आगरालीक्स…आगरा में अब अनजाहा नवजात कूड़ेदान में नहीं पालने में छोड़ें. उसे भी मिलेगा जीने का अधिकार. एसएन में लगा आश्रय पालना. पहचान रहेगी गुप्त और कोई कानूनी कार्रवाई नहीं
अनचाहे नवजात शिशुओं को सुरक्षित छोड़ने के लिए कैबिनेट मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने आज मेडिकल कॉलेज, आगरा के एमसीएच विंग के बाहर आश्रय पालना स्थल का लोकार्पण किया। मंत्री ने आम जन से आह्वान किया कि किसी भी परिवार में किसी भी कारणवश कोई अनचाही संतान जन्म लेती हैं तो उसे मारें नहीं या इधर उधर नही फेंकें, अपनी पहचान बताए बिना उसे इस आश्रय पालना स्थल में छोड़ जाएं। उन्होंने कहा कि आप निश्चिंत रहे आपकी पहचान गुप्त रखी जायेगी और आपके विरुद्ध कोई भी कानूनी कार्यवाही नही की जायेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत सह सेवा प्रमुख श्याम ने कहा कि आश्रय पालना स्थलों के माध्यम से हर अनचाहे नवजात शिशु को जीने का अधिकार प्राप्त हो सकेगा। साथ ही इच्छुक दंपति इन मासूम को विधि अनुरूप गोद ले कर अपना परिवार पूरा कर सकेंगे। जिससे इन्हे स्वस्थ, सुरक्षित एवं खुशनुमा माहौल में स्नेह व सम्मान के साथ विकसित होने का अवसर प्राप्त हो सकेगा और अच्छी परवरिश से आने वाले कल यह मासूम समाज एवं राष्ट्र के लिए अमूल्य संपत्ति बन सकेंगे।
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जीवन संरक्षण अभियान, महेशाश्रम, मां भगवती विकास संस्थान उदयपुर के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया कि आश्रय पालन स्थल में प्राप्त शिशु को जिला बाल कल्याण समिति द्वारा विधिनुसार दत्तक ग्रहण हेतु विधिक रुप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा शिशु के दत्तक ग्रहण की कार्यवाही की जायेगी। तत्पश्चात माननीय जिला न्यायालय द्वारा उस शिशु को दत्तक ग्रहण के माध्यम से पुनर्वास कर दिया जाएगा, जहां से मिलेगा उसे एक नया जीवन, नया नाम, नई पहचान।
एसएन कॉलेज के प्रधानाचार्य आदरणीय डॉ प्रशांत गुप्ता ने आश्रय पालना स्थल के कार्यप्रणाली की जानकारी देते हुए बताया कि आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त है, जिससे कि पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के 2 मिनट के बाद चिकित्सालय के लेबर रूम में अपने आप घंटी बजेगी। इस दो मिनट के समय में छोड़ने वाला व्यक्ति आसानी से सुरक्षित रूप से वहां से जा सकेगा और इससे उसकी पहचान भी गोपनीय बनी रहेगी। प्राचार्य ने बताया कि आश्रय पालना स्थल की चिकित्सालय के लेबर रूम में घंटी बजते ही चिकित्साकर्मी द्वारा आश्रय पालना स्थल से शिशु को तत्काल प्राप्त कर उसकी चिकित्सकीय एवं व्यक्तिक देखभाल यथा उसको दूध पिलाना, साफ सफाई करना, स्वच्छ कपड़े पहनाना आदि की जायेगी तथा शिशु के स्वस्थ होने पर उसे तत्काल नजदीकी राजकीय मान्यता प्राप्त शिशु गृह में भेज दिया जाएगा।
बताते चलें कि अनचाहे नवजात शिशु विशेष रूप से बेटियां जिन्हें जन्म लेते ही क्रूरता पूर्वक डस्टबिन, कटीली झाड़ियों, नदी, तालाब, कुएं में फेंक दिया जाता है, जहां वह भयानक असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं या उन्हें बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन या अन्य असुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाता है जहां से वह अधिकांशतः गलत हाथों में पडकर भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति या अन्य अनैतिक कार्यों में धकेल दिए जाते हैं और वह मासूम मृत्यु से भी भयावह जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो जाते हैं। इन मासूम नवजात शिशु के जीवन रक्षार्थ “सुरक्षित परित्याग” हेतु विधि सम्मत रूप से स्थान एवं व्यवस्थाएं उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा राज्य के सात जनपद मुख्यालयों लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, झांसी, और कानपुर राजकीय मेडिकल कॉलेजो के चिकित्सालयों में आश्रय पालना स्थल के स्थापना की स्वीकृति प्रदान की गई हैं।
कार्यक्रम के अन्त में डा. प्रशांत लवानिया ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया तथा कार्यक्रम का सफल संचालन डा. प्रीति भारद्वाज ने किया। इस अवसर पर सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, सभी संकाय सदस्य, नर्सिंग स्टाफ, कर्मचारीगण, आशा कर्मी तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।