आगरालीक्स(14th September 2021 Agra News)… अनंत चतुर्दशी व्रत 19 को. जानिए अनंत में लगने वाली 14 गांठों का महत्व.
ये करें प्रार्थना
अनंत चतुर्दशी 19 सितंबर रविवार को है। अलीगढ़ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई थी। यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। यूं तो यह व्रत नदी-तट पर किया जाना चाहिए। हरि की लोककथाएं सुननी चाहिए। लेकिन संभव ना होने पर घर में ही स्थापित मंदिर के सामने हरि से इस प्रकार की प्रार्थना की जाती है, ‘हे वासुदेव, इस अनंत संसार रूपी महासमुद्र में डूबे हुए लोगों की रक्षा करो। उन्हें अनंत के रूप का ध्यान करने में संलग्न करो, अनंत रूप वाले प्रभु तुम्हें नमस्कार है।’
कैसे करें पूजा
प्रात:काल स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना की जाती है। इसके आगे कुमकुम, केसर या हल्दी से रंग कर बनाया हुआ कच्चे डोरे का चौदह गांठों वाला ‘अनंत’ भी रखा जाता है। कुश के अनंत की वंदना करके, उसमें भगवान विष्णु का आह्वान तथा ध्यान करके गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से पूजन करें।

यह है 14 गांठों का महत्व
इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को लाल कुमकुम से रंग, उसमें चौदह गांठे लगाकर राखी की तरह का अनंत बनाया जाता है। बता दें कि 14 गांठे भगवान श्री हरि के द्वारा 14 लोकों की प्रतीक मानी गई हैं। इस अनंत रूपी धागे को पूजा में भगवान पर चढ़ा कर व्रती अपने बाजू में बांधते हैं। पुरुष दाएं और स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत बांधती है। यह अनंत हम पर आने वाले सब संकटों से रक्षा करता है। यह अनंत धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फल देता है। यह व्रत धन पुत्रादि की कामना से किया जाता है। इस दिन नये धागे के अनंत को धारण कर पुराने धागे के अनंत का विसर्जन किया जाता है ।
पूजन मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ 19 सितंबर को सुबह 05 बजकर 59 मिनट से ।
चतुर्दशी तिथि समाप्त 20 सितंबर2021 को सुबह 05 बजकर 28 मिनट पर।
अनंत चर्तुदशी पूजा का मुहूर्त 19 सितंबर 2021 को सुबह 06 बजकर29 मिनट से पूरे दिन तक रहेगा। अनंत चतुर्दशी पूरे दिन की है।
पूजन सामग्री
शेषनाग पर लेटे हुए श्री हरि की मूर्ति अथवा तस्वीर, सन (कम्बल), धूप – एक पैकेट, पुष्पों की माला – चार
फल – सामर्थ्यानुसार
पुष्प (14 प्रकार के)
अंग वस्त्र –एक
नैवैद्य(मालपुआ )
मिष्ठा्न – सामर्थ्यानुसार
अनंत सूत्र (14 गाँठों वाले ) – नये
अनंत सूत्र (14 गाँठों वाले ) – पुराने
यज्ञोपवीत (जनेऊ) – एक जोड़ा
वस्त्र
पत्ते – 14 प्रकार के वृक्षों का
कलश (मिट्टी का)- एक
कलश पात्र (मिट्टी का)- एक
दूर्बा
चावल – 250 ग्राम
कपूर- एक पैकेट
तुलसी दल
पान- पांच
सुपारी- पांच
लौंग – एक पैकेट
इलायची – एक पैकेट
पंचामृत (दूध,दही,घी,शहद,शक्कर)