इस तकनीक के सहारे एंजिओप्लास्टी करवा सकेगा। अभी इस तकनीक के प्रयोग चल रहे हैं।
साइलेंट किलर है उच्च रक्तचाप: डॉ. संजय त्यागी
कार्डियोलॉजी सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के प्रेसिडेंट और इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नयी दिल्ली में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर प्रो. (डॉ.) संजय त्यागी ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि हमारे देश में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हृदयाघात है और सबसे बड़ी बीमारी उच्च रक्तचाप है। उच्च रक्तचाप साइलेंट किलर है। इसलिए जब भी डॉक्टर पर जाएँ, ब्लड प्रेशर जरूर चेक करवाएँ। छाती में भारीपन महसूस हो तो तुरंत जांच करवाएँ। नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें। 40 मिनट रोज वॉक व एक्सरसाइज करें। मोटा अनाज खाएं। पिज़्ज़ा, बर्गर, तंबाकू, अल्कोहल घातक है, इसे छोड़ दें। दिल पर ज्यादा स्ट्रेस न डालें।
कृत्रिम वाल्व लगाने में ‘टावी’ कारगर: डॉ. विवेक गुप्ता
अपोलो, दिल्ली के डॉ. विवेक गुप्ता ने ‘ट्रांस कैथेटर एऔर्टिक वाल्व इंप्लांटेशन’ यानी ‘टावी’ पद्धति के बारे में बताते हुए कहा कि अभी तक छाती खोलकर बाल्व बदलना पड़ता था। अब जाँघ की नस से बिना ऑपरेशन के एऔर्टिक बाल्व की सिकुड़न को नया आर्टिफिशियल बाल्व लगाकर ठीक किया जा सकता है।
140-90 से कम हो बीपी तो सावधान!!: डॉ. गजिंद्र गोयल
फरीदाबाद के डॉ. गजिंद्र गोयल ने कहा कि 140-90 से कम ब्लड प्रेशर पर भी हृदय रोग और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा देखा गया है। अतः अब ब्लड प्रेशर के सम्बन्ध में गाइडलाइंस बदल गई हैं। पहले 140-90 से ऊपर बीपी होने पर ट्रीटमेंट देते थे किंतु अब नई गाइडलाइंस के तहत 140-90 से कम पर भी ट्रीटमेंट करवाना जरूरी है ताकि भविष्य के खतरे से बचा जा सके।
हृदय रोग का खतरा भाँपने के लिए नए बायो मार्कर्स पर रिसर्च जारी: डॉ. हर्षवर्धन
सुप्रीम हॉस्पिटल, फरीदाबाद के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि आजकल जो हमारे पास बायो मार्कर्स उपलब्ध हैं, वह पूरी तरह से हृदय रोग के खतरे बताने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए शोध कार्य जारी है। जल्दी ही यह नए बायो मार्कर्स हमें हृदय रोगों में खतरे की सही जानकारी प्रदान करने में सहायक साबित होंगे।
ईको या बड़े परीक्षण से पहले कराएं एक्स-रे व ईसीजी: डॉ. वीएस नारायण
केजीएमसी के रिटायर्ड प्रो. डॉ. वीएस नारायण (लखनऊ) ने कहा कि हृदय रोग में सीधे-सीधे ईको या बड़े टेस्ट की ओर नहीं जाना चाहिए। यह महंगे भी हैं और हर जगह उपलब्ध भी नहीं। हर इंसान के लिए ईको जरूरी नहीं है। इसलिए सबसे पहले एक्स-रे और ईसीजी करना चाहिए। बहुत जरूरी हो तभी बड़े परीक्षण करवाए जाने चाहिए।
अब इंजेक्शन से कर रहे कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल: डॉ. नकुल सिन्हा
लखनऊ के डॉ. नकुल सिन्हा ने बताया कि हार्ट अटैक के बाद जिनकी एंजियोप्लास्टी हो चुकी है, उनको लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोलेस्ट्रॉल को जितना नीचे लाया जा सके, उतना लाभदायक है। इसके लिए कई दवाइयां पहले से उपलब्ध हैं लेकिन अब इंजेक्शन के द्वारा भी इलाज किया जा रहा है।
हृदयाघात में देर न करें, तुरंत निकट के चिकित्सक करें संपर्क: डॉ. सुवीर गुप्ता
नेशनल कांफ्रेंस के आयोजन सचिव और आगरा व देश के जाने-माने हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुवीर गुप्ता ने आयोजन को सफल बनाने में अपना प्रमुख योगदान देने वाले देश पर के चिकित्सकों का आभार व्यक्त किया। अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने बताया कि किडनी की नस ब्लॉक होने से भी ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। जब ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं होता तब एंजिओप्लास्टी करनी पड़ती है। उन्होंने आम लोगों को समझाया कि हार्ट अटैक पड़ते ही डिस्प्रिन की गोली लें। तुरंत निकट के चिकित्सक से संपर्क करें। दूर न जाएं क्योंकि दूर जाने में लगने वाले समय में हृदय कमजोर हो जाता है।
हृदय रोग के क्षेत्र में आ रहे नये इलाज: डॉ. ईशान गुप्ता
आगरा के डॉ. ईशान गुप्ता ने बताया कि अब हृदय रोग के क्षेत्र में नई निदान आ गए हैं। हार्ट फैलियर कंट्रोल करने की नई दवाएं आ गई हैं। कुछ इंटरवेंशन नए आए हैं जिनसे वाल्ब की लीकेज को बिना ऑपरेशन के ठीक किया जा रहा है। जिन मरीजों की छाती का दर्द एंजिओप्लास्टी व बाईपास से भी ठीक न हो, उनको भी कोरोनरी आर्टरी डिजीज में आए नए इलाजों से दर्द में आराम मिल रहा है।
इन्होंने भी किए विचार साझा
डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. अतुल कुलश्रेष्ठ, डॉ. विनीश जैन, डॉ. नीरज अवस्थी, डॉ. मुनेश तोमर और डॉ. अनिल भान ने भी विभिन्न तकनीकी सत्रों में अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा किया। आयोजन सचिव डॉ. सुवीर गुप्ता ने संचालन और सभी का स्वागत किया। इस दौरान डॉ. शरद पालीवाल, डॉ. प्रमोद मित्तल, डॉ. सीआर रावत, डॉ. तरुण सिंघल, डॉ. आरके टंडन, डॉ. अनिल सारस्वत, डॉ. राजीव उपाध्याय, डॉ. प्रवेग गोयल, डॉ. अरविंद यादव, डॉ. निखिल पुरुसनानी, डॉ. रजत रावत, डॉ. शुभम सिंघल, डॉ. वरुण शर्मा, डॉ. वीबी अग्रवाल, डॉ. संजय सक्सेना, डॉ. अमित माहेश्वरी, डॉ. जय बाबू, डॉ. दिलीप सोनी, डॉ. शुभम जैन, डॉ. विकास जैन, डॉ. योगेश गोयल डॉ दुर्गेश शर्मा डॉ आनंद रावत, डॉ. मुकेश गोयल और डॉ. अशोक शर्मा भी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।