Agra: Heart attack patient’s life saved by IVL #agranews
आगरालीक्स (03rd October 2021 Agra News)… आगरा में नई तकनीक बनी वरदान. आईवीएल से बचाई हार्ट अटैक के मरीज की जान.
इंट्रावस्कुलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी का किया प्रयोग
गंभीर हार्ट अटैक के मरीज के लिए नई तकनीक वरदान साबित हुई। 56 वर्षीय जितेंद्र कुमार (परिवर्तित नाम) को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल ले जाया गया। यहां जांच में जब सामने आया कि मरीज की सबसे बड़ी हार्ट आर्टरी में कैल्शियम वाला ब्लॉकेज है तो इंट्रावस्कुलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) तकनीक से मरीज की एंजियोप्लास्टी कर उसे बचाया गया। आगरा में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल कर किसी मरीज की एंजियोप्लास्टी की गई।
कैल्शियम से ब्लॉक हो गई थी नस
यह केस करने वाले पुष्पांजलि हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनीष शर्मा ने बताया कि मरीज का हार्ट सिर्फ 25 प्रतिशत ही काम कर रहा था। ऐसे में बायपास सर्जरी करने पर उसकी जान को खतरा हो सकता है। जांच में पता लगा कि उसकी कोरोनरी आर्टरी में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज था जिसकी सामान्य स्टेंटिंग करने पर आर्टरी के फटने या स्टेंट के वापस ब्लॉक होने की संभावना थी। लेकिन इंट्रावस्कुलर शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (आईवीएल) तकनीक से न केवल उनका कैल्सिफाइड ब्लॉकेज टूटा, बल्कि सेफ स्टेंटिंग से उनकी जान भी बचाई जा सकी।
ऐसे मरीजों के लिए बेहद कारगर यह तकनीक
जिन मरीजों की हार्ट की नसों में कैल्सिफाइड ब्लॉकेज होता है और उनके स्टेंट वापस बंद होने की संभावना होती है, उनके लिए इंट्रावस्कुलर लिथोट्रिप्सी से एंजियोप्लास्टी बेहद कारगर है। इसमें सोनोग्राफिक वेव से कैल्शियम को तोड़ा जाता है और स्टेंट डाला जाता है।
स्टेंट खुला या नहीं, यह भी लग सकता है पता
डॉ. मनीष ने बताया कि आर्टरी में स्टेंट ठीक से खुला है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए ऑप्टिकल कोहैरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) जांच की जाती है। इस जांच में आर्टरी को सोनोग्राफी की अपेक्षा 10 गुना अधिक रेज्यूलेशन से देखा जा सकता है और शॉक वेव लिथोट्रिप्सी से कैल्शियम कितना टूटा है, स्टेंट अच्छे से खुला है या नहीं, इसका पता लगाया जा सकता है।